बैकुण्ठपुर@कोरिया जिले की राजनीति को हुई बड़ड़ी क्षति,नहीं रहे भाजपा नेता व पूर्व जिपं अध्यक्ष फलेंद्र सिंह

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  • राजनीति में सुचिता और समाज की एकजुटता को लेकर थी उनकी पहचान,सर्व समाज मे थे लोकप्रिय।
  • आदिवासी समुदाय से आने वाले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष फलेंद्र सिंह अजजा आयोग के रह चुके थे सदस्य भी।
  • बुधवार देर शाम तबियत बिगड़ड़ी,बिलासपुर इलाज के लिए ले जाते समय रास्ते मे ही हुआ निधन।
  • बड़े पुत्र रविन्द्र सिंह ने दी मुखाग्नि,सभी दलों के जनप्रतिनिधियों नेताओं सहित सैकड़ड़ों की संख्या में अंतिम संस्कार में जुटे लोग।
  • फलेंद्र सिंह कोरिया कुमार डॉ रामचंद्र सिंहदेव से प्रभावित होकर आए थे राजनीति में।
  • उनके पिता भी पूर्व विधायक पंडित ज्वाला प्रसाद उपाध्याय के थे समर्थक।
  • कोरिया कुमार ने जहां उन्हें राजनीति में प्रवेश कराया वहीं भाजपा ने उन्हें ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया।
  • 15 वर्षों तक सरपंच फिर जिपं अध्यक्ष तक का रहा उनका राजनीतिक सफर।
  • जिला पंचायत अध्यक्ष पद के प्रथम चुनाव में टॉस में हार गए थे फलेंद्र सिंह।
  • जिला पंचायत अध्यक्ष पद के दूसरे चुनाव में जीत दर्ज कर फलेंद्र सिंह बने थे अध्यक्ष।
  • कोरिया कुमार के समर्थक होते हुए उन्हीं से नाराज होकर छोड़ड़ी थी फलेंद्र सिंह ने कांग्रेस।
  • कांग्रेस छोड़ फलेंद्र सिंह ने थामा था भाजपा का दामन,भाजपा ने बढ़ढ़ाया था उनका कद।
  • भाजपा सरकार में आयोग के सदस्य पद की भी जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं फलेंद्र सिंह।


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 06 अक्टूबर 2022(घटती-घटना)। कोरिया जिले की राजनीति का एक सूर्य अस्त हो गया, अपने व्यक्तित्व व अपने अपनेपन से सभी समाज मे लोकप्रिय कोरिया जिले के दूसरे जिला पंचायत अध्यक्ष साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य अजजा आयोग के सदस्य बतौर जिम्मेदारी निभा चुके कद्दावर आदिवासी नेता साथ ही भाजपा कोरिया के प्रथम पंक्ति के नेता फलेंद्र सिंह का निधन हो गया।
बुधवार देर शाम तबियत बिगड़ने पर बिलासपुर इलाज के लिए बिलासपुर ले जाते समय रास्ते मे ही उन्होंने अंतिम सांस ली और वहीं से उनके पार्थिव शरीर को गृह ग्राम वापस लाया गया जहां गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया जहां सैकडों की संख्या में लोगों का हुजूम जुटा जो अपने नेता अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। मुखाग्नि बड़े पुत्र रविन्द्र सिंह ने दी । फलेंद्र सिंह का नाम कोरिया जिले के उन नेताओं के नाम मे शुमार किया जाता था जो अपने व्यक्तित्व से राजनीति में सफल थे साथ ही व्यक्तित्व व व्यवहार की वजह से हो लोकप्रिय भी थे। समाज के हर वर्ग के लिए समान भावना रखने के कारण उनकी प्रसिद्धि समाज के हर वर्ग में थी और उनको चाहने वाले भी समाज के हर वर्ग के लोग थे। ग्रामीण अंचल से आने के बावजूद उच्चतर अध्ययन कर राजनीति में प्रवेश करने वाले जिले के यह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कम समय मे ही राजनीति में बड़े मुकाम हासिल किए और बड़े मुकाम हासिल करके भी आम जीवन ही जीते रहे। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के निधन की सूचना जैसे ही आई देर रात से ही उनके यहां लोग पहुंचने लगे,बुधवार देर रात सोशल मीडिया पर भी जिलेभर के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके निधन को जिले की राजनीति के लिए अपूर्णीय क्षति निरूपित किया। जिले के राजनीतिक जानकर भी कहते हैं कि फलेंद्र सिंह जिले के उन आदिवासी नेताओं में से एक हैं जिनकी सोच में समग्रता का भाव है और जो समाज के हर वर्ग को लेकर बेहतर विचार रखते हैं और उनके विचारों में कहीं भी कभी भी यह नहीं पाया गया कि वह समुदाय समाज में कभी विभेद करते पाए गए हों।

