रायपुर@बीजेपी का आरोप-काग्रेस ने 55 सालो तक जनजातियो को सवैधानिक अधिकारो से रखा वचित

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भाजपा के आदिवासी नेताओ ने प्रेस काफ्रेस मे 12 जनजाति समूहो को शामिल करने पर केद्र सरकार की तारीफ किए
रायपुर, 15 सितम्बर 2022।
स्वतत्रता प्राप्ति के इन 75 वर्षो मे लगभग 55 वर्षो तक पच से लेकर पार्लियामेट तक काग्रेस का कबजा रहा। अपने शासन के इन वर्षो मे काग्रेस ने जनजाति समूहो को उनके सवैधानिक अधिकारो से वचित क्यो रखा ? यह सवाल प्रदेश भाजपा के आदिवासी लीडरो ने किया है। भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता मे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ आदिवासी नेता नदकुमार साय, प्रदेश महामत्री केदार कश्यप, जनजाति मोर्चा अध्यक्ष विकास मरकाम, प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर, पिकी शाह, एमडी ठाकुर, झगेश्वर ध्रुव ने राज्य के 12 जाति समूहो की अनुसूचित जनजाति मे शामिल किए जाने पर प्रधानमत्री नरेद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस उपलçबध के लिए इन जाति समूहो को बधाई दी तथा इन जाति समूहो को मामूली तकनीकि त्रुटियो के कारण आदिवासी हितलाभ से वचित रखे जाने के लिए काग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।
भाजपा नेताओ ने कहा कि मुख्यमत्री भूपेश बघेल वाहवाही लूटने की बीमारी से पीडि़त है। केद्र सरकार के हर अच्छे निर्णय के लिए अपनी पीठ थपथपा लेते है। अब केद्र सरकार ने भाजपा की पहल पर छत्तीसगढ़ के एक दर्जन जाति समुदाय को उनका वह अधिकार दिया है, जो काग्रेस मिलने नही दे रही थी, तब भी भूपेश बघेल इसका जबरिया श्रेय लेने की प्रवृति दिखाने से नही चूक रहे है। वे कह रहे है कि उन्होने चिट्ठी लिखी थी। कमाल की बात है कि उनकी एक चिट्ठी पर छत्तीसगढ़ के वचित जनजाति समूहो को प्रधानमत्री ने वाजिब हक दे दिया। भूपेश बघेल उस समय कहा थे, जब मा बेटे की सरकार चल रही थी। तब डॉ मनमोहन सिह को चिट्ठी लिखकर क्यो इन जनजातियो को उनका अधिकार नही दिला दिया? भूपेश बघेल को मुफ्त मे यश लूटने की कोशिश करने की बजाय इन आदिवासियो से माफी मागनी चाहिए कि काग्रेस ने उन्हे उनके मूलभूत अधिकारो से वचित रखा। दशको तक इनका शोषण किया। अगर ऐसा नही होता तो अब तक ये काफी विकसित हो चुके होते। काग्रेस केवल वोट बैक की राजनीति करती है। काग्रेस आदिवासी समाज का शोषण करती रही है और भाजपा आदिवासी समाज के हितो की रक्षा करना और सम्मान देना जानती है। ये वही भूपेश बघेल है जो आदिवासी राष्ट्रपति नही चाहते थे। ये वही काग्रेस है जो आदिवासी महिला राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी कहकर आदिवासी समाज का अपमान करती है।
भाजपा नेताओ ने सवाल किया कि भूपेश बघेल बताये कि चिट्ठी लिखने के अलावा उन्होने और क्या कुछ किया है? क्या कभी प्रधानमत्री से मिलकर इन जनजातियो को उनका अधिकार देने आग्रह किया? वे बताये कि काग्रेस के किस प्रतिनिधिमडल ने कभी प्रधानमत्री से कोई भेट की? भूपेश बघेल तो हर बात पर चिट्ठी लिख देते है लेकिन उनका कच्चा चिट्ठा यह है कि वे पेसा कानून का मसौदा बदलकर आदिवासी समाज से छल कर रहे है।
भाजपा ने छत्तीसगढ़ के 12 जाति समूहो को अनुसूचित जनजाति मे शामिल किये जाने के लिए किए गए निरतर प्रयासो का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2020 मे भाजपा सासदो और नेताओ के प्रतिनिधि मडल ने प्रधानमत्री एव विभागीय मत्री से मुलाकात कर इन जातियो को अनुसूचित जनजाति मे शामिल करने की माग के साथ ही तथ्यो से अवगत करा दिया था। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सासद अरूण साव जी, केन्द्रीय राज्य मत्री श्रीमती रेणुका सिह जी, पूर्व भाजपा अध्यक्ष श्री विष्णु देव साय,श्री राम विचार नेताम ,श्री सासद गोमती साय जी,श्री महेश गागड़ा तथा छत्तीसगढ़ जनजाति समुदाय के भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओ ने प्रधानमत्री नरेद्र मोदी और केद्रीय मत्री अर्जुन मुडा से भेट और पत्राचार के माध्यम से प्रयास किये। भाजपा के आदिवासी नेता लगातार प्रयास करते रहे। श्री साय ने कहा कि उन्होने भी सभी भाजपा नेताओ के साथ प्रयास किया।
हम लोगो के आग्रह को प्रधानमत्री ने मुहर लगाई और केद्र सरकार ने स्वीकार किया। बता दे कि जनजातियो को शामिल करने के बाद बीजेपी और काग्रेस के बिच क्रेडिट लेने की होड़ मच गई है।


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