- शवयात्रा निकालने वाले साथ ही पुतला दहन करने वाले कांग्रेसियों पर भी नहीं हुआ मामला पंजीबद्ध
- तथाकथित पत्रकार पर वीडियो एडिटिंग का लगा आरोप फिर भी नहीं हुआ मामला पंजीबद्ध
- ठीक 1 साल पहले वायरल चैट मामले में एक पत्रकार पर सत्ता पक्ष के लोग के साथ मिलकर पुलिस ने किया था अपराध पंजीबद्ध
- आखिर पूर्व मंत्री की शिकायत पर पुलिस क्यों नहीं कर रही मामला दर्ज,क्या है वजह?
–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 20 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ प्रदेश में एक नई ही परपंरा बनती जा रही है सत्ता पक्ष के गोद में कुछ पत्रकार ऐसा बैठ गए हैं कि उनकी गलती पर भी कार्यवाही नहीं होती पर वही निष्पक्ष व सही लिखने वाले पत्रकारों पर सत्तापक्ष के लोग अपराध पंजीबद्ध करा देते हैं ठीक 1 साल पूर्व 2 फरवरी को कोरिया जिले में पुलिसकर्मियों का चैट वायरल हुआ था जिसकी खबर प्रकाशित हुई थी पर उस वायरल चैट से पत्रकार का कोई लेना देना नहीं था ना उसने चैट वायरल किया था और ना उसने उस चैट पर कोई टिप्पणी की थी सिर्फ उसने उस चैट पर खबर प्रकाशित की थी और उस चैट की जांच करने की मांग की थी और यह खबर प्रकाशित हुई थी 3 फरवरी 2022 को और 3 फरवरी 2022 को ही कुछ घंटों में पत्रकार के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध बिना किसी के शिकायत के पुलिस खुद प्रार्थी बनकर की थी और चैट को कूट रचित पत्रकार के द्वारा बनाना बताया था जबकि पुलिस को लेकर चैट सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा था जिसकी जानकारी खुद पुलिसकर्मियों को भी थी पर उस नंबर तक ना पहुंच कर पत्रकार पर ही मामला पंजीबद्ध कर पुलिस इस मामले से अपने कर्मचारियों को बचाकर किनारे ले गई। वही आज पूर्व कैबिनेट मंत्री एक पत्रकार पर वीडियो एडिटिंग कर गलत तरीके से वीडियो चलाने का आरोप लगाए हैं उस पर आज तक कोरिया पुलिस अपराध पंजीबद्ध नहीं कर पाई ऐसा माना जा रहा है कि वह पत्रकार सत्ता पक्ष का है इसलिए पुलिस उस पर कार्यवाही नहीं कर रही है वहीं सच लिखने वाले पत्रकार पर कार्यवाही करने के लिए पुलिस क्यों उतावली हो जाती है? यह तो बड़ा प्रश्न है जिस तरह केंद्र की सरकार से मीडिया को सवाल पूछना भारी पड़ता है ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी वर्तमान सरकार से पत्रकारों को सवाल पूछना भारी पड़ता है जांच की मांग करना भारी पड़ता है।
पूर्व मंत्री की शिकायत पर पत्रकार के विरुद्ध क्यों मामला नहीं हुआ पंजीबद्ध
बैकुंठपुर विधायक को लेकर की गई टिप्पणी जो पूर्व मंत्री ने की थी और जिसमे उन्होंने खाली शब्द का प्रयोग किया था और जो वीडियो को सुनकर सुना भी जा सकता है जिसे गाली के रूप में साबित कर पूर्व मंत्री का पुतला दहन किया गया उनकी शवयात्रा कांग्रेस पार्टी के द्वारा निकाली गई मामले में पूर्व मंत्री ने जांच की मांग करते हुए एक पत्रकार पर वीडियो को एडिट करने का आरोप लगाया है साथ ही उन्होंने मामले में पत्रकार पर अपराध पंजीबद्ध करने की मांग की है वहीं उन्होंने जिले का राजनैतिक माहौल खराब करने का भी आरोप पत्रकार पर लगाया है। पुलिस को दी गई शिकायत के बाद भी उक्त पत्रकार पर मामला पंजीबद्ध नहीं किया गया है। मामला क्यों पंजीबद्ध नहीं किया गया यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि शिकायत पूर्व मंत्री की तरफ से की गई है।
पूर्व मंत्री की शिकायत पर मामला पंजीबद्ध नहीं हो पा रहा है ,तो आम आदमी को न्याय मिलेगा लगता नहीं
पूर्व मंत्री ने एक पत्रकार पर आरोप लगाया है की उनके बयान को पत्रकार ने एडिट किया और उसे गलत तरीके से पेश किया और जिसकी वजह से विधायक समर्थकों सहित कांग्रेसियों ने उनका पुतला दहन किया और उनकी शवयात्रा निकाली। पत्रकार के इस कृत्य से जिले का राजनैतिक माहौल खराब हुआ और पूर्व मंत्री ने अपनी मान प्रतिष्ठा पर भी इसे प्रहार बताते हुए पत्रकार पर कार्यवाही की मांग की है। पुलिस शिकायत पर मौन साधे बैठी है और यह माना जा सकता है की पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करने वाली। अब जब पूर्व मंत्री की शिकायत पर पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही है तो समझा जा सकता है की जिले की कानून व्यवस्था की क्या हालत है और आम आदमी को न्याय पाना कितना कठिन है।
क्या पत्रकार विधायक के हैं करीबी,इसलिए पुलिस कार्यवाही
करने से हट रही पीछे?
पत्रकार पर पुलिस कार्यवाही इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि पत्रकार विधायक के खास समर्थक हैं और उनके करीबी हैं ऐसा बताया जा रहा है। वैसे सवाल यह उठता है की क्या सत्ताधारी दल के विधायक के खास होने मात्र से कार्यवाही से बचा जा सकता है क्या,यदि हां तब तो कानून व्यवस्था का भगवान ही मालिक है।