कुछ महीने पूर्व हुई थी दैनिक घटती-घटना
कोरिया जिले की राजनीति में यदि बड़े नामों की चर्चा होगी और फलेंद्र सिंह का नाम शामिल नहीं होगा तो निश्चित रूप से यह जिले की पूरी राजनीतिक चर्चा नहीं होगी क्योंकि फलेंद्र सिंह वह नाम है जो जिले की राजनीति में परिचय का मोहताज नहीं था। अप्रेल महीने में दैनिक घटती-घटना के जिला प्रतिनिधि से फलेंद्र सिंह के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी जिसमे वह स्वास्थ्यगत कारणों से राजनीतिक मंचो पर ना जा पाने की वजह बताई थी।
एक नजर उनकी जीवनी पर
15 जून 1950 को जन्मे फलेंद्र सिंह की शिक्षा महाविद्यालय स्तर तक कि रही जबकि जिस समय उनकी शिक्षा का समय था शैक्षणिक संस्थाओं की कमी थी यहाँ तक कि महाविद्यालय भी अम्बिकापुर में मात्र था। महाविद्यालय स्तर के अध्ययन के लिए उनके जमाने मे अम्बिकापुर में ही केवल महाविद्यालय स्थापित था और उन्होंने अम्बिकापुर से ही अध्ययन भी किया। फलेंद्र सिंह बैकुंठपुर विकासखण्ड के कूड़ेली सरभोका ग्राम अंतर्गत निवास करते हैं और उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत जनपद अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होकर आरंभ हुई और वर्ष 1980 में वह जनपद अध्यक्ष पहली बार निर्वाचित हुए। फलेंद्र सिंह ने प्राथमिक पूर्व माध्यमिक स्तर तक कि शिक्षा अपने ही ग्राम स्तर के शासकीय विद्यालय से पूर्ण की वहीं उन्होंने हाईस्कूल हायरसेकंडरी की पढ़ाई बैकुंठपुर से पूर्ण की थी। फलेंद्र सिंह ने शिक्षा ग्रहण करने उपरांत राजनीति में प्रवेश किया और उन्होंने जनपद सदस्य का चुनाव लड़ा और बैकुंठपुर जनपद पंचायत के अध्यक्ष वर्ष 1980 में निर्वाचित हुए वर्ष 1985 से 2000 तक फलेंद्र सिंह लगातार अपने ग्राम पंचायत के सरपंच निर्वाचित होते रहे और उनका सरपंच पद का कुल कार्यकाल 15वर्षों का रहा।
जिपं चुनाव लड़ने से कोरिया कुमार ने मना किया तो फलेन्द्र सिंह वर्ष 2000 में भाजपा प्रवेश किया
फलेंद्र सिंह जैसा बताते हैं कि उन्होंने जिस तरह कांग्रेस में प्रवेश कोरिया कुमार से प्रभावित होकर किया उसी तरह वर्ष 2000 में उन्होंने भाजपा में प्रवेश भी कोरिया कुमार डॉ रामचन्द्र सिंहदेव से नाराज होकर किया क्योंकि फलेंद्र सिंह वर्ष 2000 में जब कोरिया जिले के विभाजन उपरांत जिला पंचायत का प्रथम चुनाव संपन्न होना था तब कोरिया कुमार ने उन्हें अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने से मना कर दिया था जिसके बाद ही कोरिया कुमार से उनकी दूरियां बढ़ गईं और उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था उस समय फलेंद्र सिंह ने जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होकर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और चुनाव में परिणाम बराबरी वाला सामने आया जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए यवत कुमार सिंह से उनकी टक्कर जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए हुई परिणाम बराबरी वाला आया और जब टॉस (चिट निकालने की प्रक्रिया) हुआ यवत कुमार सिंह अध्यक्ष निर्वाचित हो गए। वर्ष 2005 में भी फलेंद्र सिंह ने पुनः जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और इसबार भी उन्होंने अध्यक्ष पद की दावेदारी की और सफल रहे और पांच वर्षों तक वह अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सम्हालते रहे इसी दौरान उन्हें भाजपा सरकार ने अनुसूचित जनजाति आयोग का सदस्य भी बनाया जो पद उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित होते ही छोड़ दिया।
फलेंद्र सिंह की खासियत
