फसल नुकसान पर मुआवजा राशि में इजाफा
रायपुर,24 नवम्बर 2022(ए)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में किसानों के हक में बड़ा फैसला लेते हुए बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि और पाला से होने वाले फसल नुकसान के मुआवजे में बड़ा इजाफा किया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान की सीमा को भी बढ़ाया गया है। पहले यह 70 करोड़ रुपए था, इसे बढ़ाकर अब 110 करोड़ रुपए तक कर दिया गया है।
कृषि, पंचायत और संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कैबिनेट में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को राजस्व पुस्तक परिपत्र के तहत सरकार की ओर से सहायता दी जाती थी। लंबे समय से सहायता राशि में बदलाव नहीं हुआ था, जिसकी वजह से किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती थी।
ऐसे में राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर सहायता राशि को बढ़ाया गया है। इसमें जनहानि का मुआवजा तो पहले की तरह चार लाख रुपए ही है, लेकिन फसल, मकान, जमीन और मवेशी (ख्द्बद्द ष्ठद्गष्द्बह्यद्बशठ्ठ) आदि के नुकसान का मुआवजा बढ़ाया गया है।
जिला खनिज संस्थान न्यास से संपादित अधोसंरचना के कार्यों पर व्यय हेतु न्यास निधि में प्राप्त राशि से निश्चित प्रतिशत राशि के बंधन से मुक्त किए जाने के संबंध में छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान नियम 2015 में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया है।
इसके तहत् डीएमएफ के अन्य प्राथमिकता मद में उपलब्ध राशि का 20 प्रतिशत सामान्य क्षेत्र में तथा 40 प्रतिशत अधिसूचित क्षेत्र में व्यय किए जाने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है, इससे अधोसंरचना के कार्य को गति मिलेगी जिससे प्रदेश में सामाजिक एवं आर्थिक विकास तेजी से होगा।
नवीन मछली पालन नीति में संशोधन किए जाने के विभागीय आदेश का मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन किया गया। अब मछली पालन के लिए तालाब/जलाशय की नीलामी नहीं होगी। तालाब/जलाशय 10 वर्ष के लीज पर दिए जाएंगे। तालाब/जलाशय के पट्टा आबंटन में सामान्य क्षेत्र में ढीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी। इसी तरह अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी।
संशोधन प्रस्ताव के अनुसार ग्रामीण तालाब के मामले में अधिकतम एक हेक्टेयर के स्थान पर आधा हेक्टेयर तथा सिंचाई जलाशय के मामले में 4 हेक्टेयर के स्थान पर 2 हेक्टेयर प्रति सदस्य/प्रति व्यक्ति के मान से जल क्षेत्र आबंटित किए जाने का प्रावधान किया गया है। मछली पालन के लिए गठित समितियों का आडिट अब सहकारिता एवं मछली पालन विभाग की संयुक्त टीम करेगी।
राज्य शासन छत्तीसगढ़ राज्य वनोपज संघ एवं निजी निवेशकों के मध्य सम्पादित त्रिपक्षीय एमओयू के आधार पर स्थापित वनोपज आधारित उद्योगों द्वारा जो उत्पाद निर्माण किए जाएंगे। छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड के अंतर्गत 40 प्रतिशत की छूट के साथ क्रय करते हुए संजीवनी एवं अन्य माध्यमों से विक्रय हेतु शासन द्वारा निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के फलस्वरूप उन उद्योगों को जो वनोपज आधारित उत्पादों का निर्माण करना चाहते हैं उनको बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ हर्बल के अंतर्गत अच्छी मलिटी के उत्पादों का विक्रय हो सकेगा।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा, अनुसूचित जातियों,अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था में प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
द्वितीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2022-23 का विधानसभा में उपस्थापन के लिए छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक 2022 का अनुमोदन किया गया।
ग्राम सेरीखेड़ी रायपुर पटवारी हल्का नम्बर 77 में स्थित शासकीय भूमि 9.308 हेक्टयर भूमि का आबंटन प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन साधारण प्रकृति के प्रकरणों को जनहित में वापस लिए जाने हेतु निर्धारित अवधि 31 दिसंबर 2017 को बढ़ाकर 31 दिसंबर 2018 करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
मुख्यमंत्री जी के स्वेच्छानुदान राशि 70 करोड़ से बढ़ाकर 110 करोड़ किए जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
भारत सरकार के संशोधन के अनुसार राजस्व पुस्तक परिपत्र खंड 6 क्रमांक 4 में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
लोकसभा में पारित करेंगे आरक्षण, संशोधन प्रारूप की मंजूरी के लिए बैठक
छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार 1 व 2 दिसंबर को आरक्षण में संशोधन विधेयक पेश करेगी। संशोधन के प्रारूप की मंजूरी के लिए कैबिनेट की बैठक चल रही है। खबर है कि राज्य सरकार विशेष सत्र के संशोधन विधेयक पारित होने के बाद 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लोकसभा भेजेगी। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में इसे प्रस्तुत किया जाएगा।
9वीं अनुसूची में शामिल होने के बाद इसे कोर्ट के चुनौती नहीं दी जा सकेगी। दरअसल, जिन राज्यों में 50त्न से ज्यादा आरक्षण है, वहां भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई गई है। आरक्षण ऐसा विषय है, जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों सहमत होते हैं, इसलिए लोकसभा से पारित होने में कोई मुश्किल नहीं आएगी।
संविधान की 9वीं अनुसूची
9वीं अनुसूची में केंद्र और राज्य कानूनों की एक ऐसी सूची है, जिन्हें न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती। वर्तमान में संविधान की 9वीं अनुसूची में कुल 284 कानून शामिल हैं, जिन्हें न्यायिक समीक्षा संरक्षण प्राप्त है अर्थात इन्हें अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। 9वीं अनुसूची को वर्ष 1951 में प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से भारतीय संविधान में शामिल किया गया था। यह पहली बार था, जब संविधान में संशोधन किया गया था।
छत्तीसगढ़ की नवीन मछली पालन नीति कैबिनेट में मंजूर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में आज छत्तीसगढ़ राज्य की नवीन मछली पालन नीति में मछुआरा के हितों को ध्यान में रखते हुए संशोधन को मंजूरी दी गई। मछुआ समुदाय के लोगों की मांग और उनके हितों को संरक्षित करने के उद्देश्य से नवीन मछली पालन नीति में तालाब और जलाशयों को मछली पालन के लिए नीलामी करने के बजाय लीज पर देने के साथ ही वंशानुगत-परंपरागत मछुआ समुदाय के लोगों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है। तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों के जलक्षेत्र आबंटन सीमा में 50 फीसद की कमी कर ज्यादा से ज्यादा मछुआरों को रोजी-रोजगार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। प्रति सदस्य के मान से आबंटित जलक्षेत्र सीमा शर्त घटाने से लाभान्वित मत्स्य पालकों की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
संशोधित नवीन मछली पालन नीति के अनुसार मछली पालन के लिए तालाबों एवं सिंचाई जलाशयों की अब नीलामी नहीं की जाएगी, बल्कि 10 साल के पट्टे पर दिए जाएंगे। तालाब और जलाशय के आबंटन में सामान्य क्षेत्र में ढ़ीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को तथा अनुसूचित जनजाति अधिसूचित क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी। मछुआ से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जो अपनी अजीविका का अर्जन मछली पालन, मछली पकड़ने या मछली बीज उत्पादन का कार्य करता हो, के तहत वंशानुगत-परंपरागत धीवर (ढ़ीमर), निषाद (केंवट), कहार, कहरा, मल्लाह को प्राथमिकता दिया जाना प्रस्तावित है।
इसी तरह मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति अथवा मछुआ व्यक्ति को ग्रामीण तालाब के मामले में अधिकतम एक हेक्टेयर के स्थान पर आधा हेक्टेयर जलक्षेत्र तथा सिंचाई जलाशय के मामले में चार हेक्टेयर के स्थान पर दो हेक्टेयर जलक्षेत्र प्रति सदस्य/प्रति व्यक्ति के मान से आबंटित किया जाएगा। मछली पालन के लिए गठित समितियों का ऑडिट अभी तक सिर्फ सहकारिता विभाग द्वारा किया जाता था। अब संशोधित नवीन मछली पालन नीति में सहकारिता एवं मछली पालन विभाग की संयुक्त टीम ऑडिट की जिम्मेदारी दी गई है।
त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था अंतर्गत शून्य से 10 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के तालाब एवं सिंचाई जलाशय को 10 वर्ष के लिए पट्टे पर आबंटित करने का अधिकार ग्राम पंचायत का होगा। जनपद पंचायत 10 हेक्टेयर से अधिक एवं 100 हेक्टेयर तक, जिला पंचायत 100 हेक्टेयर से अधिक एवं 200 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र तक, मछली पालन विभाग द्वारा 200 हेक्टेयर से अधिक एवं 1000 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के जलाशय, बैराज को मछुआ समूह एवं मत्स्य सहकारी समिति को पट्टे पर देगा। नगरीय निकाय अंतर्गत आने वाले समस्त जलक्षेत्र नगरीय निकाय के अधीन होंगे, जिसे शासन की नीति के अनुसार 10 वर्ष के लिए लीज पर आबंटित किया जाएगा।

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