कमला भसीन अवार्ड 2022 से सम्मानित
नई दिल्ली,27 नवम्बर 2022 (ए)। आजाद फाउंडेशन इंडिया तथा नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक भव्य समारोह में भारत की विद्या राजपूत को लैंगिक समानता की ओर ले जाने के उत्कृष्ट के लिए कमला भसीन (दक्षिण एशिया) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके साथ या पुरस्कार नेपाल के नतीसारा राय (नेपाल) को भी प्रदान किया गया।
विद्या राजपूत, बस्तर, छत्तीसगढ़ की एक ट्रांसवुमन है, जिन्होंने 2009 में मितवा संगठन की सह-स्थापना की, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एकत्रित करने, पैरवी करने और उनके अधिकारों के लिए जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केन्दि्रत किया, जिसमें पहचान का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, आवास, रोजगार और स्वास्थ्य सेवा सम्मिलित है। मितवा के साथ विद्या का काम उनके संघर्ष, कठिनाई और भेदभाव से जुड़ी हुई हैं। वर्षों से, वकालत और प्रशिक्षण के माध्यम से विद्या लोगों के जीवन में बदलाव लाने और राज्य की नीति को प्रभावित करने हेतु कार्य कर रही है।
इस पुरस्कार का नाम फेमिनिस्ट आइकन, कवि, लेखक, शिक्षाविद् और दक्षिण एशिया में महिला अधिकार आंदोलन की अग्रणी कमला भसीन के नाम पर रखा गया है। वह दुनिया भर में कई संगठनों और आंदोलनों से जुड़ी हुई थीं।
इस पुरस्कार में दक्षिण एशिया शामिल थी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। पुरस्कारों के लिए सभी आठ देशों से प्रविष्टियां आमंत्रित की गईं और कुल 64 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं।
अनु आगा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जूरी ने सावधानीपूर्वक और कठोर प्रक्रिया के बाद विजेताओं का चयन किया। जूरी के अन्य सदस्यों में खुशी कबीर (बांग्लादेश), बिंदा पांडे (नेपाल) सलिल शेट्टी (भारत) और नमिता भंडारे (भारत) शामिल थी।
कमला भसीन पुरस्कार के लिए जूरी की अध्यक्षता करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आवेदनों की उच्च गुणवत्ता ने जूरी के काम को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया और मुझे खुशी है कि हम दो स्पष्ट विजेताओं को चुन पाए जिनके जीवन और कार्य में वह भावना झलकती है जिसके लिए कमला खाड़ी थी , विजेताओं के नाम की घोषणा करते हुए अनु आगा ने कहा।
आजाद फाउंडेशन की संस्थापक, मीनू वडेरा ने कहा, “यह पुरस्कार कमला के जीवन की अनेक उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। यह ट्रांसजेंडर पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए भी है।
यह पितृसत्ता से लड़ने के लिए ट्रांसजेंडर पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों को प्रोत्साहित करने और एक लिंग-न्यायपूर्ण समाज की दिशा में काम करने के लिए है, जहां महिलाएं गरिमा के साथ आजीविका प्राप्त कर सकती हैं और अपने जीवन और शरीर पर नियंत्रण हासिल कर सकती हैं।”
पुरस्कार विजेता विद्या राजपूत ने कहा, “यह पुरस्कार एक प्रोत्साहन है, यह न केवल मुझे बल्कि मेरे जैसे सभी लोगों को साहस देगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि आज तक हम (ट्रांसजेंडर लोग) केवल अपने परिवार और समाज से अस्वीकृति रहे हैं, यह सम्मान मिलने से हमारे समुदाय में आत्मविश्वास आएगा और यह भविष्य में कई सकारात्मक बदलाव लाएगा।”
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