बैकुण्ठपुर @कोरिया में भू-माफियाओं के आतंक से कांपी धरती,क्या प्रशासन बेबस कार्यालयीन कर्मचारी भी दलालो के चंगुल में?

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  • कलेक्टर के निवास वाले हल्का में कमजोर भू स्वामी की आंख में धूल झोंक कर उसकी जमीन को हड़पने की कोशिश,क्या शिकायत पर होगी कार्यवाही?
  • पीडि़त भू स्वामी ने संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव से न्याय की लगाई गुहार
  • मुख्यालय में दलालो का आंतक इतना बढ गया है कि धरती भी कांपने लगी है
  • दलालो की पहुंच के आगे कभी नही होती कार्यवाही,कमजोर तबके के लोगो को भू माफिया बनाते है अपना शिकार
  • तहसील,एसडीएम कार्यालय में कर्मचारी व पटवारी, आरआई की पदस्थापना से लेकर विभागीय कामकाज में दलालो का हस्तक्षेप

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 25 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिले में आए दिन भू-माफियाओ के कारनामे सामने आते रहते हैं, गरीब, कमजोर तबके के लोगो को भू-माफिया अपने बातो में उलझाकर विभिन्न तरीके से प्रताडि़त करते हैं, ये भू-माफिया आज की स्थिति में प्रशासन से कोई भी काम कराने का दावा करते फिरते हैं। जिला मुख्यालय में माफियाओ की बाढ सी आ गई हैं, कई भू स्वामी ऐसे हैं जो कि दलालो के चगुंल में फंसे हुए है, तो कई भू स्वामियो की जमीन को गलत तरीके से विक्रय करा दिया गया। कम जमीन का सौदा कर ज्यादा की रजिस्ट्री करा दी गई तो करोड़ो की जमीन को पानी के मोल विक्रय करा दिया गया। मुख्यालय में दलालो का आंतक इतना बढ गया है कि अब धरती भी कांपने लगी है। दलाल जिस जमीन पर पैर रख दे उसी पर विवाद शुरू हो जाता है ऐसा हम नही बल्कि दलालो के डर से सहमे भू स्वामी ही खुद बयां करते हैं। दलालो के आगे अब प्रशासन की नतमस्तक दिखलाई देता है मामला सामने आने के बाद भी उन पर कोई कार्यवाही नही होती।
अब एक ताजा मामला जिला मुख्यालय से लगे ऐसे क्षेत्र का सामने आ रहा है जहां पर दूसरा और कोई नही बल्कि जिले के प्रशासनिक प्रमुख कलेक्टर कोरिया का निवास है, कलेक्टर कोरिया का निवास वर्तमान में बैकुंठपुर तहसील अंतर्गत ओड़गी हल्का में आता है जहां पर एक कमजोर भू स्वामी की आंख में धूल झोंक कर उसकी ज्यादा जमीन को हड़पने की कोशिश की गई है, यहां मामला और दिलचस्प हो गया है क्योंकि इसमें एक शासकीय कर्मचारी का नाम सामने आ रहा है। पीडि़त भू स्वामी ने संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव से न्याय की गुहार लगाई है, अब देखना है कि हमेषा की तरह भू स्वामी के साथ अन्याय होगा या फिर इस बार दलालो पर कार्यवाही होगी। पूरे प्रकरण में कई लाख के वारे न्यारे की बात भी हो रही है।
संसदीय सचिव से मिला पीडि़त,हुई शिकायत
