- नुकसान को देखा जलाशय का पानी किया गया खाली।
- जल संसाधन विभाग द्वारा तत्काल मरम्मती कार्य किया गया प्रारंभ।
- विभाग की लापरवाही की वजह से जलाशय में रिसाव, समय पर नहीं होता मरम्मत कार्य।
- संबंधित विभाग लाभ कमाने में इतना मशगूल है कि जलाशयों की देखरेख में भी नहीं दे पता समय।
- मोर्गा जलाशय में पाईप बैरल खुलने की वजह से बांध में हुआ रिसाव।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 22 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। बैकुण्ठपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत सरभोका में स्थित लगभग 50 वर्ष पुराना मोर्गा जलाशय के तट से पानी का रिसाव होने लगा, बारिश की वजह से मोर्गा जलाशय से पानी लबालब भरा हुआ है पर उसमें रिसाव होने की वजह से बांध की टूटने की आशंका थी जिस पर विभाग ने पानी को खाली तो करवा दिया पर सवाल यह है कि यदि विभाग समय से पहले सारे जलाशयों की मरम्मत कार्य हुआ होता तो रिसाव जैसी समस्याएं बांधों में नहीं आती, पर आखिर विभाग क्यों नहीं जलाशयों की देखरेख समय पर करता है जिस वजह से बांध टूटने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, 2 साल पूर्व ऐसे ही खड़ा जलाशय से रिसाव की वजह से टूट गया था जिसे बनने में सालों लग गए थे किसानों की फसल भी बर्बाद हो गए थे कहीं न कहीं विभाग की लापरवाही वहां भी देखी गई थी।
जल संसाधन की लापरवाही के कारण अल्पवर्षा से 100 फीसदी लबालब भरे मोरगा जलाशय का पानी खाली कराने की दिखी मजबूरी। जलाशय खाली होने से इस साल दो गांव की 278 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा। वहीं मोरगा से एक साथ अधिक मात्रा में पानी छोडऩे से नीचे स्थित आरुणी (सैंदा) जलाशय पर खतरा मंडराने लगा है। नहर के इन्टेक वॉल जहां से नहर के सप्लाई के लिए पानी खोला जाता है, जहां विगत दो दिनों पुर्व क्षतिग्रस्त होने के कारण नहर में पानी का रिसाव बड़ी तेज़ी से बढ़ता जा रहा था जिसके देख ग्रामिणों ने तत्काल जल संसाधन विभाग को इसकी सूचना दी, जिसके पश्चात जल संसाधन विभाग द्वारा मौके पर पहुंच कर वर्तमान स्थिति का जायज़ा लेते हुए ग्रामिणों की सहायता से क्षतिग्रस्त हुए इन्टेक वॉल के बढ़ते पानी के बहाव को तथा बांध के भीठा के कटाव को रोकने के उद्देश्य से मरम्मती कार्य प्रारंभ किया गया।
बांध को बचाने पानी को खाली कर दवाव किया गया कम
जानकारी के अनुसार जल संसाधन विभाग द्वारा ग्रीष्मकाल में मोरगा जलाशय की सही तरीके से जांच व मरम्मत नहीं कराई गई थी। जिससे अल्पवर्षा के कारण 100 फीसदी लबालब भरे जलाशय का स्लूस गेट से रिसाव होने लगा है। मामले की जानकारी मिलने के बाद मंगलवार को आनन-फानन में प्रशासनिक व जल संसाधन की टीम पहुंची। तत्काल जेसीबी मशीन मंगाकर कांक्रीट से निर्मित वेस्ट वेयर को तोड़कर पानी खाली कराने जद्दोजहद में जुट गए। लेकिन जेसीबी से पक्का स्ट्रख्र नहीं टूट पाया। मामले में सुरक्षा के लिहाज से रातभर पटवारी व ग्रामीणों की जलाशय के पास ड्यूटी लगाई गई थी। अगले दिन जल संसाधन की टीम पहुंची और मजदूर लगा पत्थर तोडऩे वाले हथौड़े व ड्रिल मशीन से वेस्ट वेयर को तोडऩे में जुटे हुए हैं। मजदूरी ड्रिल मशीन से दिनभर तोडऩे लगे लगे रहे, वहीं जेसीबी मशीन से तोड़कर मलमा हटाया जा रहा है। साथ ही पोकलेन मशीन मंगाया गया है। जिससे वेस्ट वेयर को 4-5 मीटर गहरा गड्ढा खोदकर पानी निकाला जाएगा। जल संसाधन विभाग का कहना है कि जलाशय से पानी खाली करने के बाद स्लूस गेट का नया निर्माण होगा। फिलहाल रिसाव वाले स्थल को पैरा (पुवाल) से जाम कर दिया गया है और स्थित कंट्रोल में है।
जलाशय के नीचे 10-15 घर बसे हैं,पूरी बस्ती एलर्ट मोड पर
जल संसाधन विभाग ने मोरगा जलाशय के नीचे करीब 10-15 घर की बस्ती है। जलाशय में रिसाव होने के कारण बस्ती वालों को एलर्ट रखा गया है। वहीं मंगलवार शाम को ग्रामीणों की मदद से रिसाव वाले स्थल पर धान का पैरा डालकर बंद कराया गया है। जल संसाधन का पूरा अमला मोरगा जलाशय में डेरा डाल दिया है। ड्रिल मशीन, जेसीबी, पोकलेन से वेस्ट वेयर को तोड़कर पानी खाली कराने में जुटे हुए हैं।
दो गांव की 238 खरीफ और 40 हेक्टेयर रबी फसल के लिए जमीन की सिंचाई होती है
जानकारी के अनुसार मोरगा जलाशय में 11 मीटर पानी भरा हुआ है। जल संसाधन के हिसाब से 1.14 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है। जलाशय के रिसाव को ध्यान में रखकर पानी खाली कराया जाएगा। जिससे इस साल 238 हेक्टेयर खरीफ और 40 हेक्टेयर रबी खेती को सिंचाई करने पानी नहीं मिल पाएगा। हालाकि जल संसाधन का मानना है कि पूरा जलाशय को खाली नहीं करना पड़ेगा। स्लूस गेट तक खाली करने के बाद नया गेट निर्माण कराया जाएगा।
मोरगा जलाशय के रिसाव वाले स्थल को बंद कराया गया है। वेस्ट वेयर को तोडक़र पानी खाली कराया जाएगा,फिर नया स्लूस गेट निर्माण होगा, फिलहाल जलाशय खतरे से बाहर है।
ए टोप्पो कार्यपालन अभियंता
जल संसाधन कोरिया