फलेंद्र सिंह की खासियत में जो उनकी सबसे बड़ी खासियत मानी जाती है वह है उनके सरल हृदयता की फलेंद्र सिंह कोरिया कुमार से नाराज होकर कांग्रेस पार्टी भले छोड़ दिये उस समय लेकिन उनके मन मे जो आदर कोरिया कुमार को लेकर प्रथम दिन से था वह कोरिया कुमार के जीवित रहते तक रहा यहां तक कि उनसे मिलने जाने वालों से भी वह कोरिया कुमार को लेकर एक ही बात कहा करते थे कि कुमार साहब बेहतर राजनीतिज्ञ हैं और वह एक बेहतर इंसान भी हैं। फलेंद्र सिंह को जानने वाले एक व्यक्ति का यह भी कहना है कि उनके विचार राजनीति को लेकर उच्च कोटि के हैं वह विजय जुलूस में पटाखों के किसी विरोधी के घर के सामने फोड़ने के सख्त खिलाफ रहा करते थे और जीत के जश्न को अपने आपस मे बांटने की बात किया करते थे और हमेशा इस बात पर अडिग देखे गए कि जीत के जश्न से विरोधियों को कोई दिक्कत न हो वह भी ऐसी दिक्कत जो हमारे कार्यकर्ता उत्तपन्न करें। राजनीति में शिकवा शिकायत के भी विरोधी रहे कुल मिलाकर एक बेहतर राजनीतिज्ञ की सारी खूबियां उनके भीतर मौजूद रहीं।
कोरिया कुमार कहां करते थे भईया लाल राजवाड़े जितना शायद मैं नहीं कर पाता
निधन के पूर्व वह चर्चा के दौरान कहा था की कोरिया कुमार डॉ रामचंद्र सिंहदेव से हुई एक बातचीत को लेकर भी बताया कि एकबार बातों ही बातों में कुमार साहब ने यहां तक कह डाला कि भइयालाल राजवाड़े जो काम कर रहें हैं वह काम वह इस तरह इतना नहीं कर पाते जितना भइयालाल राजवाड़े कर रहें हैं। कोरिया कुमार भइयालाल राजवाड़े के कार्यकाल से संतुष्ट नजर आते थे जनता की जरूरतों को पूरा होता हुआ पाते थे फरियादियों की फरियाद सुनी जा रहीं थीं ऐसा पाते थे यह भी उनका कहना था। भइयालाल राजवाड़े में लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा रहती थी यही वजह था कि वह अपना रायपुर का भवन तक लोगों को इलाज के लिए सौंप दिया था, उनकी इलाज कराने की भावना से कोरिया कुमार ज्यादा प्रेरित की थी, भइयालाल राजवाड़े का लोगों के बीच जाना लोगों के लिए कुछ करना यहां तक की सबसे ज्यादा जनता के लिए कुछ करने का भाव रखना यह ओरिया कुमार को पसंद।
कुमार साहब के बाद केवल भइयालाल राजवाड़े में ही है जनसरोकार
फलेंद्र सिंह के अनुसार कुमार साहब डॉ रामचन्द्र सिंहदेव से प्रभावित थे उसी तरह कुमार साहब डॉ रामचंद्र सिंहदेव भइयालाल राजवाड़े से प्रभावित थे, उन्होंने कहा कि कुमार साहब स्वयं जब भइयालाल राजवाड़े के लिए यह कहा करते थे कि वह उनसे भी बेहतर काम कर रहें हैं जनसरोकार रख रहें हैं ऐसे में फलेंद्र सिंह ने कहा कि कुमार साहब के बाद भइयालाल राजवाड़े ही बेहतर जन सरोकार वाले नेता हैं मैं भी कह सकता हूँ क्योंकि उनका जनता से जुड़ाव जमीनी है और वह जनता के लिए उनके समस्याओं के समाधान के लिए किसी भी स्तर तक जाकर समाधान कराने तत्तपर रहने वाले नेता है।
फलेन्द्र कोरिया कुमार के विचारों से सहमत तो उनके पिता ज्वाला प्रसाद के विचारों से
अपने प्रारंभिक राजनीतिक जीवन के दौरान फलेंद्र सिंह कोरिया कुमार डॉ रामचंद्र सिंहदेव के विचारों के समर्थक बने रहे और उनकी नजदीकियां भी कोरिया कुमार डॉ रामचन्द्र सिंहदेव से बनी रही और वह उनके खास समर्थकों में शुमार रहा करने लगे जबकि फलेंद्र सिंह के पिता स्वयं पूर्व विधायक पंडित ज्वाला प्रसाद उपाध्याय के समर्थक थे और जनसंघ के कार्यकर्ता भी। एक ही घर मे पिता पुत्र दोनों अलग अलग दलों में राजनीतिक अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर निभाते रहे जहां फलेंद्र सिंह कांग्रेस तो वहीं उनके पिता जनसंघ में काम करते रहे।
राजनीति में स्वच्छता नहीं बची
फलेंद्र सिंह ने बातों बातों में ही घटती-घटना से एक बात कही थी की राजनीति में शुद्धता स्वक्षता नहीं बची चुनाव पैसों से लड़ा जा रहा मुद्दों और जनता की जरूरतें और समस्याएं दूर हैं मौजूद नहीं है। पूर्व की राजनीति को लेकर उन्होंने कहा कि पहले की राजनीति में नेता काम किया करते थे और जनता तब जाकर उन्हें बार बार चुना करती थी लेकिन आज ऐसा नहीं है आज सबको आगे बढ़ने की पैसा कमाने की ललक है और इसी वजह से राजनीति दूषित है और राजनीति में इसीलिए एक दूसरे को पछाड़ने लोग किसी हद तक भी जा रहें हैं और प्रशासनिक तंत्रो का भी दुरुपयोग कर रहें हैं।


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