- शासकीय जमीन हेरफेर मामले में पटवारी पर गिरी निलंबन की गाज।
- एसडीएम बैकुंठपुर ने जारी किया निलंबन आदेश।
- घटती-घटना ने प्रमुखता से किया था खबर का प्रकाशन।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 28 अक्टूबर 2022 (घटती-घटना)। जिले में राजस्व विभाग की कारस्तानी को लेकर जनता काफी परेशान है, जनता को अपने जायज कार्यो के लिए पटवारियो के चक्कर लगाने पड़ते हैं, समय के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी परेशान होना पड़ता है। इसी क्रम में घटती घटना अखबार ने बैकुंठपुर तहसील अंतर्गत एक पटवारी द्वारा शासकीय जमीन को निजी व्यक्ति के नाम पर किये जाने की खबर प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। उक्त खबर प्रकाशन के साथ ही विभाग की किरकिरी भी जमकर हो रही थी, अंततः पटवारी को एसडीएम बैकुंठपुर द्वारा तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर निलंबित कर दिया गया है। पटवारी पर हुई कार्यवाही के बाद राजस्व विभाग समेत जमीन दलालों में हड़कंप मचा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि घटती-घटना अखबार ने ’’पटवारी मस्त,जनता त्रस्त.राजस्व विभाग बना परेषानी का सबब’’ शीर्षक के साथ खबर का प्रकाशन किया था, जिसमें यह बताया गया था कि बैकुंठपुर तहसील में पदस्थ पटवारी वंदना कुजुर द्वारा अपने पूर्व हल्के में एक शासकीय व सिचाई विभाग के नहर की जमीन को निजी व्यक्ति के नाम पर कर दिया गया था। मामला सामने आने के बाद विभाग द्वारा इसकी विस्तृत जांच कराई गई और उक्त पटवारी को नोटिस जारी किया गया था। पटवारी द्वारा अपने बचाव में जवाब तो प्रस्तुत किया गया था लेकिन जवाब संतोषप्रद न होने के कारण अंततः अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने पटवारी का निलंबन आदेश जारी किया है। जारी आदेश में कहा गया है कि वंदना कुजुर पटवारी हल्का क्रमांक 5 खरवत को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, ग्राम मंडलपारा स्थित उक्त भूमि पर नहर होना बताया गया है। इसके अतिरिक्त तहसीलदार बैकुंठपुर के जांच प्रतिवेदन अनुसार उक्त मंडलपारा नहर स्थित भूमि का विक्रय वर्ष 2018-19 नामांतरण पंजी में बिना सक्षम प्राधिकारी के प्रमाणीकरण कराये नामांतरण कर दिये जाने का प्रतिवेदन जांच में स्पष्ट प्राप्त हुआ है। एवं तहसीलदार बैकुंठपुर द्वारा निलंबन कार्यवाही की अनुशंसा की गई है। जिसकी पुष्टि जाँच प्रतिवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजो से होती है। पत्र में कहा गया है कि आपका यह कृत्य पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही को प्रदर्शित करता है। जो छग सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है। उक्त कृत्य के कारण वंदना कुजुर पटवारी को अनुविभागीय अधिकारी द्वारा निलंबित कर दिया गया है।
पटवारी को बचाने सक्रिय हुए दलाल
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में खरवत हल्का में पदस्थ पटवारी वंदना कुजुर विभाग समेत जमीन दलालो के बीच अच्छी पैठ रखती है। यही कारण है कि खरवत हल्के में पदस्थापना के पीछे भी दलालों व कुछ राजस्व अधिकारियों का अहम योगदान था,उक्त मामले में भी पटवारी को बचाने के लिए दलालो ने काफी जोर लगाया था, लेकिन जांच प्रतिवेदन में दोषी पाये जाने के बाद आखिरकार पटवारी को निलंबित कर दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि जानबूझकर इतना बड़ा कदम जिस प्रकार पटवारी द्वारा उठाया गया था उसके लिए मात्र निलंबन ही एकमात्र दण्ड है। आखिरकार 3-4 महीने बाद पटवारी को पुनः बहाल कर ही दिया जाएगा। और लीपापोती करते हुए उसके सारे दोष भी मुक्त कर दिए जांएगे। जिससे कि ऐसा कृत्य करने वाले अन्य कर्मियो के हौसले बुलंद होंगे। बताया जाता है कि पटवारी के निलंबन के बाद क्षेत्र में सक्रिय जमीन दलालों ने पटवारी के पक्ष में मामला सेट करने के लिए काफी जोर लगाया है, कई्र दलाल कुछ कलमकारो को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के इर्द गिर्द भी भटकते नजर आए। लेकिन अधिकारियो से मामला सेट नही हो पाया जिससे कि उनके मंसुबो पर पानी फिर गया। बहरहाल अब देखना है कि इस मामले में प्रषासनिक स्तर पर आगे क्या कार्यवाही होती है।
वही इस संबंध में इनका कहना है कि मेरे पर जो आरोप है वह सरासर गलत है वह जमीन मेरे पदस्थापना के पहले से ही किसी और के नाम पर थी, मेरे साथ विभाग के लोग षड्यंत्र कर रहे हैं मैंने उच्च अधिकारियों के पत्र का जवाब दस्तावेज के साथ प्रस्तुत किया है मुझे उस तहसील से हटाने के लिए यह षड्यंत्र रचा जा रहा है मैं कलेक्टर साहब के समक्ष अपनी सारी बातें रखूंगी और वास्तविक स्थिति से उन्हें अवगत कर आऊंगी।
वंदना कुजुर पटवारी