मुबई, 19 अक्टूबर 2022। पात्रा चॉल के पुनर्विकास मे कथित वित्तीय अनियमितताओ और उनकी पत्नी और सहयोगियो से जुड़े वित्तीय लेनदेन से धनशोधन मामले मे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए शिवसेना सासद सजय राऊत को राहत मिलती नजर नही आ रही है बल्कि उनकी मुश्किले और बढ़ती ही जा रही है। मुबई की एक विशेष अदालत ने कहा कि वह सासद सजय राउत की जमानत याचिका पर 21 अक्टूबर को सुनवाई जारी रखेगी। विशेष न्यायाधीश एम जी देशपाडे ने राउत की न्यायिक हिरासत की अवधि भी 21 अक्टूबर तक बढ़ा दी, जब उन्हे मगलवार को हिरासत की अवधि समाप्त होने पर अदालत मे पेश किया गया।
अदालत मे राउत राष्ट्रवादी काग्रेस पार्टी (राकापा) के नेता एकनाथ खडसे से मिले, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज धनशोधन मामले के सिलसिले मे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वहा आए थे। दोनो नेताओ ने सक्षिप्त बात की और इस दौरान राउत को खडसे को यह कहते हुए सुना गया कि वह जल्द ही जेल से बाहर होगे।
राउत के वकील अशोक मुदरगी ने मगलवार को अपनी प्रत्युत्तर दलीले पूरी की, जिस दौरान उन्होने अदालत को बताया कि ईडी द्वारा राउत के खिलाफ लगाए गए आरोप ‘‘स्वाभाविक रूप से अविश्वसनीय है और उन पर भरोसा नही किया जा सकता।” मुदरगी ने अदालत को बताया कि कथित लेनदेन साल 2008 से 2012 तक के है। उन्होने कहा, ‘‘एक दशक हो गया है और आरोप केवल 3.85 करोड़ रुपये का है।” ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिह ने मुदरगी द्वारा दी गई कुछ नयी दलीलो का विरोध करने के लिए अतिरिक्त समय मागा। अदालत ने सहमति जताते हुए मामले की अगली सुनवायी 21 अक्टूबर को तय की और राउत की न्यायिक हिरासत तब तक के लिए बढ़ा दी। ईडी ने राउत को पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना के सबध मे धनशोधन के आरोप मे इस साल जुलाई मे गिरफ्तार किया था। उपनगरी क्षेत्र गोरेगाव मे 47 एकड़ मे फैली पात्रा चॉल को सिद्धार्थ नगर के नाम से भी जाना जाता है।
और उसमे 672 किरायेदार परिवार है।
2008 मे, महाराष्ट्र गृहनिर्माण एव क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने एचडीआईएल (हाउसिग डेवलपमेट एड इफ्रास्ट्रख्र लिमिटेड) की एक सहयोगी कपनी गुरु आशीष कस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के पुनर्विकास का अनुबध सौपा। जीएसीपीएल को किरायेदारो के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और म्हाडा को कुछ फ्लैट देने थे।
वह शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए स्वतत्र था। हालाकि, ईडी के अनुसार, पिछले 14 वर्षो मे किरायेदारो को एक भी फ्लैट नही मिला, क्योकि कपनी ने पात्रा चॉल का पुनर्विकास नही किया, बल्कि अन्य बिल्डरो को भूमि के टुकड़े और फ्लोर स्पेस इडेक्स (एफएसआई) 1,034 करोड़ रुपये मे बेच दिये।
