मनेन्द्रगढ़@स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा लगाने के बजाये करें सम्मान पर राष्ट्रीय गौरव का न करें अपमान:अनिल केसरवानी

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  • मनेन्द्रगढ़ महाराणा प्रताप चौक पर बिसाहू दास मंहत की प्रतिमा लगाने का विरोध हुआ शुरू
  • भाजपा कार्यकर्ताओं ने बिसाहूदास महंत की प्रतिमा से पहले महाराणा प्रताप का छायाचित्र लगाया चौक पर
  • नगर पालिका परिषद मनेन्द्रगढ़ में महाराणा प्रताप चौक पर महाराणा प्रताप की ही प्रतिमा हो स्थापित इसकी उठने लगी मांग
  • महाराणा प्रताप चौक को लेकर राजनीति हुआ गर्म, भाजपा कांग्रेस हुये आमने-सामने
  • चौक का नाम बदलने को लेकर सियासी ड्रामा मनेन्द्रगढ़ पालिका में शुरू हो गयी है
  • सत्ता मिलती तो है जनता की मर्जी से, पर चलती नहीं जनता के मर्जी से
  • चौक महाराणा प्रताप के नाम रहेगा और मूर्ति रहेगी बिसाहू दास महंत की, क्या यह उचित है?
  • क्या केवल राजनीति में शामिल व्यक्ति ही देश मे होंगे महान, देश की अखंडता और उसकी संप्रभुता के लिए लड़ने वालों की नहीं होगी इज्जत?
  • सत्ता मिलने तक नेताओं के लिए सभी जाति धर्म होते हैं एक समान,सत्ता मिलते ही शुरू होती है बहुसंख्यक आबादी की राजनीति

रवि सिंह –
मनेन्द्रगढ़ 05 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)
एमसीबी जिले के नगर पालिका मनेन्द्रगढ़ में एक नया ही बवाल इस समय सुर्खियों में है। जहां वर्षो पुराने मनेन्द्रगढ़ में स्थित महाराणा प्रताप चौक में बिसाहूदास महंत की प्रतिमा को लगाने को लेकर कवायद शुरू हो गयी थी जिस पर अब विरोध देखने को मिल रहा है। इस विवाद की शुरूआत मनेन्द्रगढ़ विधायक द्वारा अपने निधि से बिसाहू दास महंत की प्रतिमा देने की घोषणा क्या हुई कि नपा मनेन्द्रगढ़ में पूरे चौक के स्वरूप को ही बदलने की कवायद शुरू हो गयी। जिस समय बिसाहू दास की प्रतिमा को लेकर नगर पालिका परिषद में जैसे ही सहमति मिली जिसके बाद अब धीरे-धीरे विरोध तेज होते दिख रहे है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोमवार को मनेन्द्रगढ़ के महाराणा प्रताप चौक में जहां प्रतिमा नहीं थी वहां पर महाराणा प्रताप का छायाचित्र स्थापित कर कहा कि चौक जिसके नाम पर है प्रतिमा भी उन्हीं की होगी। महाराणा प्रताप से बिसाहू दास की तुलना नहीं हो सकती। क्षत्रिय समाज भी विरोध में आ गया है और नगर पालिका अध्यक्ष व कलेक्टर को ज्ञापन सौपने की तैयारी में है।
ज्ञात हो कि नवीन जिला मनेंद्रगढ़ के नगरपालिका अंतर्गत आने वाले महाराणा प्रताप चौक का नाम बिसाहूदास महंत किये जाने को लेकर नगरपालिका में प्रस्ताव हुआ है और जिसे लेकर अब विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि जिस चौक को लोग वर्षों से महाराणा प्रताप चौक के नाम से जाना करते थे उसे बिसाहूदास महंत चौक नया नामकरण किया जा सकता है और अब इसकी सूचना मिलते ही महाराणा प्रताप के समर्थको के साथ भाजपा भी विरोध दर्ज करने लगा है। महाराणा प्रताप की मूर्ति नहीं है केवल चौक का नाम है, क्या नपा इसी प्रयास में है कि मूर्ति स्थापित कर नाम भी परिवर्तित कर दिया जाए? वैसे मामले में जो लोग इसका विरोध कर रहें हैं उनका कहना है कि चौक में महाराणा प्रताप की मूर्ति नहीं है केवल चौक का नाम महाराणा प्रताप चौक है और नगरपालिका इसी प्रयास में है कि मूर्ति स्थापित कर नाम भी परिवर्तित कर दिया जाएगा और ऐसे में विरोध भी दर्ज नहीं हो सकेगा। अब हकीकत जो हो मामले में अपने बड़े नेता को खुश करने पूरा प्रयास जारी है और देखना है कि राष्ट्रीय स्तर पर मान्य महापुरुष महाराणा प्रताप नगरपालिका के लिए महापुरुष हैं या उनके ही नेता के पिता।
वर्षो से प्रचलित नाम के अनुरूप अब प्रतिमा बदलने की तैयारी कहां तक सही?
महाराणा प्रताप चौक का नाम किन वजहों से बदला जा रहा है उनमें से जो मुख्य वजह सामने आ रही है वह यह कि स्व बिसाहूदास महंत विधानसभा अध्यक्ष के पिता हैं और क्षेत्रीय सांसद के स्वशुर और केवल उन्ही को प्रसन्न करने की कवायद में चौक का नाम परिवर्तित किया जा रहा है और ऐसा करके उनके सबसे खास समर्थंको में अपना नाम जोड़ने की यह कवायद भी मानी जा रही है। वैसे भले ही प्रसन्न कर किसी को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने का यह एक राजनीतिक प्रयास हो लेकिन सवाल यह भी उठता है कि महाराणा प्रताप को महान माना जाए या बिसाहूदास महंत को, दोनों का सार्वजनिक जीवन था और दोनों ही समाज के लिए कुछ न कुछ किये थे लेकिन महाराणा प्रताप मुगल आतताइयों से लड़कर देश की रक्षा में अपना जीवन बलिदान किये थे वहीं बिसाहूदास महंत राजनीतिक रूप से समाज की सेवा में रत थे।
चौक महाराणा प्रताप के नाम और मूर्ति होगी बिसाहूदास महंत की कैसे यह सही होगा?
यह कैसे सही कहा जा सकता है कि चौक का नाम कुछ और होगा और वहां मूर्ति किसी और की होगी, अभी तक हमने जो भी देखा है कि जिसके नाम की चौक है उसी के नाम की मूर्ति होती है इस बार एक अलग ही मामला सामने आ रहा है, जिसमें चौक तो रहेगा महाराणा प्रताप के नाम पर मूर्ति होगी बिसाहू दास महंत की, इसे लेकर मनन करने चर्चा का बाजार गर्म है और बड़ी तेजी से इस समय हर चौक चौराहों पान ठेला पर यही चर्चा हो रही है कि आखिर यह कैसे होगा? ऐसा होना भी नहीं चाहिए, आखिर विधायक ने नया ही क्या प्रस्ताव दे दिया कि चौक का नाम कुछ और मूर्ति कुछ और होगी, विधायक की घोषणा ही चौक को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा करने वाली है, अब पैसा विधायक मत का है चाहे वह मूर्ति किसी की भी लगा दे क्या ऐसा संभव है? नगरपालिका अध्यक्ष ने अपने बयान में बताया है कि विधायक मनेंद्रगढ़ का प्रस्ताव था और उन्होंने ही अपनी निधि से 5 लाख देने की घोषणा की है और उसी का परिपालन किया जा रहा है जिसमे चौक का नाम वही होगा जो है लेकिन मूर्ति अलग स्थापित होगी यह प्रस्ताव लाया गया है।
महाराणा प्रताप राष्ट्र गौरव है
क्षत्रिय समाज के पूर्व अध्यक्ष बलराम सिंह ने कहा कि न जाने किस सोच के साथ यह सब हो रहा है महाराणा प्रताप बिसाहू दास महंत, महाराणा प्रताप कौन है यह बाते देष का हर बच्चा जानता है पर बिसाहू दास कौन है यह सिर्फ कांग्रेस के लोग ही जानते है। महाराणा प्रताप देष के गौरव है, राष्ट्रीय विरता के प्रतीक है यह कोई व्यक्ति नहीं बल्की व्यक्तित्व है। महाराणा प्रताप किसी एक समाज के लिय नहीं थे बल्की देष के लिये विरता के साथ लड़े थे। महाराणा प्रताप हिन्दूत्व के पहचान थे सबसे ज्यादा हिन्दूत्व भावना के साथ राष्ट्र के लिये मुगलों से लड़ाई की थी और यह तुलना किसी भी प्रकार से सही नहीं।

