जिला विभाजन का निर्णय और खत्म हो गई कोरिया कलेक्टोरेट की रौनक,कलेक्टोरेट में पसरा रहता है सन्नाटा
अनुभवी अधिकारियों की कमी भी देखने को मिल रही,जनता का कहना कोरियावासियों के साथ सरकार ने
किया विश्वासघात
–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 03 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कोरिया जिले की जनता ने तात्कालिक भाजपा सरकार पर अविश्वस व्यक्त करते हुए तीनों सीट पर कांग्रेस को समर्थन दिया जिसके बाद जिले की तीनों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए, उक्त अप्रत्याषित परिणाम के बाद जिले की राजनैतिक फिजा में भी जबरजस्त बदलाव देखने को मिला। समय व्यतीत होता गया जिले वासियों ने भी तीनों सीट पर कांग्रेसी विधायको के जीतने के बाद सरकार से बहुत आशा की उम्मीद लगा रखी थी, सबकुछ लगभग ठीक चल ही रहा था, कि अचानक 2020 में सरकार के मुखिया भूपेश बघेल ने एक निर्णय लिया और कोरिया का विभाजन करते हुए, एमसीबी यानि की मनेंद्रगढ चिरमिरी और भरतपुर को मिलाकर एक नया जिला बना दिया। सरकार का यह निर्णय एमसीबी क्षेत्र के निवासियों के लिए तो एक चमत्कारिक निर्णय साबित हुआ लेकिन इस निर्णय के बाद कोरिया वासियों को करारा झटका महसूस हुआ। जिला विभाजन तो हो ही गया लेकिन असंतुलित विभाजन को लेकर कोरिया जिला मुख्यालय में एक लंबी लड़ाई लड़ी गई, लड़ाई को विभिन्न राजनैतिक,सामाजिक संगठनो ने अपना समर्थन दिया, लेकिन उस लड़ाई का बहुत सुखद परिणाम देखने को नही मिला। आज स्थिति यह हो गई कि सरकार ने अपने मन मुताबिक काम किया ,कोरियावासियो की भावना को दरकिनार किया और अंततःएमसीबी जिला अस्तित्व में आ ही गया। कोरिया जिला मूर्त रूप लेता लेकिन इससे पहले काफी कम समय कहें या कि बाल्यकाल में ही धराषायी होकर गिर गया, वास्तव में यदि देखा जाए तो कांग्रेस सरकार के इस निर्णय से कोरिया वासियों को कुठाराघात लगा जिसकी आज सर्वत्र निंदा हो रही है। इन दिनो कोरिया कलेक्टोरेट में पसरे सन्नाटे को देखकर कोरिया जिला के भविष्य का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
अब नही दिखलाई देती आमजन की भीड़
कोरिया जिला विभाजन के बाद कलेक्टोरेट परिसर में अब लोगो की आवाजाही काफी कम हो गई है, जहां दिन भर सैकड़ो की संख्या में लोगो का आना जाना लगा रहता था वहां इक्का दुक्का लोगो को देखकर ऐसा प्रतीत होने लगा है जैसे कि सरकार ने इस जिले को पूरी तरह से बर्बाद ही कर दिया हो। कलेक्टोरेट परिसर में लगने वाले कार्यालयो एवं शाखाओं में पहले काफी संख्या में लोगो को अपना काम कराते देखा जाता था, चिरमिरी, मनेंद्रगढ, खड़गंवा, भरतपुर आदि क्षेत्रो से बड़ी संख्या में लोग यहां आते थे लेकिन जिला विभाजन के बाद इन क्षेत्रो से लोगो का आना जाना काफी कम हो गया है। परिसर में अब कर्मचारी ही नजर आते हैं बाकी यहां सन्नाटा पसरा दिखलाई देता है।
अनुभवी अधिकारियों की भारी कमी
कोरिया जिला विभाजन के बाद यह काफी छोटा हो गया है, जिले में अब अनुभवी अधिकारियो की कमी भी देखने को मिल रही है, एक अनुविभागीय अधिकारी के कार्यक्षेत्र के लगभग अब कलेक्टर का कार्यक्षेत्र हो गया है। कलेक्टोरेट में वर्तमान में अनुभवी अधिकारियों की कमी भी है, बतलाया जाता है कि कई अधिकारी अब इस जिले में रहना भी नही चाहते और दूसरे अनुभवी अधिकारी भी इस जिले में आने के इच्छुक नही हैं। कलेक्टर कार्यालय में वर्तमान में एक अपर कलेक्टर, दो डिप्टी कलेक्टर बैठ रहे हैं, जिनमे से एक डिप्टी कलेक्टर अरूण सोनकर के पास नाममात्र का प्रभार है। एक डिप्टी कलेक्टर अनिल सिदार को कई शाखाओ का प्रभार दिया गया है, लेकिन अधिकांश समय वे अपने कक्ष से बाहर ही रहते हैं। कार्यालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डिप्टी कलेक्टर अनिल सिदार को