बैकुण्ठपुर@क्या कोरिया की राजनीति से रावण का पुतला भी परेशान

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  • क्या रावण दहन की बजाय दोनों ही राजनीतिक दल ऐसा मंच तलाश रहें हैं जहां उन्हें जनता सुन सके?
  • रावण दहन को लेकर कोरिया जिले में नहीं थम रही है रार,कांग्रेस भाजपा आमने सामने।
  • बैकुण्ठपुर में जहां सत्ताधारी दल कांग्रेस को प्रशासन ने दी रावण दहन की मंजूरी,वहीं शिवपुर चरचा में रावण दहन को लेकर संशय।
  • कांग्रेस भाजपा का रावण दहन को लेकर एक दूसरे पर आरोप,दोनों ही रावण दहन में राजनीति का एक दूसरे पर लगा रहे आरोप।
  • शिवपुर चरचा में एसईसीएल प्रबंधन ने वापस ली दी हुई अनुमति, अब नहीं होगा रावण दहन कार्यक्रम।
  • राजनीति की भेंट चढ़ढ़ गया इस वर्ष का दशहरा पर्व,दोनों ही राजनीतिक दल एक दूसरे पर शब्द तीर लेकर आक्रामक


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 29 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। कोरिया जिले का विभाजन जहां जिलेवासियों के लिए एक कठोर निर्णय सत्तापक्ष की तरफ से रहा और कोरिया जिले का अस्तित्व ही जिले के लिए चुनौती बन गया, वहीं अब छोटे से जिले में दहशरा पर्व के दिन रावण दहन को लेकर होने वाली राजनीति ने जिलेवासियों के लिए असमंजस की स्थिति निर्मित कर दी है और कुल मिलाकर इस वर्ष रावण दहन कार्यक्रम जिले में राजनीति की भेंट चढ़ती नजर आ रही है जैसा कि देखा भी जा रहा है। एक तरफ सत्ताधारी दल लगातार रावण दहन कार्यक्रम के लिए प्रशासन के सहयोग से तैयारी कर रहा है वहीं पूर्व से ही तैयारियों में जुटे 15 सालों से इस आयोजन को करने वाली समिति है जिसमे अधिकांश लोग भाजपा से हैं और जिनकी तैयारियों पर प्रशासन ने अनुमति न देकर रोक लगा दी है और अब इसी वजह से आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है और कुल मिलाकर इस वर्ष रावण दहन कार्यक्रम राजनीति की भेंट चढ़ते नजर आ रहा है और जो दिखने भी लगा है।
बात जिला मुख्यालय की बात करें जहां कोरिया सर्व विकास समिति जो 15 वर्ष से रावण दहन कार्यक्रम मिनी स्टेडियम में करती चली आ रही थी और इस वर्ष उसने पूर्व से ही तैयारी करते हुए रावण के पुतले का निर्माण भी कराना आरंभ कर दिया था और जिसे बाद में प्रशासन ने अनुमति न देकर रावण दहन कार्यक्रम से अलग कर दिया जिसको लेकर जमकर समिति ने अपना आक्रोश प्रकट किया और सत्ता के दुरुपयोग का सत्ताधारी दल पर आरोप लगाते हुए इसे तानाशाही निरूपित किया वहीं रावण के निर्माणाधीन पुतले पर व्यय हो चुकी राशि जिसे प्रशासन ने कोरिया सर्व विकास समिति को वापस कराने का जो प्रयास किया उसे भी समिति ने यह कह अस्वीकार कर दिया कि उन्हें लागत वापस मिले इसकी इक्षा नहीं है उन्हें पहले से तैयारियों के बावजूद अनुमति नहीं मिली और उनकी इक्षा लागत वापस लेने की नहीं है और उन्होंने लागत जो उन्हें वापस किया गया था उसे वापस कर दिया। जिला मुख्यालय का रावण दहन कार्यक्रम इसबार पूरी तरह राजनीति की भेंट चढ़ता नजर आया और यह तय हो गया कि रावण वध के लिए ही एक युद्ध करने दोनों दल तैयार हैं और कोई भी दल एकसाथ आकर एक साथ इस आयोजन को करने बिल्कुल तैयार नहीं है जैसा कि देखने को मिला।
