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बैकुण्ठपुर@क्या कांग्रेस को जिपं उपचुनाव के लिए क्षेत्र क्रमांक 6 से सामान्य सीट पर सामान्य या ओबीसी प्रत्याशी नहीं मिला?

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  • क्या कांग्रेस के लोग चाह रहें हैं कि इस सीट को हार जाएं और विधायक की हो किरकिरी ?
  • क्या बीजेपी के लोग चाह रहे हैं कि बीजेपी को इस सीट पर मिली हार तो प्रबल विधायक प्रत्याशी दावेदार का कट सकता है पाा?
  • कोरिया जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 के उप चुनाव में सत्ताधारी दल ने आदिवासी वर्ग के प्रत्याशी को दिया मौका
  • पूर्व मंत्री की पुत्रवधू के खिलाफ कांग्रेस ने खेला आदिवासी कार्ड,आदिवासी समुदाय के युवक को दिया मौका
  • पिछड़ा वर्ग बाहुल्य क्षेत्र में अनारक्षित सीट पर कांग्रेस अनारक्षित एवम पिछड़ा वर्ग से भी नहीं ढूंढ पाई उम्मीदवार

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 17 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 अनारक्षित सदस्य सीट जो पूर्व मंत्री एवम पूर्व भाजपा विधायक बैकुंठपुर के पुत्र की असामयिक मृत्यु की वजह से रिक्त हुई है में उप चुनाव होना है और भाजपा ने पूर्व मंत्री की पुत्रवधू को मौका दिया है इस सीट से उप चुनाव में वहीं सत्ताधारी दल ने आदिवासी युवक को मौका दिया है। जिला पंचायत कोरिया क्षेत्र क्रमांक 6 सदस्य की सीट अनारक्षित है और उम्मीद लगाई जा रही थी कि राष्ट्रीय दल होने के नाते सत्ताधारी दल द्वारा इस सीट से सामान्य वर्ग या पिछड़ा वर्ग को मौका दिया जाएगा और जो नहीं हुआ जिसको लेकर अब यह माना जा रहा है कि कांग्रेस ने आदिवासी कार्ड खेलकर सीट अपने नाम करने की जुगत लगाई है।
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 सदस्य की सीट अनारक्षित है और क्षेत्र पिछड़ा वर्ग बाहुल्य वाला है वहीं आदिवासी समाज की भी इस क्षेत्र में बाहुल्यता है जबकि सामान्य वर्ग के लोग भी इस क्षेत्र में निवासरत हैं। सत्ताधारी दल द्वारा आदिवासी युवक को उम्मीदवार बनाये जाने से क्षेत्र के पिछड़ा वर्ग समुदाय के कांग्रेसजनों में मायूसी की खबर है और उनका मानना है कि अनारक्षित सीट से सामान्य या पिछड़ा वर्ग समुदाय को प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए था जो नहीं किया गया जो समाज के हिसाब से गलत हुआ है। भाजपा के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा ने जहां पति की मृत्यु की वजह से पूर्व मंत्री की पुत्रवधू को क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है जो क्षेत्र से ही जिला पंचायत सदस्य थे वहीं भाजपा की प्रत्याशी पिछड़ा वर्ग समुदाय से हैं और इसका फायदा भाजपा को मिलेगा यह तय नजर आ रहा है।
गोंगपा के मैदान में उतरते ही कांग्रेस प्रत्याशी क्षेत्र में पड़ जाएगे कमजोर
क्षेत्र से गोंगपा ने भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है, क्योंकि गोंगपा का क्षेत्र में अच्छा जनाधार है और जनाधार को साबित करने का उसके पास मौका भी है जिसे वह जाने नहीं देगी वहीं गोंगपा के मैदान में सामने आने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी क्षेत्र में कमजोर साबित हो जाएंगे क्योंकि आदिवासी समुदाय का मत गोंगपा की तरफ जाएगा जो निश्चित है। वैसे सत्ताधारी दल ने जिस आदिवासी युवक को लेकर क्षेत्र में दांव खेला है वह पूर्व में जनपद सदस्य रह चुके हैं और उन्हें चुनाव लड़ने का अनुभव है लेकिन क्षेत्र के पिछड़ा वर्ग समुदाय एवम सामान्य वर्ग के समुदाय के उन कांग्रेसजनों में जरूर उदासी देखा जा रहा है जिन्हें अपने अपने समुदाय से प्रत्याशी चयन की उम्मीद थी।
संसदीय सचिव व वर्तमान विधायक के साथ पूर्व मंत्री भाजपा की साख दांव पर
उप चुनाव का परिणाम चाहे जो हो लेकिन राष्ट्रीय दल साथ ही सत्ताधारी दल ने क्यों ऐसा निर्णय लिया जबकि गोंगपा के मैदान में उतरने की पूरी संभावना है और वह आदिवासी समुदाय का समर्थन जरूर प्राप्त करेगा। वहीं यदि पूरा समीकरण यदि दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों का समझा जाये तो दोनों ही दलों के दो बड़े नेताओं जिसमें एक संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन एवम वर्तमान बैकुंठपुर विधायक साथ ही एक पूर्व मंत्री एवम पूर्व विधायक बैकुंठपुर भाजपा की साख दांव पर लगी हुई है। दोनों ही नेताओं के लिए विधानसभा चुनाव पूर्व यह चुनाव एक महत्वपूर्ण चुनाव होगा और दोनों का ही आगामी भविष्य तय करेगा। वर्तमान विधायक यदि इस चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जीत नहीं दिला पाई तो उनकी किरकिरी भी होगी वहीं यह माना जायेगा कि उनका ही जनाधार ही कम हुआ है और पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर डाली जाएगी और उनकी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बतौर दावेदारी कमजोर होगी वहीं यदि भाजपा के नजरिए से देखा जाए तो यदि पूर्व मंत्री एवम पूर्व बैकुंठपुर विधायक की पुत्रवधु की जीत यदि सुनिश्चित होती है तो विधानसभा चुनाव में भाजपा से उनकी दावेदारी पुख़्ता होगी और अन्य सभी दावेदारों की दावेदारी कमजोर पड़ेगी। कुल मिलाकर दोनों ही दलों के विधायक पद के दावेदार नेताओं में से अधिकांश इस चुनाव में मूक दर्शक की भूमिका निभाते नजर आएंगे और पार्टी की जीत के लिए कम ही प्रयास उनकी तरफ से दिखेगा क्योंकि हार में ही उनकी अपनी जीत छुपी होगी और वह अपनी जीत की तलाश में हार को गले लगाएंगे। अब परिणाम जो सामने आए चुनाव का लेकिन दो बड़े नेताओं के लिए यह चुनाव विधानसभा चुनाव पूर्व अपना जनाधार साबित करने का एक बड़ा मौका है जो साबित करना ही उनका बेहतर भविष्य होगा।


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