अक्सर कोषालय अधिकारी या अपर कलेक्टर कार्यालय में ही देखा जाता है। जहां बैठकर वे घंटो टाईम पास करते रहते हैं। एक संयुक्त कलेक्टर के रूप में अंकिता सोम की पदस्थापना भी जिले में हैं लेकिन बैकुंठपुर एसडीएम का प्रभार उनके पास होने के कारण वे कलेक्टोरेट में काफी कम समय दे पाती हैं। जो जनता अपना काम के लिए यहां आती हैं अधिकारियो की कमी और कक्ष में न बैठने के कारण उन्हे भी कई बार खाली लौटना पड़ता है। बतलाया जाता है वर्तमान में पदस्थ उक्त प्रषासनिक अधिकारी बहुत ज्यादा अनुभवी भी नही हैं जिसका असर सरकारी कामकाज पर पड़ रहा है। वहीं सूत्रों का कहना है कि इन दिनों कलेक्टर के पास जाने वाली लगभग हर फाईल में चर्चा या परीक्षण लिख दिया जाता है जिससे कि समय पर होने वाला काम कई दिनों तक लटका रहता है। जिससे कि संबंधित पक्ष काफी परेशान रहता है। हलांकि यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया में लेट होना या करना दोनो ही आम बात है इससे अधिकारियों को भी कोई फर्क नही पड़ता है।
कोरियावासियों के साथ सरकार ने किया विश्वासघात
प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा कोरिया जिले का असंतुलित विभाजन कर दिया गया है, भले ही सरकार द्वारा बचरापोड़ी क्षेत्र को बैकुंठपुर अनुविभाग में शामिल कर दिया गया है लेकिन अभी भी बचरापोड़ी क्षेत्र खड़गंवा विकासखंड में शामिल है। जनपद स्तर के सारे विकास कार्य भी खड़गंवा से संचालित हो रहे है, क्षेत्र के नागरिक खुद अपने भविष्य को लेकर आषंकित हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि विकासखंड से किसी भी पंचायत का बंटवारा राज्य सरकार के हाथ में नही है,और सरकार की नीति इस बारे में अभी एकदम अस्पष्ट है। वही इस विभाजन को लेकर कोरिया वासी काफी आक्रोशित और खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, कोरिया के निवासियों का कहना है कि सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है। जिसका खामियाजा आगामी चुनाव में सरकार को भुगतना पड़ेगा।
टूटा कोरिया कुमार का सपना,संसदीय सचिव के खिलाफ भी आक्रोश
आज यह सर्वविदित है कि कोरिया जिला और खासकर मुख्यालय बैकंठपुर बनवाने के लिए पूर्व वित्तमंत्री स्व.डॉ.रामचंद्र सिंहदेव ने ही अथक प्रयास किया था, कोरिया स्व.कुमार साहब के सपनों का जिला था। आज प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस की सरकार में ही उनके सपनो का कोरिया चकनाचुर हो गया, यह यहां की जनता को भी नागवार गुजरा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि एक ओर जहां प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो वहीं दूसरी ओर बैकुंठपुर में भी स्वयं कुमार साहब की भतीजी अंबिका सिंहदेव विधायक और संसदीय सचिव भी हैं। उनके द्वारा चुनाव के दौरान सभी मंचो से यह कहा जाता था कि वे काका अर्थात कुमार साहब के सपनो को पूरा करने यहां आई हैं, लेकिन जिला विभाजन के बाद अब जनता उनसे खुद सवाल करती है कि क्या वे सरकार के इस निर्णय से संतुष्ट हैं और इस निर्णय का उन्होने कहां तक विरोध किया। हलांकि जिला विभाजन के तत्काल बाद मनेंद्रगढ विधायक विनय जायसवाल को उनके द्वारा मुंह मीठा कराया गया था, जिसकी फोटो भी सोशल मीडिया में वायरल हुई उसे देखकर लगता है कि संसदीय सचिव सरकार के इस निर्णय से बिल्कुल संतुष्ट हैं और कोरिया के असंतुलित विभाजन का उन्हे जरा भी तकलीफ नही है। तो वहीं जिला विभाजन के बाद इस मुद्दे पर जिस प्रकार की चुप्पी उन्होने साध रखी थी उसे लेकर स्थानीय जनता भी काफी आक्रोशित है और सीधा कहती है कि समय आने पर संसदीय सचिव को इसका एहसास कराया जाएगा। बहरहाल कोरिया कलेक्टोरेट परिसर की वर्तमान स्थिति देखकर जिले के भविष्य का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।