बैकुण्ठपुर@कलेक्टोरेट सहित एसडीएम व अन्य कार्यालयों में अपना काम कराने लोग कब तक होते रहेगे दो-चार?

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  • क्या कोरिया जिले में निरंकुश हुआ प्रशासन,नही हो रहा किसी का काम?
  • ईमानदारी से काम करने वाले अफसर सिर्फ काट रहे समय
  • वाहन लगाने के बाद अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं वाहन स्वामी,ठेकेदार भी लगा रहे हैं कार्यालयों का चक्कर

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 12 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में प्रशासन की स्थिति बद से बदत्तर हो गई है, वैसे तो अधिकारी गिनती के बचे हैं लेकिन जो हैं भी वे बेलगाम हो चुके है, प्रशासन सिर्फ कागजी खानापूर्ति में व्यस्त है। न तो आम जन का काम हो रहा है और न ही जनप्रतिनिधियों का, नौबत ऐसी आ गई है कि एक अधिकारी के खिलाफ जनप्रतिनिधियों को अब धरना प्रदर्षन करना पड़ रहा है। जिला प्रषासन के मुखिया भी प्रषासनिक कसावट में सुस्त नजर आ रहे हैं। जिले में प्रशासन की स्थिति किसी से छिपी नही है, जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के सरंक्षण में अधिकारी वर्ग किसी को कुछ समझ नही रहे हैं, आमजन आज अपना काम कराने गली-गली भटक रहा है,कार्यालयों में स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। कोई काम कराने के लिए लोगो को महीनो चक्कर लगाना पड़ रहा है, अधिकारी न तो अपने कार्यालय में मिलते हैं और न ही लोगो का काम निपटा रहे हैं। काम निपटाने में अधिकारियों की रूचि एकदम खत्म हो गई है। जनता परेषान होती है तो होती रहे की तर्ज पर अधिकारी वर्ग अपना समय काटने में व्यस्त हैं जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की उदासीनता के कारण हालात और खराब हो चुका है। लोग अपनी शिकायत लेकर जांए ता जांए कहां उनकी सुनने वाला कोई नही है। आज लोग अधिकारियों की तानाशाही के वक्त पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े के समय को याद कर रहे है लोग उनसे मिलकर किसी भी स्तर का काम आसानी से करा लेते थे। कलेक्टोरेट से लेकर अन्य कार्यालयों में लोगो को अपना काम कराने के लिए चक्कर काटते देखा जा सकता है। तारीख पर तारीख का कहावत कोरिया जिले में चरितार्थ होता दिख रहा है।
कोरिया कलेक्टोरेट में अधिकारियों की कमी तो है ही लेकिन जो अधिकारी हैं वे भी काम कर पाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं, बतलाया जाता है कि कई ऐसे विभाग हैं जहां पर काम कराने के बाद भुगतान तक नही किया जाता है। संबंधित शाखाओ के बाबु से लेकर प्रभारी अधिकारी तक लोगो को प्रताडि़त करने में कोई कमी नही कर रहे हैं। पिछले दिनों संपन्न हुए पंचायत चुनाव के दौरान पता चला कि एक वाहन स्वामी ने प्रशासन को किराये पर अपनी वाहन देने से मना कर दिया। कारण पता करने पर मालूम चला कि उसके वाहन का लाखो का भुगतान नही किया गया है। सूत्रों ने बतलाया कि वाहन स्वामी कार्यालय का चक्कर लगा लगा कर परेशान है अधिकारी कुछ न कुछ बहाना कर सालो से बिल भुगतान नही कर रहे हैं। उक्त वाहन स्वामी द्वारा जिला प्रशासन के मुखिया के समक्ष भी कई बार गुहार लगाई गई लेकिन उसकी कही सुनवाई नही हो रही है। एक अन्य मामले में बतलाया जाता है कि कोविड काल के दौरान भी स्थानीय वाहन स्वामियों की वाहनें अधिग्रहित की गई थी, उस दौरान वाहन के लिए केवल डीजल पर्ची दी गई थी आज लगभग दो वर्ष बाद भी उनके वाहनो का किराया भुगतान नही किया गया है। वाहन स्वामी तहसीलदार, एसडीएम से लेकर कलेक्टोरेट तक का चक्कर लगा रहे है। लेकिन उन्हे भुगतान नही हो पा रहा है। अब वाहन स्वामियों के पास न्यायालय ही एकमात्र सहारा बचा है। कुछ इसी प्रकार का हाल ठेकेदारों का है जिले के कुछ विभागो का हाल ऐसा है कि काम कराने के बाद ठेकेदारो को बिल भुगतान के लिए महीनो से घुमाया जा रहा है कभी फंड का रोना, कभी कोई और परेशानी का बहाना बनाकर घुमाया जाता है।
बेलगाम हैं निचले स्तर के अधिकारी
