संपादकीय@भाजपा का छत्तीसगढ़ में गुजरात की तर्ज पर विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन करने का निर्णय कितना सही हो सकता?

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गुजरात व छत्तीसगढ़ की भौगोलिक व सामाजिक पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग, राजनीतिक माहौल भी है भिन्न।
गुजरात की तर्ज पर विधानसभा प्रत्याशियों का चयन भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ में हो सकता है नुकसानदायक कहते हैं राजनीतिक विशेसज्ञ।
लेख रवि सिंह:- छत्तीसगढ़ में भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में गुजरात विधानसभा चुनावों में अपनाए गए फार्मूले के आधार पर चुनाव लड़ेगी ऐसी खबर भाजपा से ही बाहर निकल रही हैं,भाजपा ने गुजरात मे जिस फार्मूले के आधार पर वर्तमान विधानसभा चुनाव लड़ा उसका फायदा भाजपा को मिला और भाजापा बड़ी बहुमत विधानसभा गुजरात मे बना सकी यह जरूर देखने को मिला लेकिन भाजपा छत्तीसगढ़ में भी उसी फार्मूले से चुनाव लड़ेगी यह भाजपा के लिए गलत निर्णय हो सकता है।
छत्तीसगढ़ में गुजरात की तर्ज पर चुनाव लड़ना भाजपा की बड़ी गलती हो सकती है ऐसा राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है और उनका कहना है कि गुजरात और छत्तीसगढ़ की भौगोलिक सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग अलग है और छत्तीसगढ़ में गुजरात की तर्ज पर भाजपा के चुनाव लड़ने का निर्णय भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है और भाजपा एकबार फिर छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने से चूक सकती है। वैसे छत्तीसगढ़ में भाजपा जिस गुजरात फार्मूले के आधार पर चुनाव लड़ना चाहती है उस फार्मूले की खबर सुनते ही भाजपा के वे नेता जरूर प्रसन्न नजर आ रहें हैं जो भाजपा में पूर्व विधायकों व वर्तमान विधायकों की जगह विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग कर रहें हैं और जो अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर पुराने की जगह अपना स्थान चाहते हैं कुलमिलाकर नए चेहरे अति उत्साहित हैं और अब उन्हें लगने लगा है कि उनका नम्बर भाजपा के नए फार्मूले के अनुसार लग सकता है और वह प्रत्याशी बन सकते हैं।
भाजपा गुजरात मे विधानसभा चुनाव के दौरन एक नए फार्मूले के साथ चुनाव में उतरी थी और वह फार्मूला था नए चेहरों पर दांव लगाना, भाजपा ने लगभग नए चेहरों को टिकट दिया और सभी जीतकर आये भी और जीत भी धमाकेदार रही गुजरात मे भाजपा की जहां लागातर सत्ता में काबिज भाजपा ने विरोधी लहर जैसी कोई बात सामने ही नही आने दी और जनता ने खुलकर भाजपा का साथ दिया। गुजरात मे भाजपा ने नए चेहरों पर दांव लगाकर विरोधी लहर को कम किया या खत्म किया यह भी भाजपा की एक रणनीति थी और अब भाजपा छत्तीसगढ़ में भी नए चेहरों के सहारे चुनाव मैदान में उतरेगी यह तय नजर आ रहा है। वैसे नए चेहरे कितना अच्छा परिणाम चुनावों में भाजपा को दिला पाएंगे यह अलग बात है जो सामने आएगा ही लेकिन छत्तीसगढ़ में वर्तमान कांग्रेस सरकार बड़ी बहुमत के साथ विधानसभा में अपनी सरकार के साथ सत्ता में है। अब नए चेहरे भाजपा से जो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के वर्तमान विधायकों के साथ आमने सामने होंगे किस तरह उन्हें पराजित कर सकेंगे यह देखने वालों बात होगी वैसे छत्तीसगढ़ की राजनीतिक और भौगोलिक सामाजिक पृष्ठभूमि से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है भाजपा का यह फार्मूला छत्तीसगढ़ में सफल होगा इसमे संशय है।
छत्तीसगढ़ में जिस तरह का राजनीतिक माहौल है जैसा सामाजिक ढांचा है उसके अनुसार नए की जगह पुराने ही सत्ता पर काबिज कांग्रेस के प्रत्याशियों को चुनाव में टक्कर दे सकेंगे नए नहीं। छत्तीसगढ़ में भाजपा राज्य गठन के बाद से ही लागातर 15 साल तक सत्ता पर काबिज रही वहीं सत्ता से जब भाजपा बाहर हुई उसका भी श्रेय कांग्रेस को नहीं जाता, कांग्रेस को सफलता छत्तीसगढ़ में तब मिल सकी जब भाजपा में ही 15 साल की सत्ता पर लगातार काबिज रहने की वजह से अंतर्कलह उपजा, अंतर्कलह और आपसी वर्चस्व की लड़ाई में भाजपा ने खुद ही अपनी गलतियो से सत्ता गवाई यह सभी जानते हैं वरना यदि भाजपा एकजुटता से चुनाव में उतरी होती चुनाब भाजपा ही जीतती। अब पुनः भाजपा छत्तीसगढ़ में सत्ता पर काबिज होने चुनावी मैदान में होगी और इसबार उसका सामना सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी से होगा जो पुनः सत्ता पर काबिज होने चुनावी मैदान में होगी और जमकर घोषणाएं कांग्रेस की तरफ से होंगे जबकि भाजपा सीमित घोषणाओं के साथ ही चुनाव में उतर सकेगी ऐसे में पुनः सत्ता भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ में इतना आसान नहीं।

रवि सिंह

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