नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2022। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मे मिले कथित शिवलिग की कार्बन डेटिग नही होगी. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिग की कार्बन डेटिग की माग वाली याचिका को खारिज कर दिया है.
इससे पहले वाराणसी की कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को दरकिनार कर श्रृगार गौरी-ज्ञानवापी केस को सुनवाई के योग्य माना था. इसके बाद हिदू पक्ष की 4 वादी महिलाओ ने याचिका दायर कर कार्बन डेटिग कराने की माग की है.
कार्बन डेटिग से लकड़ी, चारकोल, पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और खून के अवशेष की उम्र पता चल सकती है. कार्बन डेटिग से लेकिन एक अनुमानित उम्र ही पता चलती है, सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल होता है. पत्थर और धातु की डेटिग नही की जा सकती, लेकिन बर्तनो की डेटिग हो सकती है. अगर पत्थर मे किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है।
अगस्त 2021 मे 5 महिलाओ ने श्रृगार गौरी मे पूजन और विग्रहो की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी. इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था. हिदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिग मिला. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है. इसके बाद हिदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की माग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
स्ष्ट ने केस जिला जज को ट्रासफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. जिला जज ने पूजा की माग वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना था. इसके बाद महिला याचिकाओ ने कथित शिवलिग की कार्बन डेटिग की माग वाली एक और याचिका दाखिल की. इस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
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