सामाजिक बहिष्कार,प्रताड़ना को लेकर जनहित याचिका
बिलासपुर, 15 सितम्बर 2022। सामाजिक बहिष्कार के पीडि़तो को न्याय देने मे राज्य सरकार की कथित विफलता और पुलिस के पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 6 जिलो के कलेक्टर-एसपी, मुख्य सचिव, गृह सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
परिवार इस तरह हो रहे है प्रताडि़त
इस मामले मे याचिकाकर्ता गुरु घासीदास सेवादार सगठन व कानूनी मार्गदर्शक केद्र की ओर से दायर याचिका मे प्रदेश के चुनिदा 15 मामलो का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि अतर्जातीय विवाह करने वाले जोड़ो व उनके परिजनो को उनके धार्मिक अधिकार, मान्यता तथा उपासना के अधिकार से वचित किया जा रहा है। सामाजिक ठेकेदारो की ओर से चुनावो मे मतदान के लिए फरमान जारी किए जाते है, जिनका पालन नही करने पर शादी, मृत्युभोज पर प्रतिबध लगाते है, सामाजिक बहिष्कार करते है तथा मारपीट कर धमकाते है।
पुलिस नही करती समुचित कार्रवाई
याचिका मे आरोप लगाया गया है कि पुलिस व प्रशासन से शिकायत करने पर समुचित कानूनी कार्रवाई नही की जाती। पीडि़तो को राहत नही दी जाती और दोषियो को सजा भी नही मिलती।
इन जिलो के कलेक्टरो को नोटिस
चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी व जस्टिस दीपक तिवारी की बेच मे मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रजनी सोरेन ने याचिकाकर्ताओ का पक्ष रखा। इस पर मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जाजगीर-चापा, बलौदाबाजार, काकेर, रायगढ़, रायपुर व धमतरी के कलेक्टर व एसपी को नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा मालखरौदा, गिधौरी, बलौदाबाजार, जगदलपुर, सारगढ़ (रायगढ़), बिलाईगढ़ (बलौदाबाजार), भाटापारा, पलारी, विधानसभा पुलिस, भटगाव, सिमगा, नवागढ़ (जाजगीर-चापा) तथा मगरलोड (धमतरी) के थाना प्रभारियो को भी नोटिस जारी कर सभी को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
गाइडलाइन जारी करने की माग
याचिका मे माग की गई है कि जिन मामलो को हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है उसमे आपराधिक कानूनी कार्रवाई के लिए प्रशासन कदम उठाए और इस सबध मे न्यायालय गाइडलाइन जारी करे। सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध कानून बनाने के लिए कमेटी बने, पीडि़तो की सुरक्षा तथा मुआवजे के लिए उचित कार्रवाई की जाए। विधिक सेवा प्राधिकरण सदर्भित कानूनी अधिकारो का प्रचार-प्रसार करे तथा ऐसे प्रकरणो पर कानून सम्मत कार्रवाई के लिए पुलिस को प्रशिक्षण दिया जाए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता लखन सुबोध व सजय अनत के साथ एक एडवोकेट पैनल रजनी सोरेन के साथ उपस्थित हुए, जिनमे काता नदी, दीपाली गुप्ता, दिवेश कुमार, प्रीतम सिह, अमरनाथ पाडे तथा किशोर नारायण शामिल थे।
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