विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही पूर्व कैबिनेट मंत्री के घर के सामने पसरा रहता था सन्नाटा
उप चुनाव में पुत्रवधु की जीत के बाद ही अचानक फिर से घरों में आने जाने वालों की लगने लगी कतार
पूर्व कैबिनेट मंत्री उप चुनाव में पुत्रवधु की जीत पर बधाई देने इतने लोग जुटे जीतने उनकी खुद की जीत में कभी नहीं जुटे होगे
पूर्व में भी विधानसभा चुनाव में हार का समाना कर पूर्व कैबिनेट मंत्री ने लड़ा था जिला पंचायत सदस्य का चुनाव
जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीतने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में पूर्व कैबिनेट मंत्री ने की थी जीत दर्ज
क्या फिर उसी तरह का बन रहा है संयोग,क्या इस बार भी पूर्व कैबिनेट मंत्री जीत सकते हैं विधानसभा चुनाव
-रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 11 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। विधानसभा चुनाव 2018 में पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे भइयालाल राजवाड़े ने यह नहीं सोचा होगा कि वह चुनाव हार जाएंगे और प्रदेश में भाजपा सत्ता से बाहर चली जाएगी, यह एक ऐसे भाजपा के प्रत्याशी थे जिनके हारने की उम्मीद किसी को नहीं थी पर इनका हार हुई और किसी को इस हार पर भरोसा भी नहीं हुआ पर परिणाम तो परिणाम होते हैं भरोसा तो करना ही पड़ता है लोगों ने भरोसा करके उस हार को स्वीकार किया और फिर नए विधायक के साथ चलने का प्रयास किया सोचा कि शायद नए विधायक पहले विधायक से बेहतर साबित हों, भरोसा तो भरोसा ही होता है अब भरोसा करना पड़ता है जनता ने भरोसा भी किया और नए विधायक के साथ चार सालों का समय भी काटा, 4 साल के दरम्यान में जनता ने एक बार फिर आकलन किया कि कौन विधायक अच्छा है और उस आकलन को अब जनता जिले में हुए उप चुनाव में सबके सामने रख गई, पूर्व कैबिनेट मंत्री भइयालाल राजवाड़े जब तक विधायक व मंत्री थे तब तक उनके घरों में लोगों के आने जाने वालों की कतार लगी रहती थी हारने के बाद अचानक से वह कतार ना जाने कहां गुम हो गई और उनके घर के सामने सन्नाटा पसर गया था 4 साल के सन्नाटे के बाद उन्हीं के पुत्र के निधन के बाद उपचुनाव में पुत्रवधू ने जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 से चुनाव जीत लिया, यह जीत पुत्रवधू की तो नहीं मानी जाएगी पर यह जीत पूर्व कैबिनेट मंत्री भईयालाल राजवाड़े की मानी जा सकती है, क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हीं का जनाधार है जो पुत्र के बाद पुत्रवधू को भी अपना आशीर्वाद जनता ने दिया, जिसके बाद एक बार फिर से पूर्व कैबिनेट मंत्री के घर के पास पसरा सन्नाटा खत्म हुआ और चहल-पहल फिर से लौट आई, अब यह माना जा रहा है कि यह चहल-पहल 2023 विधानसभा तक देखी जाएगी।
पुत्रवधू के जीत के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री के घर बधाई देने वालों का लगा तांता
उप चुनाव में जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद जैसे ही पूर्व कैबिनेट मंत्री भइयालाल राजवाड़े की पुत्रवधु घर पहुंची बधाई देने वालों का ताता लगा उन्होंने देखा,बधाई देने हजारों की संख्या में लोग जुटे मिले और जिन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री के जयकारे लगाते हुए उनकी पुत्रवधु को जीत की बधाई दी और साथ ही साथ उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री को भी बधाई दी और उन्हे फूल मालाओं से लाद दिया। पूर्व कैबिनेट मंत्री के घर इस तरह का नजारा 2018 तक देखने को मिलता था जब वह विधायक एवम मंत्री थे।
