– रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर,04 फरवरी 2023 (घटती-घटना)। ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ श्रीमद भगवत गीता में वर्णित है ‘मनुष्य का कर्म करने में अधिकार हो फल की चिंता से रहित!’ जो सही और सार्थक कार्य करते हैं उसका परिणाम भी जनकल्याणकारी और उदाहरण प्रस्तुत करने वाला होता है। युवावस्था में ही एस.के.रूप ने साहित्य पत्रकारिता एवं समाज सेवा हेतु कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं जिसे वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और समय-समय पर सम्मानित भी हुए हैं। इस बार श्रीरूप का नाम साहित्य -सेवा समर्पण हेतु इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। उक्त रिकॉर्ड विश्व कीर्तिमान में सहभागिता के साथ एक नया रिकॉर्ड बनाने लिए प्राप्त हुआ है।गौरतलब है कि श्री रूप ने मां भारती कविता महायज्ञ महाराष्ट्र मुंबई के हिंदी भाषा सेवा हेतु एक पखवाड़े तक निशदिन चले काव्य पाठ ने भाग लिया और लगभग 3 घंटे बिना रुके काव्य पाठ किया जिसका श्रोताओं ने जमकर आनंद भी उठाया था जिसके लिए उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन में दर्ज हुआ एवं सम्मान पत्र व अन्य पुरस्कार प्राप्त हुए इसी तरह भगवान श्री राम के लिए भक्तिमय काव्य पाठ किया जिसमें विदेशों से भी लोगों ने श्री रामभक्ति दिखाई उक्त भक्ति मय काव्य पाठ में श्री रूप सबसे कम उम्र के युवा कवि होकर अपनी जीवंत छाप वरिष्ठ जनों एवं साहित्यकारों पर डाल दी जिसके लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ और सम्मान पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए।मजे की बात तो यह है कि इन्हीं दो वैश्विक कीर्तिमान में अनवरत रूप से अपनी सहभागिता निभाने हेतु श्री रूप का नाम साहित्य- सेवा समर्पण हेतु इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है।
पत्रकारिता और साहित्यसेवा पिता से विरासत में पाया..पिता ही सबसे बड़े आदर्श- श्रीरूप अपने जीवन का सबसे बड़ा आदर्श अपने स्व0 पिता श्री रूद्र प्रसाद रूप को मानते हैं इनके पिता ने कोरिया जिले की धरती पर सबसे पहले पत्रकारिता की नींव रखी और सम्यक संपर्क नामक पाक्षिक अखबार की शुरुआत की इसके साथ ही जनहित संघ व पंडो विकास समिति द्वारा जनहित में कार्य करते रहे श्री रूप कुशाग्र बुद्धि के धनी तार्किक जननायक और विलक्षण प्रतिभा के धनी साहित्यकार थे। एस.के.रूप अपने पिता को ही अपना सबसे बड़ा आदर्श मानकर कार्य करते रहे हैं इन्हें माता से संगीत,अध्यात्म व अन्य सामाजिक शिक्षा मिली है।
कई प्रतिभाओं को दिया है मंच जनहित में रहे हैं अग्रसर
एस.के.रूप ने ग्रामीण स्तर से लेकर राष्ट्र स्तर तक के प्रतिभाओं को मंच दिया उन्हें निखारा और सम्मानित किया है।अपने पिता की स्मृति में प्रतिवर्ष सम्मान समारोह का आयोजन कर नई प्रतिभाओं का खोज किया है इसके साथ ही पत्रकारिता एवं जनसेवा में लिखते रहे हैं और परिणाम स्वरूप कई ग्रामीणों की रुकी मजदूरी, बिजली,पानी व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई है।जिसके लिए पत्रकारिता का सर्वोच्च सम्मान गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता भूषण सम्मान 2022 उार प्रदेश में प्राप्त किया।
राष्ट्रीय स्तर पर कई बार
मिल चुके हैं सम्मान
साहित्यकार एस.के.रूप कम उम्र में ही बड़े-बड़े शुरमाओ के बीच अपने लेखन के माध्यम से स्थापित हुए हैं, इन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन, गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड, गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान, पत्रकारिता भूषण सम्मान, साहित्य साधक सम्मान, गुरु साधक सम्मान, भगवान परशुराम सम्मान, नवभारत ज्ञानपीठ पुरस्कार 2022,पत्रकारिता भूषण सम्मान 2021, काव्य सारथी सम्मान 2021, कर्मवीर सम्मान 2022, रामभक्त सम्मान, रामत्न सम्मान 2022, खेल रत्न सम्मान, आइकॉन ऑफ द ईयर, सोशल एक्टिविटीज सम्मान,नवसृजन सम्मान, सृजन साधक सम्मान सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने पर श्री रूप ने कहा कि धीरज, आत्मसंयम, स्वाध्याय ईश्वर प्राणीधान के साथ लक्ष्य बनाकर उस पर कार्य करते रहने से चाहिए। मैं अपने माता पिता गुरुजन एवं सभी स्नेही जनों को जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मुझसे स्नेहवत जुड़े हैं उनका धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। श्री रूप के इस उपलçध पर शुभचिंतकों, कोरियावासियों,शहरवासी एवं गणमान्य नागरिकों ने उन्हें बधाई प्रेषित की है।
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