- अवैध शराब व क्लब बार मामले में क्यों मनेंद्रगढ़ विधायक सहित चिरमिरी महापौर खुद करा रहे अपनी किरकिरी?
- विधायक व महापौर सही तो क्लब की आड़ में अवैध तरीके से संचालित बार पर क्यों नहीं करवा रहे कार्यवाही?
- क्लब बार की सूची में मनेंद्रगढ़ विधायक की पत्नी चिरमिरी की महापौर का नाम बतौर सदस्य है दर्ज
- अवैध कारोबारों को लेकर मनेंद्रगढ़ विधायक क्यों हो जाते हैं संजीदा,खड़े हो जाते हैं कारोबार के पक्ष में?
- कोयला हो या शराब,मनेंद्रगढ़ विधायक का अवैध कारोबारों से नाता उन्हें कर रहा बेजार
- महापौर पत्नी का नाम अवैध मयखाने में सदस्य बतौर शासकीय दस्तावेजों में है दर्ज
- विधायक फिर भी पूर्व विधायक और विपक्ष पर हो रहें हैं आक्रामक,जबकि दोष है उनका
- कार्यवाही करने की इच्छा नहीं और विरोध दर्ज करा मामले को अलग मोड़ देने की जुगत में विधायक व महापौर
- सवाल ये नहीं है कि कौन शराब पीता है या नहीं? सवाल है कि क्या क्लब की आड़ में अवैध शराब का कारोबार हुआ या नहीं?
- महिलाओं का अपमान बताकर क्या मनेंद्रगढ़ विधायक एवम उनकी महापौर पत्नी खुद की गलतियों पर पर्दा डालने की कर रहें कोशिश?
–रवि सिंह –
चिरमिरी 29 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। मुझे पीने शौक नहीं पीता हूँ गम भुलाने को, पुराना यह गाना मय कहने का मतलब शराब की खासियत बयान करने के लिए भले ही बेहतर था लेकिन वर्तमान में मनेंद्रगढ़ में जो राजनीतिक घटनाक्रम शराब के इर्द गिर्द पिछले कई वर्षों से घूम रहा है उसके लिए सही नहीं है कहा जा सकता है। मनेंद्रगढ़ अभी अभी नवीन जिला बना है और जिले के मुख्यालय में एक अवैध शराब के अड्डे को लेकर आजकल सत्ताधारी दल के विधायक और उनकी धर्मंपत्नी सुर्खियों में हैं क्योंकि शासकीय दस्तावेजों के हिसाब से अवैध शराब के अड्डे के शासकीय अनुमति वाले सदस्य सूची में मनेंद्रगढ़ विधायक की धर्मंपत्नी जो महापौर भी हैं उनका नाम सदस्य बतौर दर्ज है और यह हम नहीं यह क्लब की सूची कह रही है पर महापौर का कहना है कि उन्हें तो पता ही नहीं जब उन्हें पता ही नहीं था तो फिर सूची में नाम कैसे जुड़ा? चलो गलत तरीके से जुड़ भी गया तो उस पर क्यों नहीं करवा रही कार्यवाही? जब विपक्ष भाजपा विधायक सहित उनकी महापौर धर्मंपत्नी पर हमलावर है वहीं विपक्ष के हमले से आहत हो रहे विधायक और उनकी धर्मंपत्नी अब जब मामले में खुद को दोषी समझकर बचने का कोई रास्ता नहीं ढूंढ पा रहें हैं वह विपक्ष पर महिला अपमान का आरोप लगा रहें हैं, जबकि वह खुद भी जान रहें हैं मामले में वह ऐसे ही बच निकल पाने में सफल नहीं होंगे।