बलराम सिंह पूर्व अध्यक्ष क्षत्रिय समाज

क्षुद्र मानसिकता की राजनीति
एमसीबी के भाजपा जिलाध्यक्ष अनिल केसरवानी ने कहा कि इस तहर के मानसिकता एक क्षुद्र मानसिकता है जो केवल चाटूकारिता के राजनीति का प्रतीक है। जिस स्थान की बात हो रही है यह स्थान लम्बे समय से महाराणा प्रताप के नाम से जाना जा रहा है जो भारत माता के सपूत है। जिसका भूमिपूजन इसी नाम से वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष ने 2008 में किया था। आज केवल राजनीतिक स्वार्थ की वजह से वह यहां पर स्वतंत्रता सेनानी स्व. बिसाहू दास महंत की प्रतिमा लगाने की बात कह रहे है यह उनका सम्मान करें पर राष्ट्रीय गौरव का अपमान करने का अधिकार नही है।

अनिल केसरवानी भाजपा जिलाध्यक्ष एमसीबी


12 वर्ष पहले जिसने किया था चौक का भूमिपूजन वही प्रतिमा बदलने की कर रहे बात
जेके सिंह पूर्व एल्डरमैन मनेन्द्रगढ़ यह वही अध्यक्ष है आज से 12 वर्ष पूर्व इस चौक का भूमिपूजन महाराणा प्रताप के नाम से किया था और यह आज अपने ही कार्यकाल में नाम बदलने की बात कह रहे है। यह भी ऐतिहासिक लम्हा है जब इतिहास पुरूष का नाम एक स्वतंत्रता सेनानी से किया जा रहा है। महाराणा प्रताप तो महान थे ही उनका घोड़ा भी उतना ही महान था।

जेके सिंह पूर्व एल्डरमैन मनेन्द्रगढ़

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