- शहर के एक व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति कि नहीं लग पाती पुलिस विभाग में गाड़ी
- वाहन अधिग्रहण मामले के भुगतान में हुआ है जमकर फर्जीवाड़ा, सूचना के अधिकार में जानकारी देने से भी कतराते हैं विभाग के कर्मचारी
- क्या बिना निविदा के पुलिस विभाग में नियम विरुद्ध तरीके से लगी है वाहने, एक व्यक्ति की ही सिर्फ क्यो लगती है पुलिस विभाग में वाहन?
- कोरिया जिले में वाहन अधिकरण में एक व्यक्ति स्वास्थ्य विभाग पकड़ कर बैठा है तो दूसरा पुलिस विभाग
- पुलिस विभाग में जो वाहन अधिग्रहण की गई है उसमें से कुछ वाहन टैक्सी परमिट में नहीं प्राइवेट में है
- बिल का भुगतान किसी और के नाम पर वाहन का पंजीयन किसी और के नाम पर, इस तरह होता है गोरख धंधा
- आधा तोर आधा मोर में होता है अधिग्रहित वाहन का भुगतान, वाहन अधिग्रहण मामले का मास्टरमाइंड कौन?
–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 09 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। इस समय शासकीय विभागों में वाहन अधिग्रहण करने की एक नई पॉलिसी आ गई है शासकीय वाहन होने के बावजूद भी कई वाहने अलग-अलग विभागों में बाहर से अधिग्रहण किए जाते हैं, जिसके लिए निविदा भी निकलती है पर कई विभागों में बिना निविदा के सेटिंग से ही वाहन लग जाती हैं, कुछ ऐसा ही कोरिया जिले में भी हो रहा है जहां पुलिस विभाग स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों में वाहनों का अधिग्रहण किया गया है, जिसमें से इस समय कोई सुर्खियों में है तो वह है पुलिस विभाग में अधिग्रहित वाहने इस विभाग में एक व्यक्ति कि इतनी पकड़ है कि उसके अलावा किसी और की वाहन अधिग्रहित नहीं होतीं, बिना निविदा के यहां पर कई वाहन चल रहीं हैं और भुगतान लगातार एक व्यक्ति के नाम पर हो रहा है, वह व्यक्ति कितना प्रभावशाली है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है, वाहन को यदि किसी भी विभाग को किराए पर दिया भी जाता है तो उसका नियम है निजी उपयोग की वाहने नहीं कमर्शियल उपयोग में रजिस्टर्ड वाहन ही दी जाती है पर शहर के एक व्यक्ति की सेटिंग इतनी अच्छी है कि वह निजी वाहन भी अपने नाम पर लगाकर विभाग से पैसे उठा रहे हैं, इस तरह की बातें इस समय जन चर्चा का विषय है वहीं सूत्रों की मानें तो यदि विभाग में लगे वाहनों के दस्तावेज खंगाला जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा पर दस्तावेज खंगालने का अधिकार ना तो पत्रकार के पास है और ना अन्य के पास, इसकी जांच यदि उच्च स्तर पर हो तो सारे फर्जीवाड़ा सामने खड़े हो जाएंगे, सूचना के अधिकार में भी जानकारी नहीं दे पाते कर्मचारी कई, लोगों ने सूचना का अधिकार भी लगाया और कहीं ना कहीं दबाव पूर्वक होने की वजह से यह जानकारी भी ठंडे बस्ते में रह गई।
एक पुलिस अधिकारी जिस वाहन में चल रहे हैं वह टैक्सी परमिट नहीं है निजी वाहन है
कोरिया जिले में एक पुलिस अधिकारी जिस स्कॉर्पियो वाहन में चल रहे हैं शायद उन्हें भी यह बात की जानकारी नहीं होगी कि वह वाहन टैक्सी परमिट में पंजीकृत नहीं है बल्कि निजी में परमिट में उसका पंजीयन है, एक व्यक्ति की सेटिंग ऐसी है कि वह अपने वाहनों को गलत तरीके से भी पुलिस विभाग में लगाकर लाभ ले रहा है और यदि कभी कोई अनहोनी हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या पुलिस में बैठे हुए कर्मचारी जो बिना दस्तावेज जांचे ही वाहनों को अधिग्रहण कर ले रहे हैं या फिर वह व्यक्ति जो गलत दस्तावेज देकर पुलिस को गुमराह कर रहा है?
पुलिस विभाग स्वास्थ्य विभाग में नहीं अधिग्रहित होतीं हैं दूसरे की वाहने
कोरिया जिले के पुलिस विभाग व स्वास्थ्य विभाग में अन्य किसी की वाहने अधिग्रहित नहीं होतीं हैं,इन विभागों में खासकर जिनकी गाडि़यां पहले से चलती आ रहीं हैं उन्ही की गाडि़यां केवल अधिग्रहित की जाती हैं और अन्य किसी की यदि अधिग्रहित करने की बात आती भी है तो बिना इनसे जिनकी की गाडि़यां विभाग में चल रहीं हैं अनुमति दूसरों की वाहने अधिग्रहित नहीं कि जातीं और भुगतान भी इन्ही के माध्यम से होता है भले ही वाहन इनका न हो,विभाग में पैठ जमा चुके इन गाड़ी मालिकों के अलावा मजाल नहीं कोई दूसरा विभाग में अपनी वाहन लगा सके।
विभागीय पकड़ की दिखाते हैं धौंस
जिले के पुलिस विभाग में जिस व्यक्ति की वाहन लगातार अधिग्रहित हो रही है या जिसके कहने पर ही दूसरों की वाहने अधिग्रहित हो रहीं हैं वह पुलिस विभाग में अपनी पकड़ की धौंस भी जमाता यह भी चर्चा है। बताया जाता है कि उसके बिना इशारा किये कोई पुलिस विभाग में वाहन नहीं लगा सकता और लगाया भी तो भुगतान उसी के माध्यम से होगा यह व्यवस्था बन चुका है।
पुराने अधिग्रहण को देखा जाए तो खुलेगा बहोत बड़ा फर्जीवाड़ा
वाहन अधिग्रहण का पुलिस विभाग का यदि पुराना रिकार्ड खंगाला जाए तो बहोत बड़ा पोल खुलेगा यह तय है, किस तरह बिना टेक्सी परमिट गाडि़यों का अधिग्रहण किया गया है नियम विरुद्ध और किस तरह अनाप शनाप भुगतान कर शासकीय खजाने को खाली किया गया है सब सामने आ जायेगा।