ज्ञात हो कि मनेंद्रगढ़ विधायक और उनकी महापौर धर्मंपत्नी आजकल सुर्खियों में हैं। मामला भी सुर्खियों वाला ही है क्योंकि मामला मयखाने से जुड़ा हुआ है और वह भी अवैध रूप से मय परोसने वाले मयखाने से जुड़ा हुआ है। अविभाजित कोरिया जिले की बात हो या आज के नवीन एमसीबी जिले की बात हो मनेंद्रगढ़ में राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर स्थित एक होटल या जिसे लगातार अघोषित मयखाने का भी यदि खिताब दिया जाए तो गलत नहीं होगा के बारे में शायद ही कोई मय प्रेमी अनभिज्ञ हो या कहें तो सभी मामले से भिज्ञ होंगे यह भी कहना गलत नहीं होगा। वर्षों से होटल में अघोषित रूप से मय परोशी जाती आ रही है और वर्तमान में होटल इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि होटल ने मय परोसने के लिए शासन से अनुमति ली है और वह भी क्लब के रूप में अनुमति ली है जिसके अनुसार उसे उन सीमित लोगों को मय परोशने की अनुमति है जो बतौर सदस्य होटल के सदस्य हैं और उनके सहित उनके मेहमानों को शराब परोसी जा सकती है। अब पूरे मामले में जो अनुमति अनुसार पालन करने वाला विषय है होटल के लिए जिसमे सदस्य के अलावा किसी अन्य को शराब नहीं परोसी जानी है में पेंच यह फंस गया कि होटल में क्लब अनुमति की जगह बार लिखकर शराब क्यो बेची जा रही थी?
क्या विधायक और महापौर करवाएंगे कार्यवाही?
क्लब को बार बनाकर अवैध रूप से शराब परोसे जाने मामले में मनेंद्रगढ़ विधायक और उनकी महापौर धर्मंपत्नी की काफी किरकिरी हो रही है, किरकिरी भी इसलिए क्योंकि क्लब सदस्यों की सूची में महापौर का नाम दर्ज है और यह शासकीय दस्तावेज में दर्ज है। अब सवाल यह उठता है कि जब खुद अवैध मयखाने में सदस्य बतौर महापौर का नाम दर्ज है और वह मनेंद्रगढ़ विधायक की धर्मंपत्नी भी हैं और विपक्ष मामले में अवैध शराब कारोबार मामले में विधायक सहित महापौर पर आरोप लगा रहा है ऐसे में क्या विधायक एवं महापौर क्लब संचालक पर कार्यवाही के लिए आगे आएंगे। क्लब पर कार्यवाही और संचालक पर कार्यवाही होगी तभी यह बात सही मानी जायेगी की महापौर का नाम बिना अनुमति ही क्लब सदस्य के रूप में दर्ज कर लिया गया था और कार्यवाही नहीं होती है तो माना जायेगा कि कहीं न कहीं सहमति से नाम सदस्य बतौर दर्ज था और विपक्ष का आरोप सही है। अब देखना होगा कि मनेंद्रगढ़ विधायक व उनकी महापौर धर्मंपत्नी मामले में क्लब संचालक के विरुद्ध कार्यवाही की मांग करती हैं या नहीं।
किरकिरी से बचने के लिए विपक्ष पर लगा रहे हैं निशाना?
