रायपुर, 27 अक्टूबर 2022। छत्तीसगढ़ राज्य का 44 प्रतिशत भू-भाग वनो से आच्छादित है। 42 तरह की जनजातिया प्रदेश मे निवास करती है। इन सभी जनजातियो के अपने-अपने तीज-त्यौहार है, अपनी-अपनी सस्कृति है, अपनी-अपनी कला परपराए है। इन्ही सबसे मिलकर छत्तीसगढ़ राज्य की सुदर सस्कृति और परपराओ का निर्माण होता है। छत्तीसगढ़ मे जनजातियो की जनसख्या कुल जनसख्या का 31 प्रतिशत है।
मुख्यमत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व मे छत्तीसगढ़ की आदिवासी सस्कृति एव सभ्यता को अतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। इसी कड़ी मे राज्य मे तीसरी बार आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यमत्री की पहल पर इटरनेशनल ट्राइबल डास फेस्टिवल के रूप मे एक बहुत महत्वपूर्ण परपरा की शुरुआत छत्तीसगढ़ मे की गई है। यह प्रयास न केवल छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि देश और पूरी दुनिया के जन-जातीय समुदायो के आपसी मेलजोल, कला-सस्कृतियो के आदान-प्रदान के लिए अत्यत महत्वपूर्ण सिद्ध साबित हो रहा है।
इस आयोजन मे भारत के सभी राज्यो और केद्र शासित प्रदेशो के जनजातीय कलाकारो की टीमो के साथ-साथ 9 देशो के जनजातीय कलाकारो की टीमे भी शामिल हो रही है। इस वर्ष यह आयोजन 1 नवबर से शुरू हो रहा है। यह छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की तारीख भी है। रायपुर मे राष्ट्रीय जनजातीय नृत्य महोत्सव का आयोजन तीन दिनो तक किया जाएगा। इस आयोजन मे 1500 जनजातीय कलाकार शामिल होगे। इनमे से 1400 कलाकार भारत के सभी राज्यो और केद्र शासित प्रदेशो के है, और 100 कलाकार विदेशो के होगे।
अतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का यह तीसरा आयोजन है। पिछले वर्ष इस आयोजन मे 12 देशो ने रुचि ली थी, जिनमे से 7 ने इसमे हिस्सा लिया था। इस साल 26 देशो ने रुचि प्रदर्शित की है, इनमे से 9 देश इस महोत्सव मे शामिल होने जा रहे है। इस आयोजन मे मोजाबिक, मगोलिया, टोगो, रशिया, इडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैड और इजिप्ट के जनजातीय कलाकार हिस्सा लेगे।
इटरनेशनल ट्राइबल डास फेस्टिवल मे दो कैटेगिरी मे प्रतियोगिताए होगी। विजेताओ को कुल 20 लाख रुपए के पुरस्कारो का वितरण किया जाएगा। प्रथम स्थान के लिए 5 लाख रुपए, द्वितीय स्थान के लिए 3 लाख रुपए और तृतीय स्थान के लिए 2 लाख रुपए के पुरस्कार दिए जाएगे। 1 नवबर को सुबह नृत्य महोत्सव का शुभारभ होगा और शाम को राज्योत्सव के अवसर पर राज्य अलकरण दिया जाएगा।
3 नवबर को नेशनल ट्राइबल डास फेस्टिवल का समापन होगा। इस महोत्सव के माध्यम से न केवल राष्ट्रीय-अतरराष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय कलाकारो के बीच उनकी कलाओ की साझेदारी होगी, बल्कि वे एक-दूसरे के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली को भी देख-समझ सकेगे। महोत्सव के दौरान सगोष्ठिया भी होगी, जिनमे जनजातीय विकास के बारे मे विमर्श होगा। जाने-माने विशेषज्ञ भी इसमे शामिल होगे।
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