- कभी सबसे खास रहे समर्थकों का अलग जाकर कार्यक्रमों में शिरकत करना कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं।
- आजकल बैकुंठपुर विधानसभा में सत्तापक्ष की राजनीति की अलग ही तस्वीर आ रही सामने।
- विधायक खेमे के लोगों के अलग जमावड़े से उठ रहे सवाल भी,कुछ तो गड़बड़ है?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 19 अक्टूबर 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के एकमात्र विधानसभा बैकुंठपुर में सत्तापक्ष की राजनीति अलग ही करवट लेती नजर आ रही है और विधायक के कभी खास रहे समर्थकों का अलग जमावड़ा लगने लगा है, कहा जा रहा है कि यह जमावड़ा असन्तुष्ट लोगों का जमावड़ा है जो धीरे धीरे विधायक से नाराज होते चले गए और अब अलग जाकर एकजुट हो रहें हैं। यह उन लोगों का जमावड़ा है जो विधायक के सबसेखास हुआ करते थे आरंभ के दिनों में जब बैकुंठपुर की वर्तमान विधायक चुनाव लड़ने मैदान में पहली बार उतरी थीं और उनके खास सिफेहसलार यही लोग हुआ करते थे।
बैकुंठपुर विधायक से उनके यह खास समर्थक जो बड़ी संख्या में हैं क्यों अलग हुए और क्यों अलग जमावड़ा लगा रहें हैं इसको लेकर तो कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आ रही है बशर्ते यह जरूर कहा जा रहा है कि सभी विधायक से नाराज चल रहे हैं और यही वजह है कि वह अलग जाकर एकजुट हो रहें हैं। बैकुंठपुर विधायक से अलग होकर चल रहे इस एकजुट होने वाले गुट में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बैकुंठपुर,नगर अध्यक्ष कांग्रेस शिवपुर चरचा,युवक कांग्रेस प्रदेश महासचिव,जनपद उपाध्यक्ष बैकुंठपुर,जिला अध्यक्ष राजीव युवा मितान क्लब शामिल हैं। बैकुंठपुर विधायक के एक तरह से यही मुख्य सिफेहसलार थे और इनके अलग होने से उन्हें निश्चित रूप से नुकसान होगा जो आगामी चुनाव में उनके लिए दिक्कत खड़ा करेगा। बैकुंठपुर विधायक का संगठन को महत्व नहीं देना भी इसका कारण माना जा रहा है और मनमाने रूप से पदाधिकारियो के मनोनयन से भी इसको जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे चुनाव में अभी समय है और देखना यह होगा कि बैकुंठपुर विधायक कैसे अपने समर्थकों को मनाती हैं। बैकुंठपुर विधानसभा में बैकुंठपुर की वर्तमान विधायक का आगामी चुनाव कठिन होगा यह अभी से तय नजर आने लगा है,एक तरफ समर्थकों की ही नाराजगी दूसरी तरफ क्षेत्र भ्रमण और जनसंपर्क में भी कमजोर प्रदर्शन निश्चित रूप से वर्तमान विधायक के लिए कठिनाई खड़ी करने वाला होगा। बैकुंठपुर विधानसभा ने हमेशा जन सरोकारों को प्राथमिकता देनेवाले जनप्रतिनिधियों को चुना और इसबार भी उन्हें ऐसे ही उम्मीद थी लेकिन जिस तरह का 4 सालों का कार्यकाल बैकुंठपुर विधायक का रहा जनसरोकार कहीं नजर नहीं आया बशर्ते द्वेष और विरोध की राजनीति ज्यादा देखी गई जो परम्परा पहले कभी बैकुंठपुर विधानसभा में नहीं रही। बैकुंठपुर विधायक के खास समर्थकों के दूर जाने की वजहों में एक वजह यह भी बताई जा रही की विधायक के ही करीब रह रहे कुछ लोगों के द्वारा लगातार कान भरने व गलत सही जानकारी विधायक तक पहुचाने के कारण भी यह लोग अलग हुए हैं जो चर्चा का विषय भी बना हुआ है। आधे से अधिक कांग्रेस के वरिष्ठ ऐसे ही नाराज चल रहे हैं ऊपर से नगरपालिका चुनावों में भी विधायक की रणनीति हार की वजह बनी और पार्टी को मुंह की खानी पड़ी अब चुनाव समीप आते समर्थकों का अलग जाना, कुछ तो गड़बड़ जरूर है?