पूर्वोत्तर के 5 समूह छोड़ेगे हथियार
नई दिल्ली। देश के कई राज्यो मे उग्रवाद एक बड़ी समस्या बन कर केद्र सहित राज्य सरकारो के लिए बड़ी समस्या बन गई है। उग्रवादियो के उत्पात से विकास कार्यो मे बाधाए आ रही है इसके साथ ही बड़ी तादाद मे शासकीय सम्पत्तियों को क्षति पहुचाए जा रहे है जिससे केद्र सहित राज्य सरकारो को करोड़ो रुपए का नुकशान हो रहा है। इस समस्या का हल निकालने के लिए पूर्वोत्तर मे शाति बहाल करने की कोशिशे जारी है।
आज सरकार और 5 विद्रोही समूहो के बीच त्रिपक्षीय समझौता होने जा रहा है। खास बात है कि इस ऐतिहासिक मौके पर केद्रीय गृहमत्री अमित शाह, असम के मुख्यमत्री हिमत बिस्वा सरमा और कई अन्य बड़े अधिकारी मौजूद रहेगे। जनवरी 2020 मे भी भारत सरकार, असम सरकार और बोडो के प्रतिनिधियो के बीच समझौता हुआ था।इस सबध मे शीर्ष सरकारी सूत्रो ने बताया है कि गृहमत्रालय मे शाम 5 बजे के बाद समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते है।
इस शाति समझौते मे केद्र सरकार, असम सरकार और राज्य के पाच विद्रोही समूह हस्ताक्षर करेगे। इनमे ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, आदिवासी कोबरा मिलिटेट्स ऑफ असम, बिरसा कमाडो फोर्स, सथल टाइगर फोर्स और आदिवासी पीपुल्स आर्मी शामिल है।अधिकारियो का कहना है कि फिलहाल इन समूहो ने सरकार के साथ सीजफायर समझौता किया है। खबर है कि इन समूहो के सैकड़ो सदस्य अस्थायी रूप से असम पुलिस के सरक्षण मे कैप मे रह रहे है।
इन समूहो ने करीब एक साल पहले ही अपने काम बद करने का ऐलान कर दिया था और तब से ही सीजफायर और शातिवार्ता जारी है।समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान सीएम सरमा और असम सरकार के कई अधिकारी, केद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला समेत कई नेता मौजूद रहेगे। इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर से पहले सरमा पाच उग्रवादी सगठनो के साथ असम हाउस मे मुलाकात करेगे। इसके बाद वह गृहमत्रालय के लिए निकलेगे।
इससे पहले भी उन्होने समूहो से चर्चा की थी।खास बात है कि 2020 बोडो प्रतिनिधियो के साथ हुए समझौते के साथ ही 50 साल पुराने बोडो सकट पर विराम लग गया था। आकड़े बताते है कि समझौते के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रट ऑफ बोडोलैड के तीन गुटो के कुल 1615 कैडर्स ने हथियार छोड़ दिए थे।
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