ताजा मामले में मिल रही जानकारी के अनुसार ओड़गी हल्का क्षेत्र के भू स्वामी भैयालाल राजवाड़े ने संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव से मिलकर एक लिखित शिकायती पत्र सौपा हैं, पत्र के अनुसार भैयालाल राजवाड़े की जमीन ओड़गी में स्थित है जिसका खसरा क्रमांक 507/1 है, उसकी जमीन के बगल में सगे भाई बाबूलाल की जमीन है जिसका खसरा क्रमांक 507/3 है। उक्त जमीन को बैकुंठपुर के कुछ भू माफियाओ के द्वारा योजनाबद्व तरीके से खरीदा गया है। भू माफिया एक साल से लगातार बाबूलाल के घर आना जाना कर रहे थे। जिसके बाद दोनो भाईयो में दलालो के द्वारा विवाद उत्पन्न कराया गया। भू-माफियाओ के द्वारा योजनाबद्व तरीके से बाबूलाल की जमीन की रजिस्ट्री कराई गई जिसमें भैयालाल की जमीन भी फंसी हुई है। भू-माफियाओ के द्वारा 15 दिसंबर को खसरा क्रमांक 507/3 की जमीन की नपाई कराई गई जिसके बाद पंचनामा भी बनाया गया लेकिन पंचनामा में भैयालाल की सहमति लिखी गई जबकि भैयालाल इससे सहमत नही था। उक्त खबर जब सोशल मीडिया में प्रसारित हुई तो इससे बौखलाए भू-माफिया द्वारा शुक्रवार की रात व शनिवार को दोपहर में काँल करके जमीन नामांतरण में अपनी सहमति देने हेतु दबाव बनाया गया और मेरे द्वारा मना करने पर जान से मारने की धमकी दी गई और गंदी-गंदी गालियां दी गईं। उक्त घटना के बाद आवेदक और उसका परिवार डरा सहमा हुआ है। सूत्रों की माने तो उक्त पूरे प्रकरण को सुनने के बाद संसदीय सचिव ने भू माफिया समेत जिस कार्यालय में वह पदस्थ है उसके अधिकारियो को भी फटकार लगाई है। और जमीन का नामांतरण न होने के लिए भी निर्देशित किया है। मामला सामने आने के बाद जिला मुख्यालय में जमीन दलालो में हड़कंप मचा हुआ है। तो वहीं इससे शासन प्रषासन की भी जमकर किरकिरी हो रही है देखने वाली बात होगी कि मामला उजागर होने के बाद अब आगे क्या कार्यवाही होगी।
भू-माफिया शासकीय कर्मचारी, हो सकती है कार्यवाही
उक्त पूरे मामले मे मिल रही जानकारी के अनुसार प्रकरण में जिस दलाल का नाम सामने आ रहा है वह लोक निर्माण विभाग में नियमित कर्मचारी है। सूत्र बतलाते हैं कि वर्तमान में उसके द्वारा अपने दोस्तों के साथ मिलकर वृहद स्तर पर जमीन की दलाली की जा रही है। कमजोर तबके के लोगो को बहला फुसलाकर इनके द्वारा जमीन का सौदा काफी कम कीमत पर तय किया जाता है, जिसके बाद पावर ऑफ़ एटार्नी या कि रजिस्ट्री दोस्त के नाम पर कराई जाती है। व बाद में उक्त जमीनो को अधिक दर पर विक्रय किया जाता है। जमीन दलाली के मामले में एक शासकीय कर्मचारी द्वारा नियम कायदो व अपनी सीमाओ को लांघते हुए डंके की चोट पर ऐसा कृत्य किया जा रहा है जो कि समझ से परे है। मामले में जिस प्रकार संसदीय सचिव ने रूचि दिखलाई है उससे लगता है कि दलाली का काम कर रहे एक शासकीय कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है।
दलालो को कर्मचारियों का मिलता है पूरा सहयोग
कोरिया जिले में जिस प्रकार जमीन दलालो ने अपना पैर पसारा है वह काफी चिंतनीय है। इन दलालो का संपर्क तहसील व एसडीएम कार्यालय में बैठे कर्मचारियो से रहता है। दलाल पैसो के दम पर कोई भी काम तुरंत कराने में सफल रहते हैं। जिला मुख्यालय के तहसील कार्यालय में भू स्वामी से ज्यादा दलालो की आवाजाही देखी जाती है। कार्यालय के कुछ कर्मचारी जो कि वर्षो से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं उनके द्वारा दलालो को खुला संरक्षण दिया जाता है। कई दलाल कार्यालय