बैकुण्ठपुर@क्यों बार-बार शासकीय कार्यक्रमों में जमीन पर बैठने मजबूर हो जाते हैं कोरिया के जिपं उपाध्यक्ष?

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कोरिया जिला पंचायत उपाध्यक्ष अपने ही सरकार में क्यों है उपेक्षा के शिकार,षड्यंत्र है या प्रशासन की बेरुखी?
क्या वजह थी कि जिला पंचायत उपाध्यक्ष को मंच पर नहीं जमीन पर पड़ा बैठना?
अपनी ही सरकार में जिपं उपाध्यक्ष को कई बार जमीन पर बैठ जताना पड़ा विरोध।
सत्ता के 4 साल पूरा होने को हैं रवैये में बदलाव आखिर क्यों नहीं प्रशासन के?
क्या जिपं उपाध्यक्ष के साथ हो रहा षड्यंत्र या फिर प्रशासन नहीं जानता कि सत्ता पक्ष के हैं जिपं उपाध्यक्ष?
विपक्षी पार्टी के जनप्रतिनिधियों का तिरस्कार तो होता ही आ रहा है पर अपने ही पार्टी का तिरस्कार भी एक नहीं कई बार हो चुका, आखिर कहां पर है कमी?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 16 अक्टूबर 2022(घटती-घटना)।
15 साल बाद छत्तीसगढ़ राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार आई, नई सरकार से लोगों की उम्मीद थी की पुरानी सरकार से यह बेहतर सरकार होगी, प्रशासनिक कसावट अच्छा होगा और लोगों की परेशानियां कम होंगी जो अभी तक देखने को नहीं मिला है, जनता ने जितनी उम्मीद मौजूदा सरकार से लगाई थी क्या उम्मीद पूरी हुई है? यह तो 2023 का चुनाव परिणाम बताएगा। इस समय कोरिया जिले में जिस प्रकार की राजनीति हो रही है इससे कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी की ही छवि धूमिल हो रही है सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों का अपमान लगातार देखा जा रहा है, एक नहीं कई बार जिला पंचायत उपाध्यक्ष वेदांती तिवारी को अपने ही सरकार में मान सम्मान ना मिलने को लेकर आमंत्रण में नाम न होने को लेकर मंचो पर कुर्सी ना मिलने को लेकर जमीन पर बैठने की नौबत आ गई थी और यह पिछले 4 सालों में एक नहीं कई बार देखने को मिला। कई प्रशासनिक अधिकारी बदले पर इसके बावजूद उनके साथ होने वाली उपेक्षा का सिलसिला खत्म नहीं हुआ, एक बार फिर विभाजित जिला कोरिया में उन्हीं के जिला पंचायत क्षेत्र में नवीन तहसील कार्यालय का उद्घाटन हुआ और आमंत्रण भी दो बार छपे पर दोनों बार उनका नाम उस आमंत्रण कार्ड में नहीं रहा जिसे लेकर उन्हें आपत्ति हुई और वह कार्यक्रम में पहुंचे तो जरूर पर जमीन पर बैठकर ही विरोध जताया, विधायक व प्रशासनिक अधिकारी के मान मनोबल के बाद मंच पर आसीन तो हो गए पर सवाल यह है कि आखिर ऐसा बार- बार क्यों हो रहा है, आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? क्या इसके पीछे इन्हीं के पार्टी के लोगों का षड्यंत्र है? क्या इनके विधायक की भी यही मंशा है या फिर प्रशासन की चूक फिलहाल चाहे जो भी हो इनके प्रति तिरस्कार की घटना थम नहीं रही। ऐसे कई सवाल इस समय जिला पंचायत उपाध्यक्ष को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है पर सवाल यह है क्या मुख्यमंत्री इन चीजों को गंभीरता से लेते हुए अपनी पार्टी की धूमिल होती छवि को सुधार पाएंगे? क्या प्रशासनिक अधिकारियों को समझा पाएंगे या स्थानीय विधायक को इसका जिम्मेदार मानेंगे?

