नई दिल्ली@नारायणन जासूसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला

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आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज
नई दिल्ली ,02 दिसंबर 2022 (ए )।
सुप्रीम कोर्ट ने वैज्ञानिक नंबी नारायणन केस के चार आरोपियों को अग्रिम जमानत देने के केरल हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। बता दे की इसरो केस के आरोपियों को जमानत मिल गयी थी अब वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की आरोपियों को चार सप्ताह तक गिरफ्तार नहीं किया जाये। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस मामले में फिर से सुनवाई करने का आदेश जारी कर दिया है। बता दे की 1994 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को जासूसी के मामले में गलत ढंग से फंसाया गया था।
जानकरी के अनुसार केस के चलते क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन हासिल करने के भारत के प्रयासों को धक्का लगा था। उसमें कई सालों की देरी हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्व जज डीके जैन की अध्यक्षता वाली कमिटी ने मामले की जांच की। कमिटी ने पाया कि पुलिस और आईबी के 5 पूर्व अधिकारी इस साçज़श में शामिल थे। इस रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल, 2021 को सीबीआई से मुकदमा दर्ज करने को कहा।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने जब केस दर्ज किया, उसके बाद एक-एक कर पांचों अधिकारियों- सिबी मैथ्यूज, पी एस जयप्रकाश, आर बी श्रीकुमार, थंपी एस दुर्गा दत्त और विजयन को केरल हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने इसे पुराना मामला बता कर सबको अग्रिम जमानत दी। यह भी कह दिया कि इन अधिकारियों के विदेशी ताकतों से संपर्क के सबूत नहीं हैं। इस तरह जांच को किसी नतीजे तक पहुंचा पाना कठिन होगा। और अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत देने के आदेश को खारिज कर दिया है।
नंबी नारायणन की जिंदगी पर हाल ही में ‘रॉकेट्री’ नाम से फिल्म भी बनी है, जिसे एक्टर आर. माधवन ने डायरेक्ट किया था। नंबी नाराणन की भूमिका में भी वही दिखाई दिए थे। फिल्म रिलीज होने के बाद से नंबी नारायण को लेकर देश में फिर से चर्चा शुरू हो गई थी। इस फिल्म में उनके इसरो वैज्ञानिक के रूप में सफलताएं और बाद में साजिश के तहत उन्हें फंसाए जाने को दिखाया गया है। कई दिन जेल में काटने के बाद और अदालत में लंबी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।
नंबी नारायणन ने इसरो में रहते हुए कई अहम खोज की और स्पेस साइंस के क्षेत्र में अहम योगदान दिया था। मगर अचानक से वह एक साजिश का शिकार हो गए। 1994 में उन पर भ्रष्टाचार और पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप लगा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर आरोप लगे कि वह रॉकेट व उपग्रह से संबंधित गोपनीय जानकारी को भारत के बाहर भेजते थे। उन्हें कई दिनों तक जेल में रहना पड़ा। बताया जाता है कि उन्हें काफी टॉर्चर भी किया गया।


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