- बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व दहशरा का जश्न अश्लीलता के संग,अधिकांश आयोजनों में जमकर परोसी गई अश्लीलता।
- आयोजनों में रात भर होता रहता है अश्लील गानों पर अश्लील डांस, महिला सम्मान की कहीं नहीं दिखती गरिमा।
- मर्यादा पुरुषोत्तम राम व बुराई पर अच्छाई के जीत के जश्न अवसर पर आखिर क्यों होते हैं ऐसे आयोजन।
- राजनीतिक लोगों की उपस्थिति में होते ऐसे आयोजनों में प्रशासन भी रहता है मौन,नहीं होती कोई कार्यवाही।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 06 अक्टूबर 2022(घटती-घटना)। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दहशरा इस वर्ष बीत गया और अपने जाने के साथ ही पूर्व की तरह कई सवाल छोड़ गया, सवाल उन आयोजकों के लिए जिन्होंने जश्न तो बुराई पर अच्छाई की जीत का मनाने का दावा किया था लेकिन उन्होंने समाज मे बुराई ही परोसी और महिला सम्मान का ध्यान नहीं रखा।
बात दशहरा पर्व पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लेकर की जा रही जहां अधिकांश आयोजन अश्लीलता परोसने वाले रहे जहां रात भर अश्लीलता परोसी गई। इन कार्यक्रमों में राजनीतिक दलों के बड़े छोटे नेताओं की भी उपस्थिति रही और उनकी सहमति से ही यह सब हुआ और होता चला आ रहा है इसबात से इंकार नहीं किया जा सकता। अब सवाल उठता है कि नौ दिवस माता दुर्गा की पूजा कर महिला सम्मान की बात करने वाले पूजा पण्डालों में जिस तरह अश्लीलता परोसी गई क्या उसे जायज कहा जा सकता है सही कहा जा सकता या इसे गलत कहना सही होगा।
जिले के अधिकांश पुजा पण्डालों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम पर रात भर अश्लीलता परोसी गई
जिले के अधिकांश पुजा पण्डालों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम पर रात भर अश्लीलता परोसी जाती रही और बाकायदा प्रशासन ने भी इसके लिए अनुमति दे रखी थी और पुलिस बल के साथ सुरक्षा भी, कहीं कहीं पुलिसकर्मियों को भी कार्यक्रम में मनोरंजन लेते देखा गया और मोबाइल पर वीडियो भी बनाते देखा गया। पुजा पण्डालों में कहीं कहीं तो माता दुर्गा की प्रतिमा भी रखी हुई रही और दूसरे तरफ अश्लीलता परोसी जाती रही और लोग अश्लीलता का कार्यक्रम देख मनोरंजित होते रहे। भक्ति आराधना के नाम पर लोगों से पूजा और अर्चना के नाम पर चंदा लेकर आयोजन करने वाली पुजा समितियों के इस कृत्य की अब आलोचना हो रही है और इसे बहोत से लोग गलत ठहरा रहे हैं और उनका कहना है कि भक्ति आराधना के बीच अश्लीलता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए और ऐसे कार्यक्रम करने वाली समितियों पर कार्यवाही होनी चाहिए। लोगों का मानना है कि कार्यक्रम यदि करना आवश्यक ही हो तो भक्तिपूर्ण कार्यक्रम किये जायें अश्लीलता वाले कार्यक्रम नहीं। जिले के जिन पूजा पण्डालों में अश्लीलता परोसी गई वहां लोगों की भीड़ भी जुटी और लोगों ने जमकर अश्लीलता का लुफ्त उठाया लेकिन बहोत से लोगों को यह सही नहीं लगा और उन्होंने इसे गैर जरूरी बताया।
अश्लील आयोजनों में आयोजकों ने उड़ाए नोट, राजनीतिक दलों के नेता भी जमकर लेते दिखे अश्लीलता का मजा
जिले के कई पूजा पण्डालों में अश्लील गानों पर रातभर नाच होते रहे,महिला सम्मान की धज्जियां उड़ती रहीं वहीं आयोजक जिन्होंने एक दिन पूर्व ही कन्या पूजन कर नारी सम्मान की बात समाज के समक्ष साबित की थी एकदिन बाद ही सभी अश्लील गानों पर मंत्रमुग्ध नजर आए और जमकर पैसे उड़ाते भी देखे गए।
धार्मिक आयोजनों में समितियों को कहां से मिलती है अश्लीलता परोसने की छूट
धार्मिक आयोजनों में अश्लीलता आज ही परोसी गई ऐसा नहीं है यह वर्षों से जारी परंपरा है,पूजा पण्डालों में इस तरह के आयोजनों को कहां से करने की अनुमति मिलती है कौन इन्हें संरक्षण देता है इसबात की यदि पड़ताल की जाए तो एक ही बात सामने आएगी और वह यह कि राजनीतिक लोगों और राजनीति के शीर्ष पर बैठे लोगों की सहमति से ऐसा सबकुछ होता है और इन आयोजनों के पीछे राजनीतिक भविष्य बेहतर करने का ख्वाब देख रहे लोगों के भविष्य को संवारना उद्देस्य होता है मंचो पर उनकी उपस्थिति इसकी पुष्टि भी करती है।
पुलिसकर्मियों को भी देखा गया अश्लील कार्यक्रम में लुफ्त उठाते हुए
जिले के कई पूजा पण्डालों में पुलिसकर्मियों को भी अश्लील कार्यक्रम में लुफ्त उठाते देखा गया और यह बात साबित हो गई कि जब कानून के रक्षक ही कानून तोड़ रहें हैं तो जिले की कानून व्यवस्था का हाल समझा जा सकता है। वैसे जिले की पुलिस किस कदर अवैध कारोबारियों के साथ जुगलबंदी कर रही है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है।