मेरी स्वयं की जीत पर भी इतने लोगों का हुजूम कभी नहीं जुटा बधाई देने… पूर्व मंत्री भइयालाल राजवाड़े
अपने घर पर बधाई देने जुटे लोगों के हुजूम को देखकर और उनकी बधाई स्वीकार कर पूर्व कैबिनेट मंत्री भइयालाल राजवाड़े खुद को यह कहने से नहीं रोक सके की जब वह चुनाव जीतकर खुद घर लौटा करते थे तब भी इस तरह लोगों का हुजूम कभी नहीं जुटते मैने देखा जबकि मेरी पुत्रवधु की जीत पर जिस तरह लोगों ने घर आकर बधाई दी जिस तरह लोगों ने घर पहुंचना जारी रहा उसे देखकर मैं कह सकता हूं यह मेरे लिए पहला अनुभव था और जो मेरे लिए बाहोत ही उत्साहित करने वाला क्षण था और मैं घर पर बधाई देने जुटे लोगों के प्रति कृतज्ञ हूं।
पूर्व कैबिनेट मंत्री के जनाधार की उठने लगी एक बार फिर बात
पूर्व मंत्री का जनता से जुड़ाव वहीं जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता फिर साबित हुई और वह बड़े जनाधार वाले नेता हैं यह साबित हुआ।पूर्व मंत्री जनता के बीच किस कदर लोकप्रिय हैं यह बात इसी बात से साबित होती है की उप चुनाव में सााधारी दल के समर्थित प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर जनता ने पहुंचा दिया और यदि पूरे प्राप्त मतों की बात की जाए तो यह बात सामने आएगी की सभी प्रत्याशियों के भी यदि मत पूर्व कैबिनेट मंत्री की पुत्रवधु को मिले मतों से तुलना के शामिल किया जाए तो भी पूर्व कैबिनेट मंत्री की पुत्रवधु के जीत का अंतर ज्यादा होगा जो देखा जा सकता है परिणाम देखकर।
क्या विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व कैबिनेट मंत्री एक धागे में भाजपाइयों को पीरों पाएंगे?
अब पूर्व कैबिनेट मंत्री ने उप चुनाव जिला पंचायत सदस्य चुनाव में अपनी पुत्रवधु को बड़ी जीत दिलाकर यह साबित कर दिया की उनका जनाधार आज भी कायम है और फिहलाल उनके सामने भाजपा में कोई उनका स्थान लेने योग्य जनाधार के हिसाब से उपलब्ध है लगता नहीं है। अब पूर्व कैबिनेट मंत्री विधानसभा चुनाव के पूर्व क्या सभी भाजपा नेताओं को कार्यकर्ताओं को एक धागे में पिरोकर अपनी दावेदारी के लिए सफल प्रयास कर पाएंगे यह देखने वाली बात होगी। वैसे यदि भाजपा के हिसाब से भी देखा जाए और जीत के हिसाब से भी देखा जाए तो पूर्व कैबिनेट मंत्री ही बैकुंठपुर विधानसभा से इकलौते जीतने योग्य उम्मीदवार हैं और उनके सामने कोई नहीं।
फिर बना है पहले की ही तरह पूर्व कैबिनेट मंत्री के लिए संयोग
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने जब पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था और उन्होंने ने हारकर भी हार नहीं मानी थी और तत्काल हुए जिला पंचायत चुनाव में उस समय चुनाव लड़ा था और विजय प्राप्त की थी। पूर्व मंत्री का जिला पंचायत सदस्य बनना ही उनके लिए आगे काम आया और जनता से जुड़ाव बने रहने की वजह से उन्हे पुनः अगले विधानसभा में भाजपा ने अवसर दिया और वह लगातार दो बार विधायक चुने गए। इस बार फिर एकबार उसी तरह का संयोग बना है और पूर्व मंत्री पुनः जिला पंचायत उप चुनाव में अपनी पुत्रवधु को जीत दर्ज करा चुके हैं। माना जा रहा है की पूर्व संयोग और अब के हालत के हिसाब से अब पुनः वैसा ही संयोग बना है और पूर्व मंत्री के विधानसभा जाने की सभावना प्रबल हुई है।