- उम्र महज एक आंकड़ा,जोश और जज्बा आज भी प्रेरणादायक
- 73 वर्ष की उम्र में अपनी पुत्रवधु के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री कर रहें हैं धुंआधार चुनाव प्रचार
- पुत्र के निधन के बाद रिक्त हुई जिला पंचायत सदस्य सीट के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री की पुत्रवधु लड़ रहीं हैं चुनाव
- पूर्व भाजपा विधायक एवम पूर्व कैबिनेट मंत्री भईयालाल राजवाड़े के जिला पंचायत सदस्य पुत्र की हुई असामायिक मृत्यु
- धर्मपत्नी दो पुत्रों के निधन हो जाने पश्चात भी पूर्व मंत्री ने नहीं मानी जीवन में हार
- बहोत कुछ जीवन में खोने के बाद भी जनता से जुड़ाव लगातार बनाकर रखे हुए हैं पूर्व कैबिनेट मंत्री
- राजनीति के मैदान में उर्जा ऐसी की नए नए राजनेता भी पूर्व मंत्री की ऊर्जा देखकर रह जाते हैं अचंभित
-रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 7 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। राजनीति में उम्र की बाध्यता नहीं है और राजनीति उम्र के आखरी पड़ाव तक किया जा सकता है वहीं उम्र के अंतिम पड़ाव तक राजनीति करने के लिए केवल इक्षाशक्ति भर मजबूत होनी चाहिए जनता से जुड़ाव कायम होना चाहिए बस केवल इतना ही करते हुए उम्र के आखिरी पड़ाव तक राजनीति की जा सकती है वह भी सफलतापूर्वक यह साबित कर रहें हैं बैकुंठपुर विधानसभा के पूर्व भाजपा विधायक एवं छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री भइयालाल राजवाड़े जो आजकल दिन रात चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और भीषण ठंड में खासकर गिरते हुए तापमान में भी वह पूरी ऊर्जा के साथ चुनाव प्रचार कर रहें हैं और अपनी पुत्रवधु को जिला पंचायत चुनाव में जीत दिलाने का पूरा पूरा प्रयास कर रहें हैं। पूर्व मंत्री की उम्र 73 वर्ष हो चुकी है और उम्र का भी असर उनके ऊपर पूरे चुनाव प्रचार के दौरान नहीं देखा जा रहा है और वह धुंआधार प्रचार कर रहें हैं और अपनी पुत्रवधु को चुनाव में जीत दिलाने पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहें हैं।
बता दें की पूर्व भाजपा बैकुंठपुर विधायक के बड़े पुत्र जो जिला पंचायत कोरिया के सीट क्रमांक 6 से सदस्य थे और जिनकी मृत्यु अचानक गत वर्ष हो गई थी साथ ही उनकी मृत्यु से जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 की सदस्य सीट भी खाली हो गई थी जिसमें वर्तमान में उप चुनाव हो रहा है और उप चुनाव में पूर्व विधायक पूर्व मंत्री की पुत्रवधु भाजपा से समर्थन लेकर चुनावी मैदान में हैं और इस चुनाव में प्रचार की पूरी कमान स्वयं पूर्व विधायक एवम पूर्व मंत्री सम्हाल रहें हैं और जीत के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। भाजपा से दो बार बैकुंठपुर विधानसभा से विधायक रह चुके एवम एकबार संसदीय सचिव एवम एकबार कैबिनेट मंत्री रह चुके भइयालाल राजवाड़े बैकुंठपुर विधानसभा में काफी लोकप्रिय हैं और उनकी कार्य करने की शैली और उनका जनता से जुड़ाव ऐसा है की आज जबकि वह विधायक नहीं हैं फिर भी लोग अपनी समस्या लेकर उनके पास जाना ही ज्यादा उपयुक्त मानते हैं और उन्ही से राय मशवरा लेते हैं।
