बैकुण्ठपुर@पत्रकार को एक फॉर्म में एसडीएम के हस्ताक्षर के लिए कार्यालय का लगाना पड़ चक्कर

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एसडीएम को फॉर्म में हस्ताक्षर करने के लिए नियम को समझने में लगाए 15 दिन फिर भी नहीं कर पाई हस्ताक्षर।
हस्ताक्षर ना होने से नाराज पत्रकार एसडीएम कार्यालय के सामने बैठा धरने पर।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 9 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)।  नहीं अपना अधिकार मांगते हम आपसे भीख मांगते लिखी हुई तख्ती लेकर कोरिया जिले का एक पत्रकार एसडीएम कार्यालय बैकुंठपुर के समक्ष बैठकर अनोखे तरह से विरोध करता देखा गया जिसका एसडीएम कार्यालय से एक अनिवार्य दस्तावेज लेने का मामला अटका हुआ है जिसे कार्यालय द्वारा समय पर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। बताया जा रहा है कि उसे समाचार पत्र के पंजीयन के लिए उस दस्तावेज की जरूरत है और वह लगातार चक्कर लगा रहा है फिर भी उसे वह दस्तावेज नहीं दिया जा रहा था।
कोरिया जिले का एक पत्रकार आरएनआई में आवेदन किया था और उस आवेदन में नियम अनुसार एसडीएम का हस्ताक्षर होना था जिसके लिए उसने फॉर्म के साथ सारे दस्तावेज एसडीएम कार्यालय में जमा किए, जिसमें एसडीएम ने कहा कि मैं नियम को समझ कर इसमें हस्ताक्षर करूंगा पर 15 दिन बीत जाने के बावजूद भी एसडीएम मैडम ना हस्ताक्षर की और ना नियम जान पाई, उधर पत्रकार का समय अवधि बीत रहा था जिसे लेकर उसने एसडीएम मैडम को कहा कि मैडम हस्ताक्षर जल्दी चाहिए क्योंकि समय सीमा पर आवेदन को दिल्ली पहुंचना है पर एसडीएम मैडम ने कहा मैं अभी तक नियम को समझ नहीं पाई हूं समझने दीजिए अब 15 दिन बाद की मैडम नियम समझ नहीं पाई और ना ही पत्रकार के आवेदन में हस्ताक्षर हो पाया पर सवाल यह है कि ऐसा कौन सा नियम था की मैडम को समझने में 15 दिन लग गए और नियम समझ में नहीं आया, इसके बाद पत्रकार नाराज होकर एसडीएम कार्यालय के सामने ही धरने पर बैठ गया, जबकि पत्रकार की माने तो आवेदन बहुत सिंपल था उसमें चरित्र प्रमाण पत्र की जानकारी मांगी गई थी जो एसडीएम को देना था, मैडम चाहती तो पुलिस विभाग से सत्यापन करा उसमें हस्ताक्षर कर सकती थी पर ऐसा नहीं किया ना जाने ऐसा कौन सा नियम पता कर रही थी नहीं कर पाई।
जिले के कांग्रेस नेता के धरने के बाद पत्रकार को हस्तक्षर के एसडीएम कार्यालय में धरने पर बैठना पड़ा
पहले जिले में कांग्रेस के बड़े नेता बैठे धरने पर अब की बार एक पत्रकार को एसडीएम कार्यालय में धरने में बैठने का मामला सामने आया हैं, धरने में बैठे सुनील शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा समाचार पत्र प्रकाशन करने के लिए भारत सरकार की संस्था से आरएनआई के लिए आवेदन किया गया हैं जिसमे प्राम्भिक आवेदन में  जिले के एसडीएम अंकिता सोम के हस्ताक्षर के साथ उसे आरएनआई के आफिस दिल्ली में जमा करना था लेकिन 22 अक्टूबर को एसडीएम कार्यालय में फार्म जमा करने के बाद आज दिनांक 8 नवंबर तक अंकिता सोम के द्वारा उस आवेदन को लापरवाही पूर्वक गुमा दिया गया और पुनः फॉर्म लाने को कहा गया, लेकिन इसके बाद भी नियमो की जानकारी न होने का हवाला देते हुए फर्म पर हस्ताक्षर नही किया गया, जिससे पत्रकार का गुस्सा फूट पड़ा और वो एसडीएम कार्यालय के अंदर ही धरने पर बैठ गए। आवेदक के द्वारा एसडीएम से बातचीत का वीडियो बनाए जाने पर वीडियो को डिलीट करने का दबाव भी डाला गया और साथ मे कहा गया कि आप अपना काम करवा लो हम भी देखते हैं, अब सवाल ये उठता हैं कि एसडीएम और सँयुक्त कलेक्टर जैसे पदों पर बैठे हुए अधिकारी भी अगर नियमों से अनभिज्ञ हैं और नियमो की जानकारी न होने का हवाला देकर कब तक अपने कर्तव्यों से बचते फिरंगे और शासन को कब तक धूमिल करने का काम करेंगे?


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