शिदे गुट को मिली मुबई के बीकेसी मे दशहरा रैली की इजाजत-उद्धव को नही
मुबई, 18 सितम्बर 2022। महाराष्ट्र मे शिवसेना का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। शिवसेना के शिदे गुट को बीकेसी के एमएमआरडीए ग्राउड पर दशहरा रैली करने की इजाजत मिल गई है। इससे पहले उद्धव गुट ने भी रैली की इजाजत मागी थी। लेकिन एमएमआरडीए ने उद्धव गुट को इजाजत ना देकर महाराष्ट्र की सियासत को गरमा दिया है। अब देखना है कि मुबई के शिवाजी पार्क मे दशहरा रैली के लिए बीएमसी क्या फैसले लेती है। यहा भी दोनो गुटो ने रैली के लिए इजाजत मागी है। बीएमसी ने अभी तक कोई फैसला नही किया है।
उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना सासद अरविद सावत ने ‘भारतीय कामगार सेना’ के नाम से बीकेसी के एमएमआरडीए ग्राउड पर दशहरा रैली करने को लेकर पत्र लिखा था। एमएमआरडीए ने खत का जवाब दे दिया है। जवाब मे एमएमआरडीए ने उद्धव ठाकरे गुट को रैली करने की इजाज़त नही दी है।
मुबई के बाद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के एमएमआरडीए ग्राउड मे उद्धव ठाकरे गुट की बजाए सीएम एकनाथ शिदे गुट को इजाजत दिए जाने से यहा साफ तौर से एकनाथ शिदे गुट का प्रभाव दिखाई दे रहा है। पर लड़ाई बीकेसी की एमएमआरडीए ग्राउड की है ही नही। इस मैदान मे दशहरा रैली का प्लान तो एक वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर बनाया गया है। दरअसल दोनो गुटो ने इस मैदान पर दशहरा रैली करने का प्लान इसलिए बनाया कि अगर प्रशासन मुबई के शिवाजी पार्क मे किसी भी गुट को इजाजत ना देकर प्रतिस्पर्द्धी गुट को इजाजत दे देता है, या फिर दोनो ही गुटो को शिवाजी पार्क मे रैली की इजाजत नही मिलती है तो राज्य भर से आए कार्यकर्ताओ को वापस लौटने की नौबत ना आए। रैली कैसिल ना करनी पडे। इसलिए जिस तरह दोनो गुटो ने शिवाजी पार्क मे रैली की परमिशन मागी है, उसी तरह इस मैदान के लिए भी परमिशन मागी थी। 17 सितबर को ही उद्धव ठाकरे ने अपने गुट के शिवसेना विभागप्रमुखो की एक अहम बैठक की थी। इस बैठक मे उन्होने अपने पदाधिकारियो को यह आदेश दिया कि दशहरा रैली शिवाजी पार्क मे होकर रहेगी। वे बिना किसी गलतफहमी मे रहे हजारो की तादाद मे भीड़ जुटाने की तैयारी मे लगे। इसके एक दिन बाद ही प्रशासन ने बीकेसी के एमएमआरडीए ग्राउड मे शिदे गुट के पक्ष मे रैली की इजाजत देकर माहौल को गरमा दिया है। बीएमसी ने अब तक शिवाजी पार्क मे दशहरा रैली के लिए किसे इजाज़त देनी है।।इसपर अभी निर्णय नही लिया है।
देखना है यहा किसे इजाजत मिलती है, क्योकि असली लड़ाई तो वहा नही, यहा है।
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