73 के पड़ाव में भी पूर्व मंत्री की ऊर्जा से प्रेणना लेने की जरुरत
अपने संसदीय सचिव व मंत्री रहने के दौरान उन्होंने जनता के बीच जनसेवा की जो छाप छोड़ी है यह उसी का नतीजा है की आज भी जनता उनसे अपेक्षा रखती है उनसे उम्मीद रखती है वहीं उम्र 73 वर्ष हो जाने के बाद भी पूर्व मंत्री की ऊर्जा और उनका जनता से जो जुड़ाव पूर्व से बना आया हुआ है उसमे कोई कमी नहीं आई है और आज भी जनता उनसे जुड़ी हुई है और उनके पास जाना समस्या का हल हो जाना मानती है। 73 वर्ष की उम्र की पूर्व मंत्री की ऊर्जा देखकर आज नए नए राजनेता भी अचंभित हो जाते हैं और उन्हें आदर्श रूप में मानकर उनके अनुरूप चलने की कोशिश करते हैं। अपनी पुत्रवधु को उप चुनाव में जीत दिलाने पूर्व मंत्री रात दिन एक किए हुए हैं वह देर रात तक चुनावी सभाओं में शिरकत कर रहें हैं और वहीं वह सुबह भी जल्द ही चुनावी क्षेत्र में पहुंच जा रहें हैं और प्रचार की कमान खुद सम्हाल रहें हैं। भाजपा में भी पूर्व मंत्री की ऊर्जा को लेकर विधायक पद के अन्य दावेदार फिलहाल सकते में हैं और वह चिंतित हैं की पूर्व मंत्री उम्र के इस पड़ाव में जिस तरह क्षेत्र में भ्रमण कर रहें हैं जिस तरह वह जनता से जुड़ रहें हैं आने वाले समय में विधानसभा चुनाव में वह टिकट के मजबूत दावेदार हो सकते हैं।
दुखों के पहाड़ भी नींव पर हुए बेअसर, सेवा भाव इस पड़ाव पर भी बरकरार
राजनीति में जीवंतता का ऐसा उदाहरण बहुत ही बिरला देखने को मिलता है जहां उम्र महज एक आंकड़ा है। जोश और जुनून, लोगों से जुड़ाव, कार्यक्षमता और सकारात्मक ऊर्जा के साथ नित नए आयाम गढ़ने की क्षमता से लबरेज छाीसगढ़ शासन के पूर्व कैबिनेट मंत्री का पूरा जीवन अपने आप में एक प्रेरक प्रसंग की भांति है। उम्र के 70 से ज्यादा बसंत पार करने में बहुत मोड़ आए, जीवन में कुछ ऐसे दुखदाई क्षण भी आए, जिससे अच्छे अच्छों का आत्मविश्वास डगमगा जाए, इच्छाशक्ति का दमन हो, इंसान भीतर से टूट जाए। पर जिसने समाज को ही अपना परिवार मान लिया हो, जो जनता के सुख-दुख को अपना सुख दुख समझे, उसका मार्ग से विचलित होना बड़ा कठिन है और यही बातें भैयालाल को विलक्षण बनाती हैं। जीवन में बहुत कुछ सहन करने और अपनों को खोने के बाद भी आगे बढ़ने की महत्वाकांक्षा और सेवा भाव ऐसा कि दिन और रात सब बराबर हैं। यही कारण है कि क्षेत्र की जनता निर्बाध रूप से उनसे कभी भी और कहीं भी अपनी फरियाद लेकर पहुंचती है और यथासंभव उन्हें निराशा भी हाथ नहीं लगती। राजनीति की परिभाषा सेवा भाव और निश्च्छलता को सादगी के साथ अपने जीवन में चारित्रिक रूप से ग्रहण करने वाले भैयालाल किसी भी राजनीति में पदार्पण करने वाले व्यक्ति के प्रेरणा हो सकते हैं। बशर्ते वे राजनीति को सुचिता के साथ ग्रहण करने की भावना रखते हों।