रजिस्ट्रीकरण के बिना भू-जल निकालने पर होगा कारावास

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पानी का दुरूपयोग रोकने सरकार ने कड़े किए नियम
रायपुर, 01 अक्टूबर 2022।
अफसरो के मुताबिक 2002 तक भू-जल सवर्धन के लिए नियम नही था। छाीसगढ़ ने जो नियम बनाए है वो महाराष्ट्र व अन्य राज्यो की तुलना मे काफी कड़े है। पानी की कमी वाले गावो व निकायो मे रजिस्ट्रीकरण के बिना भू-जल निकालने पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
नया नियम लागू होने से भू-जल की स्थिति सुधरने के आसार है। इससे जहा पर्यावरण सतुलन मे मदद मिलेगी साथ ही जल स्तर बढऩे से किसानो को भी मदद मिलेगी। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राज्य सरकार के भू-जल विधेयक पर हस्ताक्षर करने के साथ ही जल्द इसकी अधिसूचना प्रकाशित की जाएगी।
गैर-अधिसूचित, अधिसूचित क्षेत्रो मे औद्योगिक, वाणिज्यिक, खनन के लिए भू-जल निकालने के लिए अनुमति देने का काम यह प्राधिकरण करेगा। जिलो मे कलेक्टर की अध्यक्षता मे भू-जल प्रबधन परिषद बनेगी। कलेक्टर जिला भू-जल शिकायत निवारण अधिकारी होगा। लाक स्तर पर जनपद पचायत के सीईओ की अध्यक्षता वाली भू-जल उपयोगकर्ता पजीकरण समिति बनेगी। यह विधेयक विधानसभा ने 25 जुलाई को पारित किया था। छाीसगढ़ मे अब पानी के मनमाने उपयोग पर प्रतिबध लगा दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति सरकार की अनुमति के बगैर यदि जमीन से पानी निकाला तो उसे भारी भरकम जुर्माना भरने के साथ ही जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। राज्य सरकार ने इसके लिए कड़ा कानून बना दिया है। हालाकि इसमे खेती और सेना द्वारा पानी से इस्तेमाल को छूट प्रदान की गई है। दरअसल प्रदेश मे उद्योगो व साफ्ट ड्रिक तथा बोतलबद पानी वाले जमीन से बेतहाशा पानी निकाल रहे है।
प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा विकासखडो मे जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। अब तक व्यावसायिक उपयोग के लिए केद्रीय भू-जल बोर्ड से अनुमति लेनी होती थी। किसी उद्योग पर जुर्माना लगता था तो वह केद्र सरकार के खाते मे जाता था। केद्र सरकार ने राज्यो को अपने स्तर पर प्राधिकरण बनाने को कहा था। एनजीटी का भी मानना है कि सरकार की अनुमति से ही भू-जल के उपयोग की अनुमति लेने चाहिए? केद्रीय भू-जल प्रबधन विभाग साल मे चार बार जनवरी, मई, अगस्त व नवबर मे इसकी रिपोर्ट बनाता है। अफसरो का मानना है कि लाक वार रिपोर्ट मे सकेत है कि प्रदेश मे अच्छी बारिश से जमीन के पानी का स्तर बढ़ा है। फिर भी इसका मैनेजमेट जरूरी है। उनकी यह भी चेतावनी है कि प्रदेश मे 24 घटे पानी सप्लाई जैसी योजनाओ से बचना चाहिए। जहा पानी की जरूरत हो वहा पहले पानी पहुचाना चाहिए।
सिचाई विभाग के सचिव पी. अन्बलगन के मुताबिक नया विधेयक अधिसूचना जारी होने के बाद लागू माना जाएगा। पजीयन कैसे और कहा करवाना होगा यह अभी तय किया जाना है। इसके साथ ही अब इसके लिए राज्य भू-जल प्रबधन और नियामक प्राधिकरण बनेगा। राज्य स्तर पर सीएस की अध्यक्षता वाले राज्य भू-जल प्रबधन और नियामक प्राधिकरण मे 16 सदस्य भी होगे।


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