मनेद्रगढ@5 हजार में किस-किस की आर्थिक स्थिति सुधरी?

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स्वेक्षानुदान स्वरूप पांच हजार रूपये देकर सक्षम लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने का यह कैसा प्रयास?
मनेद्रगढ विधायक के स्वेक्षानुदान को लेकर उठ रहे सवाल,सक्षम लोगों सहित पत्रकारों को बांटी गई स्वेक्षानुदान राशि
स्वेच्छानुदान की सूची जारी होते ही तरह-तरह की बातें भी शुरू,सूची देख लोग अचंभित
स्वेक्षानुदान स्वरूप मिली पांच हजार की राशि से किस किस की सुधरी आर्थिक स्थिति
पत्रकारों को विज्ञापन का भुगतान भी स्वेक्षानुदान मद से किया गया,क्या ऐसा करना उचित है?
असली जरूरतमंद स्वेक्षानुदान राशि से लगातार वंचित,जबकि शासन जरूरतमंदों के लिए विधायकों को स्वेक्षानुदान मद
नगर निगम चिरमिरी में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को ही बांटा गया होता स्वेक्षणुदान तो दूर होती उनकी समस्या
गरीबों का हक मार विधायक ने पत्रकारों को दी गई विज्ञापन की राशि बनी जन चर्चा का विषय
– रवि सिंह –
मनेद्रगढ 05 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। मनेद्रगढ विधायक के द्वारा बांटी गई स्वेक्षानुदान राशि की सूची जारी हुई है और सूची जारी होते ही सूची में दर्ज नाम देखकर लोग अचंभित हैं क्योंकि जिन्हे भी विधायक ने स्वेक्षानुदान राशि दी है वह अति संपन्न लोग हैं और उन्हे किसी स्वेक्षानुदान राशि की जरूरत बिलकुल भी नहीं है बल्कि वह स्वयं दानदाता बन सकते हैं और समाज में जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकते हैं लेकिन उन्हें मनेद्रगढ़ विधायक ने आर्थिक रूप से कमजोर की श्रेणी में रखकर उन्हें पांच हजार की सहायता राशि दी है। वैसे जिन्हे यह राशि स्वेक्षानुदान की मनेद्रगढ़ विधायक ने दी है उनकी जमकर फजीहत सोशल मीडिया में हो रही है और उन्हे लोग यह कहकर संबोधित कर रहे हैं की कम से कम विधायक ने उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में उनकी मदद की है और उन्हे सहयोग स्वरूप पांच हजार की राशि मिल सकी है। विधायक के द्वारा स्वेक्षानुदान जिन्हे प्रदान किया गया है उनमें कुछ पत्रकारों के नाम भी हैं और कुछ उनके खास लोग हैं वहीं कुछ व्यवसाई भी इनमे शामिल हैं। विधायक ने जिन्हे स्वेक्षानुदान दिया है उनमें से अधिकांश लोग ऐसे हैं जिन्हें भुगतान स्वरूप राशि मिली है जो उनके किसी मामले का भुगतान है भले ही वह किसी सामग्री का भुगतान हो या पत्रकारों को उनके विज्ञापन का भुगतान,लेकिन विधायक ने स्वेक्षानुदान से भुगतान कर सभी को कटघरे में खड़ा कर दिया है और उन्हे समाज में बेजार होने मजबूर कर दिया है जबकि वह पारश्रमिक स्वरूप यह राशि विधायक से प्राप्त किए हैं।
ज्ञात हो की छाीसगढ़ के सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर और लाचार लोगों की सहायता हेतु बने मदद से वर्ष 2021-22 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 115 अनुग्रहहितों को 12 लाख 95 हजार रूपये की राशी मनेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक विनय जयसवाल की अनुशंसा पर में आवंटित किया था, चेक प्राप्त करने वाले हितग्राही जिनमें 70 प्रतिशत लोग करोड़पति बताए जाते हैं और 25 प्रतिशत लोग लखपति हैं, सभी विवादों और सुर्खियों में बने रहने वाले क्षेत्र के विधायक विनय जयसवाल ने दीपावली के शुभ पर्व पर अपने घर में सभी पत्रकारों को बुलाकर एक सोनपापड़ी के डब्बे के साथ एक लिफाफा प्रदान किया था सोनपापड़ी को लेकर दीपावली के बाद एक रेंजर का ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें रेंजर उक्त ऑडियो को वायरल करने की धमकी दे रहा है और कह रहा है कि मुझसे जबरदस्ती सोनपापड़ी मंगवाया जा रहा है वह मामला अभी थमा नहीं था वही बंद लिफाफा आज खुल गया है और अब विधायक जी ने अपनी किरकिरी पत्रकारों को भी शामिल कर लिया है, बताया जाता है कि बकाया विज्ञापन की राशि के नाम पर या चेक विधायक जी के द्वारा पत्रकारों को दिया गया था और चेक प्रदान करते हुए सभी पत्रकारों के फोटो भी लिए गए थे जो सोशल मीडिया में काफी वायरल किया गया था।
क्या पत्रकारों के विज्ञापन के लिए स्वेच्छानुदान की राशि खर्च की जा सकती है?
