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बैकुण्ठपुर@कोरिया जिले के पुलिस अधीक्षक ने चार माह बाद जारी की तबादला सूची,सूची काफी लंबी,क्या सूची है निष्पक्ष?

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  • कोरिया जिले के पुलिस अधीक्षक ने चार माह बाद जारी की तबादला सूची, सूची काफी लंबी, क्या सूची है निष्पक्ष?
  • क्या नए पुलिस महानिरीक्षक के आगमन से पहले जिले की पुलिस को चुस्त दुरुस्त दिखाने मात्र की योजना?
  • एक प्रधान आरक्षक को लेकर सूची नहीं दिख रही है निष्पक्ष,प्रधान आरक्षक पर फिर बरसाई गई कृपा?
  • रक्षित केंद्र में कागजों में पदस्थ प्रधान आरक्षक को मिला सायबर विभाग
  • प्रधान आरक्षक पहले से ही सायबर में ही देख रहा था काम, अब केवल ऑफ रिकॉर्ड की जगह ऑन रिकॉर्ड उसकी पदस्थापना हुई सायबर विभाग में
  • जिले के जिस पुलिस थाना क्षेत्र में हुई बड़ी घटना वहां के थाना प्रभारी का भी नहीं हुआ तबादला
  • सूची जारी करने से पूर्व ही एक उपनिरीक्षक को पहले ही चुपके से दे दी गई सोनहत पुलिस थाने की जिम्मेदारी

रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 30 नवम्बर 2022(घटती-घटना)। देश का एक अलग इतिहास रहा है खाकी वर्दी को लेकर, ब्रिटिश शासन काल में जहां वर्दी सफेद हुआ करती थी और सफेद होने की वजह से गंदी जल्द हुआ करती थी, जिसकी वजह से 1847 में सिर्फ वर्दी गंदी न हो इसलिए वर्दी का रंग खाकी कर दिया गया और इसपर जल्द दाग न लगे यह उस समय की व्यवस्था ने अपनी तरफ से प्रयास किया, लेकिन वर्दी का रंग जरूर खाकी हुआ और वर्दी जल्द गंदी होने से बचने भी लगी लेकिन समय समय पर वर्दी में जो दाग लग रहें हैं जो न दिखाई देने वाले दाग हैं, लेकिन दाग हैं, जरूर उससे खाकी को बचाने का प्रयास होता नहीं दिखाई दे रहा है, वहीं खाकी पहने लोगों को यह दाग दिखाई तो देता है लेकिन इस दाग से वह बचना नहीं चाहते क्योंकि यह दाग उन्हें कुछ लाभ पहुंचाता है और उन्हें अर्थ संपन्न बनाता है। समय समय पर वर्दी पहनने वालों ने वर्दी पर खूब दाग लगाया है और कुछ ऐसा ही अविभाजित कोरिया जिले में जारी है जहां अवैध कारोबार और खाकी का संबंध बार बार सामने आ जाता है और खाकी की दागदार कर जाता है और वहीं जिले में निष्पक्षता के साथ पुलिसिंग भी नहीं दिखती कुछ दिखता है तो पुलिस की क्रूरता दिखती है और आम जनता से पुलिस के बीच दूरी खुलकर सामने दिखती है।
अविभाजित कोरिया जिले को लेकर यदि हाल फिलहाल की घटना देखी जाए तो हाल ही में जुलाई माह में तात्कालीन पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल ठाकुर का तबादला हुआ और 11 जुलाई को नए पुलिस अधीक्षक के रूप में कोरिया जिले की कामना त्रिलोक बंसल को प्राप्त हुई नए पुलिस अधीक्षक का कोरिया जिले में कुल चार महीनों के कार्यकाल ऐसा रहा जिसे यदि यह कहा जाए कि कानून व्यवस्था के लिहाज से बेहतर बिल्कुल नहीं रहा तो गलत नहीं होगा। जिले में अवैध कारोबार जमकर इसबीच संचालित होने शुरू हुए और जिले की खनिज संपदा जिसमे कोयला महत्वपूर्ण है कि चोरी करने वाले चोरों ने कोयला चोरी रोकने गए एसईसीएल कर्मचारियों पर जानलेवा हमला तक कर दिया जो कानून व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है और जिससे साबित हुआ कि जिले में अवैध कारोबारियों के हौसले कितने बुलंद हैं। जिले के पुलिस अधीक्षक से उम्मीद थी कि वह जिले की पुलिसिंग बढि़या करने के लिए लगातार एक ही जमे पुलिसकर्मियों को इधर से उधर करके कुछ सुधार अवश्य लाने का प्रयास करेंगे लेकिन उन्होंने चार माह बाद जो तबादला सूची वह भी लंबी तबादला सूची जारी की वह कुछ खास पुलिसकर्मियों को सुविधा पहुंचाने के लिए जारी सूची नजर आ रही है जिसमें पुलिस थाना के प्रभारियों को इधर से उधर नहीं किया गया है, वहीं जिस पुलिस थाना क्षेत्र चरचा में कोयला चोरों का आतंक सबसे ज्यादा देखा गया और कोयला चोरी में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता की भी बात सामने आई वहां के भी थाना प्रभारी को नहीं हटाया गया जो सूची पर सवाल खड़ा करता नजर आया। क्या नए पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा के आगमन से पहले जिले की पुलिस को चुस्त दुरुस्त दिखाने मात्र की एक योजना है जो समझ मे आ रही है।
सायबर सेल में पहुचे ऑन रिकॉर्ड
सूची में एक प्रधान आरक्षक को सायबर सेल टीम में भेजा गया लेकिन प्रधान आरक्षक पहले से ही सायबर टीम में ही कार्य कर रहा था और वह केवल रिकॉर्ड में रक्षित केंद्र में पदस्थ था, प्रधान आरक्षक को अब ऑन रिकॉर्ड सायबर सेल टीम में भेज दिया गया और सूची में सबसे ज्यादा चर्चा इसी को लेकर जारी भी है। जिले के जिस प्रधान आरक्षक को सायबर सेल टीम का सदस्य बनाया गया है उसका विभाग में इस कदर दबाव है कि जिले में जितने भी पुलिस अधीक्षक आज तक उसके रहते आये किसी ने बिना प्रधान आरक्षक की सहमति से उसे कहीं भेज पाने में खुद को असमर्थ माना और वह जहां जहां रहकर कार्य करने को इक्षुक रहा उसे वहीं वहीं अवसर मिला जो उसकी ऊंची पकड़ साबित करने के लिए काफी है। प्रधान आरक्षक किसी भी दल की साा में अपनी मर्जी से अपनी पदस्थापना लेने वाला जिले का एकमात्र पुलिसकर्मी बनकर भी इस सूची में साबित हुआ है क्योंकि उसकी ही मंशा से उसे सायबर सेल का सदस्य ऑन रिकॉर्ड बनाया गया है।
चुपके से एक उपनिरीक्षक को सोनहत पुलिस थाने का प्रभारी बना गया
पुलिस अधीक्षक ने तबादला सूची जारी करने से पहले ही चुपके से एक उपनिरीक्षक को सोनहत पुलिस थाने का प्रभारी बना दिया जबकि जल्दबाजी न दिखाते हुए तबादला सूची में ही उपनिरीक्षक को सोनहत भेजा जाता तो सवाल खड़े नहीं होते। कुल मिलाकर पूरा तबादला दिखावा है और सूची से पूर्व जिस उपनिरीक्षक को सोनहत थाने का प्रभारी बनाया गया है उनका भी कार्यकाल पूर्व के पुलिस थाने का कैसा रहा है यह भी किसी से छुपा नहीं है उनके पूरे कार्यकाल में उक्त पुलिस थाने में जमकर कोयला चोरी का कारोबार होता रहा और कारोबार को बड़ा स्वरूप मिलता रहा और उनके कार्यकाल में ही उक्त पुलिस थाने में कई बार उनपर द्वेषपूर्ण कार्यवाही का भी आरोप लगता रहा जो सर्वविदित है फिर भी रक्षित केंद्र से उन्हें सीधे पुलिस थाना प्रभार में दे दिया गया जो कहीं न कहीं सवाल उठाता हुआ मामला है।
सूची में सालों से जमे कर्मचारियों को नहीं किया गया शामिल
सूची तो काफी लंबी चौड़ी निकली पर इस सूची को देखने के बाद यह भी पता चला कि कई लोग सालों से एक ही जगह पर जमे हुए हैं जिन्हें इस सूची में शामिल नहीं किया गया, कई लोगों ने फोन करके भी इस बात की जानकारी थी अब सवाल यह है क्या की सूची को तैयार करने में किसका था योगदान?


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