शिवपुर चरचा में भी रार,नहीं दहन होगा रावण का पुतला
वहीं जिले के शिवपुर चरचा में भी रावण दहन कार्यक्रम में दोनों ही राजनीतिक दलों में रार देखने को मिला और एसईसीएल प्रबंधन जिसने पहले अपने स्टेडियम में जहां रावण दहन की अनुमति दे रखी थी उसे निरस्त कर दिया और अब शिवपुर चरचा में रावण दहन कार्यक्रम नहीं होगा ऐसा लगभग तय हो चुका है। यहाँ भी दोनों राजनीतिक दल एक दूसरे पर राजनीति का आरोप लगा रहें है लेकिन दोनों ही झुकने तैयार नहीं है यह देखने को मिल रहा है। कुल मिलाकर रावण दहन की बजाय दोनों ही राजनीतिक दल एक ऐसा मंच अपने लिए तलाश रहें हैं जहां उन्हें जनता सुन सके और उनकी तरफ से आयोजन हो और जनता को इसका एहसास हो सके यह उनकी मंशा है। कुलमिलाकर जनता के लिए आयोजन की बजाए पुरा आयोजन खुद के मान प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए आयोजित करने के पक्ष में दोनों ही दल ज्यादा नजर आए।
हो सकता था सामूहिक आयोजन
दहशरा पर्व अहंकार को परास्त करने का पर्व है बुराई को परास्त करने का पर्व है और इसी पर्व के लिए दोनों राजनीतिक दल अपने अपने अहंकार के साथ आयोजन के लिए आगे हैं जो सुनने और देखने मे बड़ा विचित्र लग रहा हैदोनों ही राजनीतिक दल यदि चाहते तो एकसाथ यह आयोजन वह कर सकते थे लेकिन दोनों ही दलों को आपस मे आयोजन के लिए लड़ते हुए देख अब यही कहा जा सकता है कि अपने अहंकार पर ही दोनों दलों के लोगों का नियंत्रण नहीं है और ऐसे में इनके द्वारा आयोजित अहंकार के पराजय के स्वरूप में मनाया जाने वाला दहशरा पर्व कितना सार्थक होगा यह समझा जा सकता है।
पटना सहित जमगहना में रावण दहन में रहेगी भाजपाइयों की उपस्थिति
कोरिया जिले में रावण दहन कार्यक्रम मुख्यतः जिन जगहों पर होता है उनमें से जहां सबसे ज्यादा लोगों का हुजूम जुटता है उसमें बैकुंठपुर, शिवपुर चरचा, जमगहना व पटना में आयोजित होने वाला रावण दहन कार्यक्रम प्रमुख है,पटना में सबसे ज्यादा लोगों का हुजूम दहशरा के दिन जुटता है वहीं जमगहना में भी काफी संख्या में लोग इस दिन जुटते हैं, इसवर्ष रावण दहन कार्यक्रम में हो रही राजनीति के बीच जहां जिला मुख्यालय में सत्ताधारी दल के लोग मंच पर नजर आएंगे और उन्ही के तत्वावधान में रावण दहन कार्यक्रम संपन्न होगा वहीं पटना व जमगहना में भाजपाइयों की उपस्थिति मंच पर रहेगी और इन क्षेत्रों से सत्ताधारी दल की दूरी पूर्व की तरह कायम रहेगी यह देखने को मिलेगा। कुल मिलाकर सभी जगह सत्ताधारी दल अपनी उपस्थिति नहीं बना सकेगा क्योंकि कई क्षेत्रों में खासकर पटना व जमगहना में उनका जनाधार भी कम हुआ है और जो लगातार कम होता भी जा रहा है।


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