गरीब लाचार और मजबूर को आर्थिक मदद के लिए बनाए गए मद से क्षेत्र के विधायक में पत्रकारों को राशि बांट कर आर्थिक रूप से लाचार गरीबों के साथ धोखा किया है सवाल सबसे बड़ा यह है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठे एक जनप्रतिनिधि जब आम गरीब और मजबूर और लाचार लोगों के दिए जाने वाले धन को बड़े शान शौकत दिखाते हुए शाही ढंग से पैसे का बंदरबांट किया तो उनमें थोड़ी सी भी इंसानियत नहीं जगी क्या उनके हाथ नहीं कापे, क्या इन्हीं काले कारनामों को करने के लिए गरीब जनता ने उन्हें चुना था या फिर विधायक जी में समझ की कमी है? जो गरीब जनता के साथ धोखा करके आर्थिक रूप से समृद्ध पत्रकारों को विज्ञापन के नाम पर शासकीय धन का बंदरबांट कर दिया, जबकि विधायक जी के विधानसभा में कई दर्जन ऐसे लोग हैं जो आज इलाज के अभाव से बिस्तर में दम तोड़ रहे हैं कोई दुर्घटना का शिकार है कोई प्राकृतिक बीमारियों का शिकार है वह आपके चौखट पर बार-बार दस्तक देते हैं लेकिन आप और आपके शागिर्द उन्हें सिर्फ आश्वासन देकर आपके कार्यालय से वापस लौटा देते हैं यह सच है कि यह 5 हजार इन पत्रकारों के लिए कोई कीमत नहीं रखता लेकिन यदि यह पैसा उन दर्जन भर लाचार मजबूर गरीब जो इलाज के अभाव से आज दम तोड़ रहे हैं परेशान हैं उन तक पहुंच जाता तो शायद उनका कुछ भला हो सकता था लेकिन आपने उन्हें नजरअंदाज किया है जो बिल्कुल भी उचित नहीं है 15 अगस्त व 26 जनवरी में लगे विज्ञापन पर जब पत्रकारों ने विधायक को बिल दिया तो इसके बाद विधायक के यहां से पत्रकारों का बुलावा दिवाली त्योहार के समय आया और स्वेक्षानुदान की राशि चेक के माध्यम से काटी गई किसी को 2 हजार किसी को 5 हजार तो किसी को 10 हजार, पत्रकारों ने भी विज्ञापन का पैसा समझ ले लिया, अब सवाल यह उठता है क्या विधायक से अपने प्रचार में लगाए विज्ञापन और फिर स्वेच्छानुदान बताकर पत्रकारों को दिया चेक क्या यह उचित है?
