आज की खास खबर पर एक नजर…
-डॉ राजकुमार मिश्र-
अम्बिकापुर ,28 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। आज का बड़ा सवाल यह है कि क्या श्री राहुल गांधी अपनी पार्टी की राजस्थान सरकार को ध्वस्त हो जाने से बचाए रख सकेंगे? उत्तरभारत में राजस्थान ही इकलौता प्रदेश है जहां दशकों से कांग्रेस ने पूरे सम्मान के साथ अपना राजपाट कायम रखा है लेकिन अब हवा बदल चुकी है।बेहद अनुभवी और वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके बाद नम्बर-2 माने जानेवाले सचिन पायलट के बीच तीनचार सालों से जारी वर्चस्व की होड़ अब लगभग आरपार की लड़ाई का रूप ले रही है और इस मसले को सुलझा पाने की कांग्रेस के मुखिया परिवार में न कोई इच्छा अबतक नजर आई है न कोई क्षमता ही ।
आज राहुल गांधी ने उक्त गम्भीर तनातनी पर पूछ लिए गए सवाल का चिरप्रतीक्षित जबाब बहुत ही उबाऊ-चलताऊ अंदाज में यह कहते हुए दे दिया कि गहलोत और पायलट दोनों ही कांग्रेस के लिए कीमती हैं मगर मेरी भारत जोड़ो यात्रा पर दोनों की तकरार का कोई असर नही पड़ेगा। उनके ऐसे बयान से हैरान होकर अम्बिकापुर में एक मुखर और युवा कांग्रेस नेता ने घटती घटना से कहा कि भले भारत जोड़ो यात्रा पर असर न पड़े,मगर अगले साल होने वाले चुनाव में राजस्थान , हमारी कांग्रेस पार्टी के लिए लंबे समय तक बने रह जानेवाला मलाल भी साबित हो सकता है। पता नही कि कांग्रेस के सिरमौर गांधी परिवार को किसी दरपेश मसले को बेपरवाही दिखाते हुए अनिश्चित काल तक लटकाए रखने में क्या हासिल होता है!आज इंदिरा गांधी जैसी कोई प्रतिभाशाली हस्ती उनके परिवार में नही है जो किसी ज्वलंत मसले को भी इतनी समझदारी से लटकाए रख सकती थी कि वो मसला खुद ब खुद दम तोड़ देता था।मगर गहलोत और पायलट का विवाद गुजरते वक्त के साथ साथ उबलता जा रहा है हालात ऐसे ही रहे तो दोनों सक्षम नेताओ का टकराव अपना दम तोड़ने की बजाय कहीं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस को ही तोड़ फोड़ कर न धर दे।
आज राजस्थान में कांग्रेस की प्रतिष्ठा में पलीता लग चुका है।अगर वयोवृद्ध गहलोत पार्टी के दिग्गज नेता रहे है तो पायलट की प्रतिष्ठा की जड़ें भी बहुत गहरी और मजबूत रही है।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यह कतई शोभा नही देता कि वह उपमुख्यमंत्री और पार्टी के ही प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को टीवी कैमरों के सामने गद्दार और बागी जैसे घटिया जुमलों से चिन्हित करते दिखें।उनकी ऐसी भड़ास से लगता है कि उनको पायलट के साथ के अपने झगड़े में गांधी परिवार से संरक्षण मिल पाने की उम्मीद नही रह गई है।उन्हें कई वजहों से अपनी कुर्सी जाती हुई दिख रही है और अगर ऐसा कुछ हुआ तो गहलोत और प्रदेश में उनके बेशुमार समर्थक-सहयोगी कांग्रेस का कोई लिहाज बाकी रखेंगे,ऐसा नही कहा जा सकता।
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