में कर्मचारियों के साथ बैठकर चाय पीते भी नजर आते हैं। वैसे तो कार्यालयीन समय सुबह 10 बजे से 5.30 तक है लेकिन अक्सर दलालो को कार्यालयीन समय के बाद ही तहसील कार्यालय में कर्मचारियों के साथ देखा जाता है। पूरा तहसील कार्यालय दलालो से घिरा होने के कारण वहां का माहौल भी खराब रहता है। तहसील के कई काम में दलालो का खुला हस्तक्षेप दिखलाई देता है। भू स्वामियों की माने तो अपने जमीन का कोई भी काम कराना तहसील से बहुत ही कठिन है, लेकिन दलालो का सहयोग लिया जाता है तो वह काम तुरंत ही हो जाता है,तहसील के कर्मचारी दलालो को खुला संरक्षण प्रदान करते हैं, सूत्रों ने बतलाया कि तहसील बैकुंठपुर में पदस्थ कर्मचारी भी दलालो के साथ मिलकर जमीन अफरा-तफरी का काम कर रहे हैं वे दलालो से मिले हुए हैं दलालो का काम आसानी से कराते हैं और इसके एवज मे मोटी रकम भी वसूलते हैं। जिला प्रशसन और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे तहसील कार्यालय में वर्षो से अंगद के पैर की तरह जमे कर्मचारियों को अन्यत्र स्थानांतरण करें जिससे कि कार्यालय का महौल सुधर सके।
जमीन दलाली में पटवारियों की मुख्य भूमिका
अपनी वाजिब जमीन का कोई भी काम कराने में भू स्वामियो को पटवारियों का चक्कर लगाते देखा जाता है। लेकिन यह कहने में कहीं संकोच नही है कि जमीन दलाली में पटवारियों की मुख्य भूमिका होती है। पटवारी के सहयोग के बिना दलाल भी कुछ नही कर सकता, कई पटवारी ऐसे है जिन्हे हमेषा दलालो के साथ देखा जाता है। सूत्र बतलाते हैं कि कई भोले भाले भू स्वामी जो अपने काम से पटवारी के पास आते हैं उनकी कुछ मजबूरी होती है। इसी का फायदा उठाकर दलालो से संपर्क रखने वाले पटवारी इसकी जानकारी दलाल तक पहुंचा देते है जिसके बाद दलाल ऐन केन प्रकार से भोले भाले भू स्वामियों को अपने चंगुल मे लेकर उनकी जमीन हड़प लेते हैं और भू स्वामियों को परेशान होना पड़ता है।
दलालो की सेटिंग हाई लेवल तक, हर काम में करते हैं हस्तक्षेप
जिले में भू माफिया एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रहे हैं, इनके कारनामे आए दिन सामने आते रहते हैं। सूत्रों ने बतलाया कि दलालो की पहुंच पैसो के बल पर बहुत ही हाई लेवल तक है। जमीन के मामले में जो हल्का अच्छा माना जाता है उसमें दलालो के द्वारा अपने मनमुताबिक पटवारियो की पोस्टिंग कराई जाती है । पोस्टिंग दलालो के माध्यम से होने के कारण पटवारी भी उनका भरपूर सहयोग करते हैं। तहसील व एसडीएम कार्यालय में भी कर्मचारियो को पदस्थ कराने में इनके द्वारा हस्तक्षेप किया जाता है। ऐसे कई काम होते हैं जो कि विभागीय दृष्टि से काफी अहम और गोपनीय होते हैं उनकी जानकारी कई कर्मचारियो को तक नही होती लेकिन वह दलालो को जरूर लीक कर दी जाती है। दलालो तक जानकारी पहुंचने में कर्मचारियो की संलिप्तता देखी जाती है। बहरहाल जमीन दलाली के उक्त प्रकरण मे अब देखने वाली बात है कि प्रशासन क्या कार्यवाही करती है या फिर दलालों की उच्च स्तरीय सेटिंग के कारण कुछ दिनों बाद षिकायत को नस्ती बद्व कर दिया जाएगा।


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