जिले में प्रशासनिक प्रमुख कलेक्टर द्वारा किसी भी योजना या कार्य को लेकर चुस्ती तो दिखलाई जा रही है लेकिन वह चुस्ती सिर्फ और मीटिंग तक सीमित रह गया है। निचले स्तर के अधिकारी कागजी खानापूर्ति कर कलेक्टर और शासन को दिग्भ्रमित करने में कोई कमी नही कर रहे हैं। कलेक्टोरेट में आए दिन मीटिंग के माध्यम से योजनाओं एवं कार्यो की समीक्षा की जाती है जिसमें अधिकारी वर्ग झूठी जानकारी देकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। कलेक्टर को गुमराह करने में कोई कमी नही छोड़ी जा रही है, धरातल पर योजनाओं का हाल बेहाल है। कार्यालय में बैठकर फर्जी डाटा तैयार कर कलेक्टर के समक्ष रख दिया जाता है, लेकिन इन सभी के बीच आम जन परेशान है। उसे अपना काम कराने में ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। प्रषासन से आम जन का मोह भंग हो चुका है। यही कारण है कि जब भी प्रदेष के मुख्यमंत्री या कि अन्य मंत्रियो का आगमन होता है तो षिकायतकर्ताओं की लंबी लाईन लगी होती है हलांकि उन्हे मंत्री मुख्यमंत्री से मिलने नही दिया जाता लेकिन यह सच्चाई किसी से छिपी नही है। स्थानीय विधायक और संसदीय सचिव को खुश कर प्रशासन वाहवाही लूटते रहता है। जिले में चुनिंदा अधिकारी ही हैं जो कि अपना काम ईमानदारी पूर्वक कर रहे हैं बाकी अफसर सिर्फ यहां समय काट रहे हैं।
एसडीएम अंकिता सोम का कामकाज भगवान भरोसे
जिला मुख्यालय के एसडीएम यानि अुनविभागीय अधिकारी राजस्व का पद काफी अहम होता है, उनके पास अधिक जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन बैकंुठपुर एसडीएम अंकिता सोम की पदस्थापना के बाद से आम जन को अपना काम कराना काफी कठिन हो गया है। लोग अपने वास्तविक काम के लिए एसडीएम कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं,एक भू स्वामी ने नाम न छापने की शर्त पर बतलाया कि वह अपने भूमि संबधी काम के लिए 3 महीने से एसडीएम कार्यालय का चक्कर लगा रहा है,एसडीएम कार्यालय जाने पर बतलाया जाता है कि मैडम जिला कार्यालय में हैं और जिला कार्यालय जाने पर बतलाया जाता है कि मैडम एसडीएम कार्यालय में बैठी हैं। लेकिन मैडम से आज तक मुलाकात नही हो पा रही है। एक पक्षकार पे बताया कि जरूरी काम के लिए शासन द्वारा एक समय सीमा निर्धारित की गई है लेकिन यहां समय सीमा में काम हो पाना काफी कठिन हो गया है। लोग एसडीएम की कार्यप्रणाली से त्रस्त है। कुछ विभागीय सूत्रों ने बतलाया कि कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों को भी अपना काम के लिए भटकना पड़ता है। किसी भी फाईल पर हस्ताक्षर के लिए कई बार निवेदन करने के बाद भी हस्ताक्षर नही हो पाता। इस बारे में उनकी मानसिकता समझ से परे है या फिर उनके द्वारा लोगो को जानबूझकर परेषान किया जाता है। यही हाल कलेक्टोरेट के उन शाखाओं का है जिसकी ओईसी अंकिता सोम हैं। बतलाया जाता है कि संयुक्त कलेक्टर अंकिता सोम के पास कलेक्टोरेट के कई शाखाओं की जिम्मेदारी है, एक प्रभारी अधिकारी के रूप में उन्हे हर फाईलो में हस्ताक्षर करना होता है इसके लिए संबंधित शाखाओ के कर्मचारी उनके चक्कर लगाते फिरते हैं कई दिनो तक घूमने के बाद बड़ी मुश्किल से एक फाईल पर हस्ताक्षर हो पाता है। वर्तमान में संयुक्त कलेक्टर अनिल सिदार छुट्टी पर हैं जिससे कि उनका भी कुछ प्रभार श्रीमती सोम को दे दिया गया है लेकिन उनके द्वारा ठीक ढंग से काम न कर पाने के कारण प्रषासन की जमकर किरकिरी हो रही है।
कलेक्टर ने आज तक नही लिया संज्ञान
कलेक्टोरेट सहित एसडीएम व अन्य कार्यालयों में अपना काम कराने लोगो को रोज दो चार होना पड़ रहा है, अधिकारी निरंकुष हो गए हैं, और इस बार पुनःप्रदेष के मुखिया के आगमन पर षिकायत की बात कर रहे हैं। अधिकारियों के निरंकुषपन का ताजा मामला हाल ही मे देखने को मिला है जिसमें कि बैकुंठपुर जनपद पंचायत के सीईओ के खिलाफ जनप्रतिनिधियों ने आवाज बुलंद किया है। उन्हे धरना प्रदर्षन करना पड़ रहा है सीईओ और प्रषासन के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है। जिले मे यह पहला ही मामला है कि एक अधिकारी को हटाने विपक्ष क्या साापक्ष भी खुलकर सामने आ गया है। लचर प्रशासनिक व्यवस्था का स्पष्ट उदाहरण कहीं देखने को नही मिलेगा। लेकिन इन सभी मुद्दो से जिले के प्रषासनिक प्रमुख कैसे अंजान हैं यह समझ से परे है या कि फिर वे सब जानते हुए भी अंजान बने हुए है। प्रषासन की इतनी किरकिरी पहले कभी नही हुई। वर्तमान में जिला प्रशासन बेहतर परिणाम दे पाने में सक्षम नही है,लापरवाह और तानाशाह अधिकारियों के बदौलत योजनाओं ने धरातल पर दम तोड़ दिया है। अधिकारियों से आमजन बुरी तरह परेषान हैं,जिम्मेदार जनप्रतिनिधि अधिकारियो को पूरा सहयोग कर रहे है जिससे कि स्थिति और बदतर हो चुकी है। लचर प्रशासनिक व्यवस्था का परिणाम आने वाले विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।


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