- जिला पंचायत उपचुनाव को लेकर कांग्रेस हथियार डाले क्यों खड़ी रही,क्या उन्हें विश्वास था
हमारा प्रत्याशी ऐसे ही जीतेगा ? - अब तो उपचुनाव के नतीजे बताएंगे कौन कितने पानी में?
- कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी को उसी के प्रचार के भरोसे क्यों छोड़ दिया?
- क्या उनका प्रत्याशी इतना मजबूत था कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को प्रचार की जरूरत नहीं थी?
–रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 8 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले का जिला पंचायत उपचुनाव क्षेत्र क्रमांक 06 शुरू से ही विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है प्रचार थम चुका है और आज मतदान होना है पर पूरे घटनाक्रम को देखा जाए तो सत्ताधारी दल कांग्रेस अपने प्रत्याशी को अकेले ही मैदान में छोड़कर किनारे खड़ी रही ऐसा लगा कि पहले से ही वह अपनी हार सुनिश्चित मान चुकी है या फिर वह अपने प्रत्याशी को इतना मजबूत मान रहे हैं कि वह स्वयं के दम पर जीत दर्ज कर लेगा जिसे लेकर तमाम तरीके की चर्चाएं भी देखने और सुनने को मिली रही है, अब अंतिम में इस पर मोहर तो चुनाव के नतीजे ही लगाएंगे। स्थानीय विधायक से लेकर कांग्रेस के तमाम बड़े नेता अपने प्रत्याशी के चुनाव से दूरी जो बनाए रखे है जो एक बड़ा प्रश्न है जिसका जवाब जनता भी जानना चाहती है की कांग्रेस के अंदर खाने में क्या खिचड़ी पक रही?
कोरिया जिले में जिला विभाजन के बाद एक ही विधानसभा शेष रह जा रहा है और विधायक भी एक ही शेष रह गईं हैं अविभाजित कोरिया जिला होता तो दो अन्य विधायक शायद कांग्रेस प्रत्याशी की मदद करने सामने आते अभी तो एकमात्र विधायक जो हैं भी उन्हे एक दिन भी प्रचार में नहीं देखा गया और वह पूरे चुनाव के दौरान प्रत्याशी के पक्ष में कहीं भी कोई सभा करती नजर नहीं आईं। कोरिया जिले के जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 सदस्य हेतु हो रहे उप चुनाव में वैसे देखा जाए तो दोनो प्रमुख दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। एक तरफ वर्तमान सरकार में संसदीय सचिव बैकुंठपुर विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर है और उन्हें ऐन विधानसभा चुनाव से पहले अपने दल के समर्थित उम्मीदवार को जीत दिलाने की जरूरत है क्योंकि आगे आने वाले विधानसभा चुनाव में इस चुनाव का असर निश्चित पड़ेगा वहीं भाजपा के पूर्व बैकुंठपुर विधायक एवम पूर्व कैबिनेट मंत्री भइयालाल राजवाड़े के लिए भी यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय है क्योंकि उनके पुत्र की मृत्यु से रिक्त हुई इस सीट पर उनकी पुत्रवधु चुनाव लड़ रहीं हैं और इस हिसाब से उन्हे किसी भी हाल में यह चुनाव जीतना है और विधानसभा चुनाव में भी इसी चुनाव के परिणाम से वह अपनी मजबूत दावेदारी प्रस्तुत कर पाएंगे।
सत्ताधारी दल प्रचार करने में रहा पीछे
सत्ताधारी दल कांग्रेस पूरे चुनाव प्रचार के दौरान पूरी तरह पीछे दिखा और कहीं भी बड़े नेताओं ने अपने प्रत्याशी के लिए कोई आम सभा नहीं की। सत्ताधारी दल चुनाव में मतदान पूर्व पूरी तरह पीछे रहा और प्रचार प्रसार की कमान संभालने वाले भी क्षेत्र से नदारद दिखे और प्रत्याशी अकेले ही प्रचार में नजर आते रहे। सत्ताधारी दल की तरफ से बैकुंठपुर विधायक भी प्रचार में नजर नहीं आईं और पूरे चुनाव के दौरान उन्हें क्षेत्र में कहीं भी नहीं देखा गया।
भाजपा ने झोंकी है पूरी ताकत
वहीं इस चुनाव को भाजपा ने बड़ी गंभीरता से लिया है और वह पूरे चुनाव प्रचार में अव्वल नजर आई। भाजपा के बड़े नेताओं ने भी पूरे चुनाव के दौरान क्षेत्र में डेरा जमाए रखा और पूर्व मंत्री के साथ सभी क्षेत्र में लगातार प्रचार करते नजर आए। भाजपा ने चुनाव को कितनी गंभीरता से लिया है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की भाजपा ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान दिन रात एक नहीं समझा और उन्होंने भीषण ठंड में भी देर देर रात तक सभाएं की और प्रचार करते रहे।
पूर्व मंत्री ने क्षेत्र में स्वयं सम्हाला प्रचार का जिम्मा
उप चुनाव में पूर्व मंत्री ने अपनी पुत्रवधु की जीत सुनिश्चित करने स्वयं पूरे चुनाव प्रचार का जिम्मा सम्हाले रखा और उन्होंने भाजपा नेताओं के साथ पूरे चुनाव प्रचार में लगातार शिरकत की। पूर्व मंत्री को इस चुनाव में जिस तरह मेहनत करते देखा गया उसको देखकर अन्य नेताओं ने भी उनकी मेहनत की सराहना की और बढ़ी हुई उम्र में उनके जज्बे को अच्छा कहा।