आर्थिक रूप से पत्रकारों को कमजोर बता स्वेच्छानुदान मद की राशि का किया भुगतान,पत्रकारों की किरकिरी करा विधायक स्वयं घिरे विवाद में
पत्रकार रविकांत सिंह ने जब यह जाना कि क्षेत्रीय विधायक उनके आंख में धूल झुकते हुए आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को दी जाने वाली मदद वाली राशि से उन्हें पांच हजार की राशि आवंटित कर रहे हैं और उनके नाम पर भी चेक बनाया गया है तो उन्होंने तत्काल उसे विधायक विनय जयसवाल को वापस कर दिया और अपना नाम विलोपित करने हेतु विभाग में आवेदन दिया था किंतु आज दिनांक तक उनका नाम लगभग 1 वर्ष हो चुके हैं विभाग द्वारा विलोपित नहीं किया गया है जिसका विरोध उनके द्वारा लगातार किया जा रहा है इसी बीच सोशल मीडिया में हो रही पत्रकारों की किरकिरी के बीच कई लोगो के कथन सामने आ रहे हैं किसी ने उन्हें समाज का सबसे गरीब बताया है तो किसी ने कहा है कि सचमुच इस मद के हकदार केवल यही पत्रकार थे तो किसी ने यह कहा कि यदि उन्हें और पैसे की जरूरत है तो हम लोग कलेक्शन करके इन्हें शॉप देंगे लेकिन शर्त यही है कि सूची में जिन लोगों का नाम है उन्हें ही दिया जाएगा जैसे-जैसे कई कॉमेंट्स देखने और पढ़ने को मिल रहे हैं कुल मिलाकर क्षेत्रीय विधायक ने गरीब लाचार शारीरिक रूप से कमजोर किस्म के लोगों का पैसा देकर एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है।
पूर्व मंत्री पूर्व बैकुंठपुर विधायक ने भी इसी तरह बांटी थी स्वेक्षानुदान राशि,मिली थी चुनाव में हार
स्वेक्षानुदान का इसी तरह भुगतान पूर्व मंत्री एवम पूर्व भाजपा विधायक बैकुंठपुर ने भी किया था और वह सूची ऐन चुनाव के वक्त सार्वजनिक हो गई थी और उसी के कारण उन्हे चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। पूर्व मंत्री ने स्वेक्षानुदान राशि अपने खास लोगों को अपने विभिन्न भुगतान मामलों में व्यय किया था और जब मामला उजागर हुआ मामला उनके लिए उलट हो गया और जनता ने स्वेक्षानुदान राशि को इस तरह बांटना अनुचित माना और उन्हे चुनाव में इसका जवाब दिया और उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा।
मनेद्रगढ विधायक ने भी विभिन्न भुगतान मामलों में बांटी है स्वेक्षानुदान राशि,हो सकता है चुनाव में नुकसान
मनेद्रगढ विधायक ने भी स्वेक्षानुदान का भुगतान अपने निजी कई भुगतान मामलों में किया है यह सूची में दर्ज नामो को देखकर समझा जा सकता है,विधायक ने निजी खर्चों को चाहे वह भुगतान मामला हो विज्ञापन भुगतान मामला हो को स्वेक्षानुदान मद से भुगतान किया है। विधायक ने ऐसा करके गलत किया है और यह कहीं से सही नहीं कहा जा सकता और इसका असर उनके ही चुनाव परिणाम पर पड़ेगा यह तय है। जो स्वेक्षानुदान जरूरतमंद को दिया जाना चाहिए वह राशि विधायक ने निजी छवि चमकाने या निजी भुगतान के लिए किया है यह जनता के हक पर डाका माना जायेगा और इसे जनता शायद ही बर्दास्त करे।
स्वेक्षानुदान शासन की जरूरतमंदों के लिए विधायकों के लिए निधि
स्वेक्षानुदान शासन की एक ऐसी योजना है जो शासन विधायकों को उपलध कराती है जिससे जरूरतमंद लोगों की मदद हो सके खासकर बीमारी या अति आवश्यक होने पर यह राशि उन्हे विधायक उपलध कराएं,लेकिन मनेद्रगढ विधायक ने शासन की महत्वपूर्ण योजना को अपने चेहरे को चमकाने के लिए उपयोग किया और उसे अपने निजी भुगतान के लिए उपयोग किया जैसा माना जा रहा है। एक तरह से यह भी आर्थिक अनियमितता का मामला माना जायेगा और इसमें उन्हे दोषी माना जायेगा।
जांच होगी तो सभी सूचीबद्ध लोग निकलेंगे सक्षम
मनेद्रगढ विधायक ने जिन्हे भी आर्थिक रूप से कमजोर बताकर उन्हे स्वेक्षानुदान प्रदान किया है यदि उनके संबंध में जांच की जाए तो सभी सक्षम मिलेंगे और सूची में जो उनके नाम के समक्ष आर्थिक रूप से कमजोर लिखा है वह गलत पाया जाएगा वैसे मामले में जांच कर कार्यवाही होनी ही चाहिए।
पत्रकारों को जानकारी है कि विज्ञापन का मिला चेक
विधायक जी कहीं पत्रकारों को विज्ञापन के आड़ में सरकारी पैसा तो नहीं दे दिए? क्योंकि कुछ पत्रकारों ऐसे भी हैं जिन्हें स्वेक्षानुदान की जानकारी भी नहीं सिर्फ उन्हें तो इतना ही पता था कि विज्ञापन का चेक विधायक जी दे रहे, अब सवाल ये उठता है क्या विधायक जी अपने प्रचार प्रसार के लिए शासकीय पैसे को आर्थिक सहयोग बताकर बांट दिया? और पत्रकार स्वेच्छानुदान को विज्ञापन का पैसा समझकर ग्रहण कर लिए।

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