नई दिल्ली,07 नवम्बर 2022। सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस यू यू ललित तथा रविंद्र भट्ट की असहमति के बावजूद संविधान पीठ के पांच में से तीन जजों का समर्थन मिल जाने के बाद आज संविधान के 103 वे संसोधन का रास्ता साफ हो गया। जजों के 3–2 के बहुमत से आये आज के फैसले से आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को भी दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा।अब आरक्षित और अनारक्षित वर्गों के बीच हैसियत का फर्क इस फैसले के कारण दूर हो सकेगा।
बेशक यह स्वागतेय निर्णय है।सामान्य जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर आवेदकों को शिक्षा और रोजगार के लिए उपलब्ध अवसरों के लिए एस सी एस टी और ओबीसी वर्गों की तरह कोई आरक्षण नही मिलता था जबकि उक्त वर्गों के लिए कुल मिलाकर करीब 47 प्रतिशत तक आरक्षण मिल रहा है।ऐसे में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग को भी शिक्षा और रोजगार जैसे जरूरी क्षेत्रो में दस फीसदी आरक्षण की राह खुल जाने से मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कतिपय नेता पूछ रहे हैं कि पिछले करीब तीन दशकों में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की मांग को कई बार खारिज कर चुके सुप्रीम कोर्ट ने अब अचानक अपनी राय क्यों बदल दी और बार बार घोषित की गई पचास प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं देने की व्यवस्था क्या इसतरह से अर्थहीन नहीं हो जाएगी!
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