सूरजपुर,@सूरजपुर तहसील कार्यालय मे΄ दलालो΄ का जमघट

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  • ओमकार पांडेय-
    सूरजपुर, 07 नवम्बर 2022(घटती-घटना)। कोई नृप होय हमे या हानि….!यह कहावत तहसील के उन बाबुओ΄ पर लागू होता है जो वषोर्΄ से एक ही जगह पर अ΄गद की पा΄व की तरह न केवल जमे हुए है बल्कि अपनी भृष्ट कार्यशैली से सरकार व प्रशासन की छवि को बट्टा लगा रहे है। सरकार व प्रशासन की म΄शा है कि आम आदमी को सरकारी काम खास कर जमीन सम्बन्धी मामलो΄ मे΄ अनावश्यक भटकना न पड़े और उनके काम आसानी से हो जाए΄ पर यहा΄ तहसील से लेकर अनुविभाग स्तर के दफ्तर बाबुओ΄ व दलालो΄ के ऐसे मकडज़ाल मे΄ फ΄सा हुआ है, कि आम आदमी अपना कोई भी काम बिना रुपए चढ़ाए नही΄ करा पा रहा है। सूरजपुर तहसील कार्यालय मे΄ दलालो΄ का जमघट लगा लिया है, जो उनकी ओर से लोगो΄ से रुपए लेकर हर तरह के काम करा रहे है΄। दलाल और बिचौलियो΄ के इशारे पर हर वह अनैतिक कार्य को बखूबी अ΄जाम दिया जा रहा है। कायदे-कानून के लिहाज से यह उचित नही΄ कहा जा सकता है। लेकिन यहा΄ सब कुछ पैसे की माया है, दलालो΄-बिचौलियो΄ के जरिए सुगमता से हर काम करा दिया जाता है। यहा΄ तहसील मे΄ ल΄बे वक्त से बाबू जमे हुए है जिनके रहते कोई काम आसानी से होता नही ओर उनकी सेहत मे΄ कोई फर्क पड़ता नही जिससे अधिकारी चाह कर भी कुछ नही कर पाते।
  • हर बात के लिए तय है सुविधा शुल्क
  • तहसील कार्यालय से जुड़े आम लोगो΄ के काम आसानी से नही΄ होते है΄। तहसील से जुड़े कार्यो के लिए बनाए गए । ऋुटि सुधार, खसरा-खतौनी की नकल, नशा की कॉपी, भू-अधिकार पुस्तिका, बटा΄कन, बटबारा, सीमा΄कन, नामा΄तरण और डायवर्सन, सभी तरह के काम के लिए सरकारी फीस के अलावा सुविधा शुल्क की राशि भी तय है, जो लोग शुल्क दे देते है΄, उनके काम तो आसानी से हो रहे है΄, लेकिन जो सुविधा शुल्क नही΄ देते है΄, उनके काम को दरकिनार रखते हुए महीनो΄ तक नही΄ किए जाते है΄। इतना ही नही΄ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हो या निजी जमीन का विवाद, सभी केसो΄ को जरुरत से ज्यादा ल΄बित रखा जाता है, ताकि पीडि़त पक्ष मजबूरन सुविधा शुल्क दे। फिर भी शुल्क नही΄ मिलता है, तो काम ल΄बित ही रहता है।

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