पूरे मामले में यदि समझा जाये तो मनेंद्रगढ़ विधायक एवं उनकी महापौर धर्मंपत्नी की काफी किरकिरी हो रही है। किरकिरी हो भी क्यों नहीं जिन्हें जनता ने अपनी सेवा और सुविधा के लिए चुना है जिसे जनता ने अपने लिए आदर्श चुना है यदि उसका नाम गलत कार्यों में सामने आएगा तो जनता जरूर अपने निर्णय पर संदेह करेगी और यही मनेंद्रगढ़ क्लब बार मामले में हो रहा है। मनेंद्रगढ़ विधायक की महापौर धर्मंपत्नी का नाम ऐसे बार क्लब में सदस्य के तौर पर दर्ज है जो अवैध रूप से शराब परोसने का काम करता है। अब मामले में विपक्ष लगातार विधायक व महापौर को कटघरे में खड़ा कर रहा है और प्रश्न कर रहा कि क्या क्लब बार मनेंद्रगढ़ विधायक की महापौर धर्मंपत्नी के नाम पर लायसेंस प्राप्त कर सका है और यदि ऐसा नहीं है तो महापौर कहें विपक्ष संचालक पर कार्यवाही के लिए एकजुट हो जाएगा ऐसे में विपक्ष के आरोपों से मनेंद्रगढ़ विधायक और उनकी महापौर धर्मंपत्नी अब विपक्ष पर ही आरोप लगा रहें हैं और महिला महापौर के अपमान का आरोप लगा रहें हैं। मनेंद्रगढ़ विधायक और उनकी महापौर धर्मंपत्नी का विपक्ष पर लगाया जा रहा आरोप केवल विपक्ष को चुप करने के लिए लगाया जाने वाला आरोप है और अपनी किरकिरी से बचने के लिए लगाया जाने वाला आरोप है जिससे मूल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके जो क्लब बार सदस्य के रूप में मनेंद्रगढ़ विधायक की महापौर धर्मंपत्नी के सदस्य रूप में नाम दर्ज होने को लेकर लगाया जा रहा आरोप है और जिसके अनुसार इन्ही के संरक्षण में वह अवैध मयखाना संचालित है।
अघोषित बार को लेकर भाजपा कर रही विरोध प्रदर्शन
मनेंद्रगढ़ के अवैध क्लब बार को लेकर भाजपा ने भी विरोध प्रदर्शन का निर्णय लिया है ।भाजपा मनेंद्रगढ़ द्वारा 29 दिसम्बर को अवैध बार सील करने को लेकर आंदोलन कर रही है।भाजपा ने जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी है और मांग की है की अवैध मयखाने को यदि बंद नहीं किया गया तो वह उग्र आंदोलन करेगी। पूरे मामले में जिला प्रशासन क्या निर्णय लेता है यह देखने वाली बात होगी क्योंकि क्लब सदस्यों की सूची में कई लोगों ने आपçा दर्ज की है भले ही उन्होंने लिखित आपçा की हो या न कि हो लेकिन उनका कहना है कि उनकी सहमति बगैर उनका नाम सदस्य बतौर दर्ज है ऐसे में जिला प्रशासन क्या ऐसे लोगों से असहमति लेकर शिकायत लेकर क्लब संचालक पर कार्यवाही करती है या नहीं करती है।
संबंधित विभाग क्यों नहीं करता कार्यवाही?
पूरे मामले में आबकारी विभाग भी दोषी कहा जा सकता है,जब महापौर चिरमिरी का नाम क्लब बार सूची में बिना अनुमति दर्ज है और इसका वह बयान भी दे रहीं हैं तो क्यों आबकारी विभाग मौन है क्यों नहीं क्लब बार की मान्यता वह रद्द कर रहा है किसका दबाव है जो आबकारी विभाग मजबूर है यह भी सवाल उठ रहा है।
ग्रीन पार्क क्लब को लेकर विधायक व महापौर की हो रही फजीहत
क्लब बार मामले में सबसे ज्यादा किरकिरी मनेंद्रगढ़ विधायक एवम उनकी महापौर धर्मंपत्नी की हो रही है। क्लब सदस्य के रूप में महापौर का नाम आबकारी विभाग के पास प्रस्तुत सूची में दर्ज है और उसी सूची अनुसार अनुमति मिली है क्लब को। अब मामले में विधायक और महापौर भले ही विपक्ष पर महिला अपमान का आरोप लगा रहें हैं लेकिन जनता के बीच छवि विधायक और महापौर की ही धूमिल हो रही है।
विधानसभा में टिकट कटने का भी खतरा मंडरा रहा
मनेंद्रगढ़ विधायक लगातार अवैध कारोबार के इर्द गिर्द सुर्खियों में बने चले आ रहें हैं। अवैध शराब मामला हो या फिर कोयले की चोरी का मामला मनेंद्रगढ़ विधायक का नाम हर जगह सामने आता रहा है संरक्षण देने के मामले में अब ऐसे में उनके अगले विधानसभा में टिकट कटने का भी खतरा मंडराने लगा है।