पहली बार कलेक्टर बने विनय कुमार लंगेह के लिए यह अपनी तरह का अलग ही मामला
आईएस विनय कुमार लंगेह को पहली बार कलेक्टर बनने का मौका मिला और पहले मौके के शुरुआती दौर में ही उन्हें एक कार्यक्रम में आलोचना का शिकार भी होना पड़ा, वैसे कहा जाता है कि विनाय कुमार लंगेह काफी एग्रेसिव कलेक्टर हैं और सारी चीजों को अच्छी तरीके से समझते हैं और सभी का सम्मान करना इनकी आदत है पर ना जाने कैसे इस मामले में वह अंदाजा नहीं लगा पाए और पूरे कार्यक्रम में उन्हें एक अलग तरह का अनुभव हुआ जिस बात से शायद वह अवगत नहीं थे और यदि अवगत होते तो ऐसी स्थिति शायद सामने आती ही नहीं, वहीं मामले में कलेक्टर कोरिया खुद असमंजस में ही दिखे।
आखिर कोरिया जिले में क्यों हो रही है जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा ?
कोरिया जिले में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की लगातार उपेक्षा हो रही है विपक्ष के नेताओं की उपेक्षा तो हो ही रही है सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा भी लगातार हो रही है पार्टी के अंदरखाने की आवाज़ है की गुटबाजी की देन है जैसा देखा जा रहा है। कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में सत्तापक्ष एकजुट कभी नहीं दिखा जबकि सत्ता में आये 4 साल हो गए कांग्रेस को। गाहे बगाहे जनप्रतिनिधियों की नाराजगी सामने आती रहती है और जो सत्तापक्ष के लिए आगामी चुनावों के हिसाब से सही नहीं कहा जा सकता। कुल मिलाकर कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में विधायक गुट और सत्ताधारी दल का एक अलग ही गुट सक्रिय है और दो भागों में सत्ताधारी दल बंटा हुआ है।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष बैठे रहे जमीन पर विधायक के खास समर्थकों ने फिर भी नहीं छोड़ी अपनी कुर्सी
सत्ताधारी दल के नेता साथ ही जिला पंचायत उपाध्यक्ष प्रशासन की उपेक्षा के कारण कार्यक्रम में जमीन पर बैठ विरोध दर्ज करते रहे प्रशासन के लोग उन्हें मनाने में लगे रहे वहीं विधायक के खास समर्थक जो न तो निर्वाचित हैं और न ही उनका जनाधार और न ही इनके अंदर दिखा शिष्टाचार वह कुर्सियां छोड़ उठने की जरा भी इक्षाशक्ति नहीं दिखा पाए जबकि जिला पंचायत उपाध्यक्ष एक वरिष्ठ नेता हैं सत्ताधारी दल के और उनके जमीन पर बैठने के बाद कम से कम कुर्सियों पर बैठे विधायक के समर्थकों को कुर्सियां छोड़कर प्रशासन का सहयोग करना था जिला पंचायत उपाध्यक्ष को मनाने में जो वह नहीं करते देखे गए और बैठे रहे। कुल मिलाकर सत्ता का दम साथ ही विधायक का खास होने का अभिमान उनके व्यक्तिव में दिखा और वह अपना सम्मान ज्यादा महत्वपूर्ण मानकर बैठे रहे और एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि की उपेक्षा देखते रहे।
विधायक क्यों नहीं लेती अपने पार्टी के जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा पर एक्शन?
स्थानीय विधायक के विधानसभा में कई बार जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा हुई, वह भी वह जनप्रतिनिधि जो उन्हीं के पार्टी के हैं जब भी उनकी उपेक्षा हुई वह अपने जनप्रतिनिधियों के साथ नहीं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ खड़ी दिखी, अपने जनप्रतिनिधियों का बचाव करने के बजाय उन्होंने प्रशासन का बचाव करना उचित समझा यही वजह था कि विधायक व अपनी ही पार्टी के बीच के लोगों की दूरियां बढ़ती गई इससे पहले राष्ट्रीय पर्व पर भी कुछ ऐसा ही नजारा देखा गया था वहां पर भी विधायक ने प्रशासनिक अधिकारियों को फटकार लगाने के बजाय अपने ही लोगों को फटकार लगा दी थी। प्रशासनिक अधिकारियों का बचाव किया था। एक बार फिर ऐसा ही नजारा देखने को मिला जहां पर उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों की चूक पर पर्दा डाल अपने ही लोगों की उपेक्षा का हिस्सा बनती दिखी।
बैकुंठपुर विधायक भी जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के दौरान दिखती हैं प्रशासन के पक्ष में
बैकुंठपुर विधानसभा में प्रायः देखा जा रहा है कि जब भी जनप्रतिनिधियों के सम्मान में प्रशासन की तरफ से कोई कोर कसर रह जाती है तो बैकुंठपुर विधायक प्रशासन के पक्ष में खड़ी नजर आती हैं। कई ऐसे अवसर आये जब जनप्रतिनिधियों का कहीं न कहीं शासकीय आयोजनों में अपमान हुआ और विधायक जनप्रतिनिधियों साथ देने के बजाय प्रशासन के साथ दिखीं। कुल मिलाकर विधायक बैकुंठपुर विधानसभा के जनप्रतिनिधियों के सम्मान को लेकर जरा भी गंभीर नजर नहीं आतीं, वहीं उपेक्षा के दौरान वह जनप्रतिनिधियों से किनारा कर लेती हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो चुनाव के समय पार्टी के लोग विधायक के कितना साथ देंगे समझा जा सकता है। बैकुंठपुर विधानसभा में शासकीय कार्यक्रमों में केवल विधायक के साथ पहुंचने वाले नेताओं का ही सम्मान होता है और अन्य पार्टी के नेताओं को उपेक्षा झेलनी पड़ती है यह आये दिन की बात हो गई है।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष की नाराजगी को जिला पंचायत अध्यक्ष ने जायज बताया
पोड़ी बचरा में तहसील के शुभारंभ में जमीन पर बैठ गए थे उपाध्यक्ष, जिला पंचायत उपाध्यक्ष वेदांती तिवारी के जमीन पर बैठने का मामला में जिला पंचायत अध्यक्ष रेणुका सिंह ने नाराजगी को जायज बताया कहा की आमंत्रण कार्ड और शिलालेख में नाम न होने प्रशासन की लापरवाही है, जनप्रतिनिधियों को सम्मान मिलना चाहिए।


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