बैकुण्ठपुर@आरक्षण को लेकर राज्य स्तरीय आंदोलन में संसदीय सचिव बैकुंठपुर विधायक की दिखी सक्रियता

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  • अनारक्षित वर्ग से आने के बावजूद आरक्षण मामले में आरक्षित वर्ग के साथ खड़ी हैं विधायक
  • आरक्षित वर्ग के आरक्षण खासकर जनजातीय समुदाय के आरक्षण मामले में विधायक दिख रहीं हैं गंभीर
  • आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के 10 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर 4 प्रतिशत किये जाने पर फिर हैं मौन

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 4 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले की एकमात्र विधायक साथ ही छत्तीसगढ़ शासन में संसदीय सचिव वहीं स्वयं अनारक्षित विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर आने वाली महिला विधायक अम्बिका सिंहदेव प्रदेश स्तर पर आयोजित आरक्षण को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में काफी सक्रिय नजर आईं और उन्होंने जनजातीय समुदाय के आरक्षण के लिए पुरजोर तरीके से मांग रखी जिसकी तस्वीर उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर साझा भी की।
बैकुंठपुर विधायक ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट से यह साबित किया कि वह जनजातीय समुदाय के आरक्षण मामले को लेकर गंभीर हैं और वह इस मामले में उनके साथ हैं वहीं उन्होंने गरीब तबके के आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय के 10 प्रतिशत आरक्षण को 4 प्रतिशत किये जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है जिससे साबित है कि वह बहुसंख्यक वर्ग के साथ अपनी राजनीतिक पारी आगे खेलने आतुर हैं और उन्हें आरक्षण मामले में केवल और केवल बहुसंख्यक वर्ग का लाभ ही सामने रखकर अपनी राजनीतिक पारी खेलनी है और वह इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। वैसे बैकुंठपुर विधायक ने जनजातीय समुदाय की बात करते हुए क्षेत्र से आये जनजातीय समुदाय के लोगों से इस विरोध प्रदर्शन के दौरान मुलाकात की बात भी सोशल मीडिया पर लिखी है और जैसा कि तस्वीरों में देखा जा सकता है जनजातीय समुदाय से विरोध प्रदर्शन में पहुचने वालों के रूप में जिनकी तस्वीर उन्होंने साझा की है उसमें से अधिकांश महिलाएं कर्मचारी हैं वह भी वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। बैकुंठपुर विधायक ने आरक्षण मामले में जनजातीय समुदाय का ही केवल जिक्र किया है और उसी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ उन्होंने मुलाकात की तस्वीर साझा की है जबकि आरक्षण मामले में प्रभावित पक्ष अनुसूचित जाति भी है और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग साथ ही पिछड़ा वर्ग भी है जिसमें अनुसूचित जाति एवम आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग का आरक्षण वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तुत विधेयक में प्रभावित हो रहा है और उस मामले में बैकुंठपुर विधायक ने कोई भी जानकारी या प्रयास साझा नहीं किया है।
राजनीति में बहुसंख्यक वर्ग को ही सामने रखकर राजनीतिक दल राजनीति में अपनी रोटी सेंकते हैं
राजनीति में बहुसंख्यक वर्ग को ही सामने रखकर राजनीतिक दल राजनीति में अपनी रोटी सेंकते हैं और अपनी जीत सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं यह इस मामले को देखकर समझा जा सकता है जबकि राजनीति में जनता की सेवा करने का अवसर किसी दल को केवल एक समुदाय से प्राप्त होता है ऐसा नहीं है समाज के सभी जाति संवर्ग के लोगों द्वारा किसी सरकार को इसलिए स्थापित किया जाता है कि वह समाज के सभी वर्गों जातियों को एकसाथ एक नजर से देखने की कोशिश करते हुए सरकार चलाये और लाभ विषयों में सभी को समान लाभ एवम अधिकार मामले में सभी को समान अधिकार मिल सके।
अनारक्षित वर्ग की फिक्र करते नहीं देखा गया
वैसे आरक्षण मामले में अनारक्षित वर्ग से चुनाव जीतकर विधायक और मंत्री ज्यादा संजीदा हैं ज्यादा परेशान हैं उन्हें अनारक्षित वर्ग की फिक्र करते इसलिए नहीं देखा जा रहा है क्योंकि उन्हें भी मालूम है कि बहुसंख्यक वर्ग ही उन्हें दोबारा कुर्सी तक पहुंचा सकता है अन्य सीमित वर्ग नहीं इसलिए वह आरक्षण लागू करने के पक्ष में जी जान से जुटे हुए हैं और बाकायदा इसका प्रदर्शन भी वह कर रहें हैं। आज जब छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर सरकार के विधेयक पर राजभवन से अनुशंसा रुकी हुई है वहीं इस मामले में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल इस मामले में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर मामले में अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे हुए हैं। अब देखना है कि किसको फायदा मिलता है किसको नुकसान होगा।


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