चार सालों तक कांग्रेस की सरकार बनाने प्रदेश के विधायक घूमते रहे उन प्रदेशों में जहां हो रहे थे चुनाव।
जहां जहां चुनाव हुए छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर विधायक करते दिखे प्रचार।
बड़ी सफलता कहीं नहीं मिली हर जगह लगभग मिली हार,अभी दो राज्यों के चुनाव के परिणाम आने हैं बाकी।
छत्तीसगढ़ में भी चुनाव 2023 में,अब तक विधायकों की अपने ही विधानसभा में बेहतर उपस्थिति नहीं।
अन्य राज्यों की जिम्मेदारी से फुर्सत ही नहीं कि करें विधायक अपनी भी तैयारी।
2023 के चुनाव में कैसे जनता का सामना करेंगे विधायक विधायक भी हैं चिंता में।
देश भर में कांग्रेस की सरकार बनाने विधायकों की ऐसी ड्यूटी लगी कि अपनी ही सीट बचेगी की जाएगी पता नहीं।
लेख रवि सिंह:- छत्तीसगढ़ राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होंगे वहीं अभी छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और बहोत बड़े बहुमत के साथ प्रदेश में कांग्रेस सत्ता पर काबिज है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने उपरांत हुए पहले विधानसभा चुनाव से ही कांग्रेस पूरे 15 साल सत्ता सुख से प्रदेश में वंचित चली आ रही थी और जो सुख उसे 2018 के चुनावों में मिला और सत्ता विरोध की लहर में कांग्रेस को बहोत बड़ी जीत प्रदेश में मिल गया। छत्तीसगढ़ में जबसे कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी है तभी से कांग्रेस ने इस राज्य को एक मॉडल राज्य अपने पार्टी शासित राज्यों में से बनाने का प्रयास किया है और लगातार छत्तीसगढ़ मॉडल के नाम पर ही पूरे देश भर के चुनावों में कांग्रेस पार्टी प्रचार कर रही है और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार की उपलब्धि गिनवा रही है।
जबसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तभी से प्रदेश के कांग्रेस पार्टी के विधायक भी लगातार अपने विधानसभा से दूर अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में अपना समय दे रहें हैं और लगातार अपना विधानसभा छोड़कर अन्य राज्यों में कांग्रेस पार्टी की सरकार बन सके यह प्रयास कर रहें हैं। प्रदेश के विधायक विगत चार वर्षों से लगातार जितना समय अपने विधानसभा में अपने क्षेत्र की जनता के बीच नहीं बिता पाते होंगे उससे ज्यादा उन्हें अन्य राज्यों के चुनावों में जाकर कांग्रेस पार्टी की सरकार बन सके इसलिए समय देना पड़ रहा है और वह उसी में व्यस्त हैं, प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार की उपलब्धियां, विकास कार्य व जनकल्याणकारी योजनाओं को अन्य प्रदेशों में जाकर प्रदेश के विधायक चुनावों के दौरान बता रहें हैं और प्रयास कर रहें हैं कि अन्य प्रदेशों में छत्तीसगढ़ राज्य के मॉडल को लोग स्वीकार करें और अन्य राज्यों में भी कांग्रेस पार्टी की सरकार बन सके, वहीं जबसे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी है और प्रदेश के विधायक अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में जाकर प्रदेश के मॉडल को सामने रख चुनाव प्रचार कर रहें हैं कहीं भी कांग्रेस पार्टी को कोई बड़ी उपलब्धि मिलती नजर नहीं आई है और लगभग जिन भी राज्यों में अभी तक छत्तीसगढ़ प्रदेश के मॉडल को सामने रखकर और छत्तीसगढ़ के विधायकों को जिम्मेदारी देकर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ा है हार का ही पार्टी को सामना करना पड़ा है जो सतत रूप से जारी भी है, अभी वर्तमान में भी पार्टी ने अपने विधायकों को दो राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दे रखी है और प्रदेश के मॉडल को सामने रखकर उन प्रदेशों की जनता को कांग्रेस पार्टी की तरफ आकर्षित करने का भी जिम्मा दे रखा है वहां के परिणाम आने बाकी हैं और उसके बाद यह भी समझ मे आ सकेगा कि वर्तमान में जिन दो राज्यों के चुनाव संपन्न होने वाले हैं वहां के मतदाताओं ने जनता ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार के मॉडल को कितना पसंद किया और यह आगे कितना प्रभावी मॉडल रहने वाला है।
वैसे छत्तीसगढ़ प्रदेश के कांग्रेस पार्टी के विधायकों का अब तक का 4 साल अपनी पार्टी की सरकार अन्य राज्यों में बन सके इसी प्रयास में चला गया, आज 4 सालों के यदि विधायकों के कार्यकाल को देखा जाए तो अन्य राज्यों के चुनावों में प्रदेश के विधायकों की उपस्थिति ज्यादा रही बशर्ते अपने ही विधानसभा में वह उतना समय नहीं दे सके जितना उन्हें देना था,प्रदेश के कांग्रेस पार्टी के विधायकों को जनता ने प्रत्येक विधानसभा से इसलिए अपना प्रतिनिधि चुना था कि वह उनके सुख दुख में उनकी समस्याओं में उनके साथ खड़े रहें और उनकी सहायता करें और प्रदेश को भी खुशियाली की ओर ले जाएं जनता ने विधायकों को अन्य राज्यों में कांग्रेस पार्टी की सरकार बने इसलिए नहीं चुना था,आज प्रदेश के विधायकों ने अपने महत्वपूर्ण 4 साल अन्य राज्यों के चुनावी प्रचार में बिता दिए और अभी तक प्रचार का कोई विशेष लाभ पार्टी को हुआ यह भी देखने को नहीं मिला अब अगले वर्ष प्रदेश में चुनाव हैं और विधायकों की किस्मत दांव पर लगेगी और जनता विधायकों के 5 सालों के कार्यकाल के आधार पर उन्हें चुनेगी,जनता आंकलन कर मतदान करेगी यह भी तय है कि जनता के बीच जनता की समस्याओं को लेकर कौन बेहतर नेतृत्वकर्ता खड़ा रहा और कौन चुनाव जीतने के बाद से ही क्षेत्र से दूरी बनाए रहा। अगले वर्ष प्रदेश के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को बड़ी मजबूती से लड़ना होगा और अत्यधिक बहुमत जो अभी है उसे बनाये रखने के लिए अपना पूरा दमखम लगाना होगा।
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