राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया से होने के बावजूद क्या पहले से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का जीतना तय था?
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया से होने के बावजूद सवालों के घेरे में?
मल्लिकार्जुन खड़गे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने बाद उठने कई लगा सवाल।
-:लेख रवि सिंह कटकोना कोरिया छत्तीसगढ़:- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्या सही मायने में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार संगठन के अध्यक्ष पद का चुनाव था या यह मात्र दिखावा था, यदि पूरी निर्वाचन प्रक्रिया को देखा जाए तो यह मात्र दिखावा ही कहा जा सकता है और इस चुनाव को मनोनयन ही कहा जा सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में जब यह तय था कि जो नाम गांधी परिवार से सामने आएगा वही अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच पायेगा और हुआ भी वैसा ही ऐसे में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया गया ऐसा कहना सर्वथा अनुचित भी है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया से संपन्न होगा जिस पर कांग्रेस वाहवाही लूट रही थी पर अचानक छत्तीसगढ़ में इसी चुनाव में आई गड़बड़ी को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं वही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के प्रत्याशी शशि थरूर चुनाव में गड़बड़ी की आशंका को लेकर मीडिया के सामने बयान भी दे चुके हैं पर ऐसे में सवाल यह उठता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले से ही तय था? क्योंकि जिस प्रकार से मतदान एक तरफा एक ही प्रत्याशी के तरफ पड़ा जिसे देखकर लगता है कि पहले से ही यह सभी को बता दिया गया था कि किस के पक्ष में मतदान करना है क्योंकि वोट किस संख्या पर भी गौर डालें तो कुछ ऐसा ही दिखता है चुनाव में कुल 9385 मत डाले गए और जिसमें गांधी परिवार के पसंदीदा उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 मत मिले और वहीं शशि थरूर को 1072 मत ही मिल सके कुल 414 मत अमान्य हुए और मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष चुन लिए गए। पूरे निर्वाचन प्रक्रिया में खामी रही यह शशि थरूर ने भी कहा और हार को स्वीकार किया लेकिन क्या सच मे खामियां रहीं, यदि छतीसगढ़ की ही बात की जाए तो अभी तक एक डेलीगेट्स के नाम से दो मत पड़ने की बात सामने आ चुकी है वहीं डेलीगेट्स को प्रभावित भी किया गया यह भी आरोप पूरे निर्वाचन प्रक्रिया के ऊपर लग चुका है। कांग्रेस पार्टी में लोकतंत्र है यह साबित करने के लिए दिखावे बतौर यह चुनाव सम्पन्न कराया गया और परिणाम पहले से सामने था यह सभी जानते हैं लेकिन कांग्रेस के पास कहने को एक मुद्दा मिल गया कि उसका अध्यक्ष निर्वाचन प्रकिया से जीतकर आया हुआ अध्यक्ष है। चुने गए अध्यक्ष को गांधी परिवार ने चुना है और उसपर केवल मतों का मोहर लग गया है यही सही तथ्य है वहीं अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पार्टी के निर्णयों में कितना अधिकार रहता है यह देखने वाली बात होगी, क्या अध्यक्ष ही निर्णय लेंगे या अभी भी मुख्य निर्णय गांधी परिवार लेगा और अध्यक्ष केवल घोषणा करने वाले रहेंगे।कां ग्रेस पार्टी में गांधी परिवार से बढ़कर कभी कोई नहीं रहा और ऐसा ही इस चुनाव में भी देखने को मिला जिसे गांधी परिवार ने अध्यक्ष पद के लिए आगे किया वही अध्यक्ष बना और अब रास्ट्रीय अध्यक्ष बनकर पार्टी की बागडोर सम्हालने तैयार भी हैं। वैसे कांग्रेस अध्यक्ष के लिए हुए निर्वाचन प्रक्रिया व मतगणना पूर्ण होने व परिणाम घोषित होने से पहले ही राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष मानकर बयान दे दिया था और पूरे एक घण्टे पहले उन्होंने ऐसा बयान दिया था जिसके बाद भी समझा जा सकता है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष किसकी मंशा से अध्यक्ष बने हैं। कांग्रेस पार्टी अपने पार्टी के भीतर इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया अनुसार चुना हुआ अध्यक्ष कहने से पीछे नहीं हट रही है और वहीं पूरी निर्वाचन प्रक्रिया सभी के सामने है कि किस तरह का निर्वाचन रहा यह। चुनाव में शशि थरूर को भी मत मिले और उन्हें ऐसे लोगों के मत मिले जो कांग्रेस पार्टी के लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अमली जामा पहनाना चाहते थे वे वैसे लोग नहीं थे जिन्होंने निर्देशों के तहत मत दिए।