- कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में बिखर चुकी है जिला कांग्रेस की टीम
- न तो जिलाध्यक्ष बागी पर कार्यवाही कर पा रहे और ना प्रदेश कांग्रेस जिलाध्यक्ष पर कार्यवाही कर पा रही
- आखिर क्यों निरंकुश हो चुके हैं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अपने ही सत्ता में?
- जिलाध्यक्ष किस के हाथ की कठपुतली बने हैं यह भी एक बड़ा प्रश्न है अपनी तो उनकी चलती नहीं?
- रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 16 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में सत्ताधारी दल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष को आजीवन कांग्रेस पार्टी का जिलाध्यक्ष कहा जाने लगा है वैसे जिलाध्यक्ष लगातार पार्टी को जीत दिला पाने में असफल साबित हो रहे हैं फिर भी वह हार की जिम्मेदारी नहीं ले रहें हैं और न ही जिम्मेदारी लेते हुए वह पद छोड़ने की ही बात कर रहें हैं। बता दें की कोरिया जिले का विभाजन भी हुआ और अविभाजित कोरिया जिले के जिलाध्यक्ष रहते हुए भी इन्होंने एकबार भी जिला विभाजन का विरोध नहीं किया और न ही इन्होंने पार्टी के ही अन्य विधायकों को जो इन्हीं के दल के हैं को विश्वास में लेने का प्रयास किया जिससे जिला विभाजन रुक सके और कोरिया का अस्तित्व बचा रह सके। चार साल सत्ता के कार्यकाल में भी जिलाध्यक्ष पद की शोभा बढ़ा रहे जिलाध्यक्ष स्थानीय चुनावों में पार्टी को जीत नहीं दिला सके और जनपद की बात हो जिला पंचायत की बात हो नगरपालिका की बात हो या जिला पंचायत के उप चुनाव की ही बात हो सभी चुनावों में पार्टी लगातार हारती रही और कई बार स्पष्ट बहुमत के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी स्थानीय चुनाव में हार का सामना कर गई और जिलाध्यक्ष कुछ नहीं कर सके। वैसे जिलाध्यक्ष को हमेशा शांत गंभीर एवम अपने ही काम से मतलब रखने वाला कहा जाए तो बेहतर होगा जिलाध्यक्ष रहते इन्होंने न तो पार्टी में ही आपसी सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया और न ही कांग्रेसियों को यह एकजुट कर सके।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष अपनी ही पार्टी की जनपद उपाध्यक्ष के मान सम्मान के लिए कुछ नहीं कर पा रहे क्यों?
चार साल सत्ता के कार्यकाल में जिलाध्यक्ष का कार्यकाल यदि देखा जाए तो ऐसा रहा जैसे इन्हे जिलाध्यक्ष ही नहीं मानते हों जिले के कांग्रेसी। कई बार कांग्रेसियों ने अपनी ही सरकार में आंदोलन का ज्ञापन दिया कई बार आंदोलन भी किया शासन के विरुद्ध मुखर होते रहे लेकिन जिलाध्यक्ष का नियंत्रण किसी पर भी नहीं रहा। अभी हाल ही में जनपद पंचायत कार्यालय का घेराव हुआ कांग्रेसी शामिल हुए दिनभर विपक्ष की तरह कांग्रेसी आंदोलन करते रहे जिलाध्यक्ष ने सुध नहीं ली बशर्ते शाम होते ही पार्टी से मामले को किनारे करना उन्होंने सही माना और वही किया उन्होंने। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अपनी ही पार्टी की जनपद उपाध्यक्ष के मान सम्मान के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं और जनपद उपाध्यक्ष को भाजपा का सहारा लेना पड़ रहा है जबकि जिलाध्यक्ष चाहते तो जनपद उपाध्यक्ष की भी शिकायतों का समाधान हो जाता और पार्टी में भी उनका सम्मान रह जाता और कुछ नहीं तो जनपद उपाध्यक्ष सहित सीईओ के बीच वार्ता कर ही जिलाध्यक्ष कोई निर्णय निकलवा सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं किया।
क्या जिलाध्यक्ष का एक ही प्रयास शादी घर निर्माण?
सत्ता रहते जिलाध्यक्ष का प्रयास यही दिखता है की उनका निर्माणाधीन शादी घर बनकर तैयार हो जाए और उनका मुख्य काम पूर्ण हो जाए। जिलाध्यक्ष का अधिकांश समय अपने ही निजी कामों में व्यतीत होता है इसीलिए कोरिया जिले में कांग्रेस संगठन नाम की कोई चीज नजर नहीं आती। वैसे जिलाध्यक्ष पर लगातार आरोप लगते चले आए हैं और बावजूद उसके उन्हे न तो पार्टी ने पद से हटाया न उन्होंने ही विमुख होने कोई बात कही। सत्ता का सुख वैसे उन्हे भी अपने लम्बे जिलाध्यक्ष कार्यकाल के बाद मिला है और वह भी विपक्ष में रहकर जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और सत्ता के सुख से वंचित भी अब जब उन्हें सत्ता सुख मिला है वह ऐसे ही कैसे उसे जाने दें यह भी सवाल उठता है इसीलिए वह पद पर बने रहकर अपने काम में व्यस्त रहना सीख चुके हैं।