नई दिल्ली ,09 दिसम्बर 2022 (ए)। तमिलनाडु, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ एवं हिमाचल प्रदेश की कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के उद्देश्य से लोकसभा में संविधान आदेश 1950 में संशोधन करने वाले चार विधेयक पेश किये गये। जिसमें अधिकारों से वंचित पांच राज्यों से जुड़ी करीब डेढ़ दर्जन जनजातियों को मोदी सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है। इन जातियों को अब अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा। इसके साथ ही वह इससे जुड़े सभी तरह का लाभ भी ले सकेंगे। फिलहाल अनुसूचित जनजाति में जिन जनजातियों को शामिल करने का फैसला लिया गया है, उनमें बिन्जियाह समेत 12 जातियां छत्तीसगढ़ की हैं।
हिमाचल प्रदेश में हट्टी और यूपी में गोंड’ को मिलेगा लाभ
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की हट्टी और उत्तर प्रदेश की ‘गोंड’ और उनकी पांच उपजातियों को भी शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह अहम फैसला लिया है। इसके साथ ही सरकार ने विकास की दौड़ में पिछड़े जनजाति व आदिवासियों को आगे बढ़ाने के अपने वादे को पूरा किया है।
अब तकनहीं मिला था दर्जा
खास बात यह है कि अलग-अलग राज्यों से जुड़ी यह जनजातियां नामों में त्रुटियों सहित दूसरे कारणों से अब तक अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं थीं। इसके चलते इन्हें इससे जुड़ा कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा था। हालांकि यह जातियां लंबे समय से खुद को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग कर रही थीं, जो अब तक अनसुनी थी।
बनाई थी कमेटी
हालांकि मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद इन जातियों की मांगों पर ध्यान दिया और इसे लेकर केंद्र के स्तर पर एक कमेटी बनाई। जिन्हें तथ्यों और शोध के आधार पर इन जातियों के आदिवासी जुड़ाव से संबंधित जानकारी ली गई। हिमाचल प्रदेश के हट्टी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के फैसले को आने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
दिसम्बर २०२२(ए)। तमिलनाडु, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ एवं हिमाचल प्रदेश की कुछ जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के उद्देश्य से लोकसभा में संविधान आदेश 1950 में संशोधन करने वाले चार विधेयक पेश किये गये। जिसमें अधिकारों से वंचित पांच राज्यों से जुड़ी करीब डेढ़ दर्जन जनजातियों को मोदी सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है। इन जातियों को अब अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलेगा। इसके साथ ही वह इससे जुड़े सभी तरह का लाभ भी ले सकेंगे। फिलहाल अनुसूचित जनजाति में जिन जनजातियों को शामिल करने का फैसला लिया गया है, उनमें बिन्जियाह समेत 12 जातियां छत्तीसगढ़ की हैं।
हिमाचल प्रदेश में
हट्टी और यूपी में गोंड’ को मिलेगा लाभ
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की हट्टी और उत्तर प्रदेश की ‘गोंड’ और उनकी पांच उपजातियों को भी शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह अहम फैसला लिया है। इसके साथ ही सरकार ने विकास की दौड़ में पिछड़े जनजाति व आदिवासियों को आगे बढ़ाने के अपने वादे को पूरा किया है।
अब तक
नहीं मिला था दर्जा
खास बात यह है कि अलग-अलग राज्यों से जुड़ी यह जनजातियां नामों में त्रुटियों सहित दूसरे कारणों से अब तक अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं थीं। इसके चलते इन्हें इससे जुड़ा कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा था। हालांकि यह जातियां लंबे समय से खुद को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग कर रही थीं, जो अब तक अनसुनी थी।
बनाई थी कमेटी
हालांकि मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद इन जातियों की मांगों पर ध्यान दिया और इसे लेकर केंद्र के स्तर पर एक कमेटी बनाई। जिन्हें तथ्यों और शोध के आधार पर इन जातियों के आदिवासी जुड़ाव से संबंधित जानकारी ली गई। हिमाचल प्रदेश के हट्टी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के फैसले को आने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।