बैकुण्ठपुर @सड़क चौड़ीकरण की नपाई में प्रशासन दे रहा विवाद को जन्म

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  • एकरूपता अपनाकर नही हो रही सड़क की नपाई
  • जहां पर लगता है जाम वहां मात्र 20 फिट नपाई से अन्य व्यापारी नाराज

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 30 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिला मुख्यालय में बहुप्रतिक्षित सड़क चौड़ीकरण के लिए प्रशासन ने एक बार फिर आगे आते हुए नापजोख का कार्य शुरू कराया है, लेकिन नपाई कार्य शुरू होते ही प्रशासन ने विवाद को भी जन्म दे दिया है। समझ से परे इस नापजोख की स्थिति देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे प्रशासन भी शहरवासियों के साथ मजाक कर रहा है। प्रशासन जनभावनाओ के साथ खिलवाड़ कर रहा है आने वाले समय में सड़क चौड़ीकरण हो पाएगा या नही यह सवाल अब एक बार शुरू हो गया है। नापजोख में अपनाई जा रही विशमता को देखते हुए धीरे-धीरे आका्रेश भी बढता जा रहा है, लोग इस अभियान का अब मजाक भी उड़ा रहे हैं तो वहीं एकरूपता न होने की स्थिति में लोग न्यायालय की शरण में जाने की बात अभी से कर रहे हैं।
एक दशक में जिला मुख्यालय की सड़क चौड़ीकरण को लेकर कई बार नापजोख का काम किया जा चुका है, इस कार्य में लगे अमले का कहना है कि उन्हे आदेश मिला है तो नपाई कार्य किया जा रहा है, चौड़ीकरण हो पाएगा या नही कुछ कहा नही जा सकता। बैकुंठपुर में सड़क चौड़ीकरण को लेकर आए दिन आवाज उठ रही है आम नागरिक के साथ ही व्यापारी भी चौड़ीकरण के पक्ष में हैं, व्यापारियों का भी मत है कि बहुप्रतिक्षित सड़क चैड़ीकरण का काम जल्द से जल्द होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि सड़क चैड़ीकरण न होने के कारण होने वाली परेशानी और उसमें बार-बार अड़ंगा को लेकर घटती घटना अखबार द्वारा पिछले कई दिनो से खबर का प्रकाशन किया जा रहा था, मामले पर स्थानीय विधायक और संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव ने भी खबर को लेकर अखबार के प्रतिनिधि से बात किया और कहा था कि चौड़ीकरण का कार्य अवश्य होगा। इसके बाद पिछले महीने कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने समय सीमा की बैठक के बाद प्रशासनिक अमले को साथ लेकर चौड़ीकरण के लिए निरीक्षण किया गया एक टीम बनाई गई और टीम को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया था। हलांकि यह अलग बात है कि कलेक्टर द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय निर्धारित किया गया था जिसमें एक पखवाड़ा से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट प्रस्तुत नही किया जा सका है।
खरवत से जमगहना तक हो रही नपाई
कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के निर्देशानुसार नगरपालिका और लोक निर्माण विभाग की टीम के द्वारा इन दिनों सड़क चौड़ीकरण के लिए नपाई का काम किया जा रहा है। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो चौड़ीकरण का कार्य खरवत चैक से जमगहना तक किया जाएगा।
एकरूपता नही, पनप रहा आक्रोश
सड़क चौड़ीकरण के लिए नपाई का काम तो शुरू तो किया गया है लेकिन इसके लिए अपनाया जा रहा मापदंड समझ से परे है। हर वर्ग इस मापदंड को गलत बतला रहा है। बतलाया जाता है कि नगरपालिका कार्यालय से लेकर फौव्वारा चैक तक बीच सड़क से दोनो ओर 20-20 फुट की नपाई की गई है जबकि बाकी के हिस्से में 40-40 फिट की नपाई की जा रही है। नगरपालिका और लोक निर्माण विभाग का अमला कई दिनों से नपाई कर मार्किंग का काम कर रहा है। आश्चर्यजनक बात यह है कि जिस स्थान पर सबसे ज्यादा भीड़ रहती है जहां रोज जाम लगता है वहां पर 20 फिट की नपाई की जा रही है और जहां पर आज तक जाम की स्थिति बनी ही नही वहां पर 40 फिट की नपाई हो रही है। इस नपाई अभियान में विषमता देखकर लोगो को लगने लगा है कि इस बार भी चौड़ीकरण अभियान की दिशा में बढा कदम महज कागजी दिखावा है। आमजन के समझ से परे है कि एक ही शहर में प्रशासन आखिर दोहरा मापदंड क्यो अपना रहा है।
तो न्यायालय की शरण लेंगे लोग
सड़क चौड़ीकरण की दिषा में हालांकि यह पहला कदम है जिसके बाद रिपोर्ट कलेक्टर को सौपी जाएगी कलेक्टर का निर्णय ही अंतिम होगा कि कहां पर कितना फिट लिया जाएगा। लेकिन वर्तमान स्थिति देखकर कई व्यापारी विरोध की स्थिति में हैं और उनका कहना है कि यदि प्रषासन मुंहदेखी काम करता है और बीच मे जाम वाली जगह पर 20 फिट और बाकी जगह 40 फिट लिया जाता है तो फिर विरोध किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो न्यायालय जाने से भी पीछे नही हटेंगे। जैसे-जैसे नपाई का काम अंतिम चरण पर पहुंच रहा है वैसे-वैसे लोग प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। सभी का कहना है कि हर जगह एकरूपता अपनाई जाए जिससे कि कही विरोध न हो।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका संदेहास्पद
किसी भी शहर के विकास में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम होती है उनका हस्तक्षेप भी जरूरी होता है जिससे कि प्रशासन मनमर्जी न कर सके। मुख्यालय में स्थानीय विधायक का भी आवास है साथ ही अनेक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी निवास करतै है। साा पक्ष से जुड़े नेता भी इस शहर में हैं और विपक्ष के नेता भी। लेकिन आज तक किसी ने भी इस बारे में आगे आकर प्रशासन के सामने अपनी बात नही रखी है। जनप्रतिनिधि भी वोट बैंक की राजनीति के आगे बेबस और लाचार है, चौड़ीकरण हो या न हो स्थानीय जनप्रतिनिधियो को कोई लेना देना नही है। जिससे कि जनप्रतिनिधियो की भूमिका संदेहास्पद है और चिंताजनक भी। प्रशासन द्वारा आखिर किस सोच के साथ इस प्रकार का दोहरा मापदंड अपनाकर नपाई का कार्य कराया जा रहा है यह तो समझ से परे है और इसमें भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि पूर्व की भांति इस बार भी प्रशासन को दिग्भ्रमित कर दिया गया हैं जानबुझकर ऐसा सुझाव दिया गया है जिससे कि आगे चलकर विरोध हो और चैड़ीकरण का कार्य फिर से ठप्प पड़ जाए। बहरहाल प्रशासन को जनभावनाओं और व्यापारियों का ख्याल रखते हुए ही इस दिशा में कदम बढाना चाहिए नही तो फिर से शहरवासियों के लिए चौड़ीकरण एक सपना बनकर रह जाएगा।


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