कोरबा 14 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। एसईसीएल की खदान के लिए तीन एकड़ जमीन देने के बाद बदतर जिंदगी जी रहे 80 प्रतिशत विकलांग हो चुके बंशीदास महंत ने 5 बच्चों के साथ इच्छामृत्यु की अनुमति शासन-प्रशासन से मांगी थी । संवेदनशील इस मामले में एसईसीएल के अधिकारियों ने प्रोफेशनल रवैया अपनाया जबकि कलेक्टर संजीव झा ने संवेदनशीलता दिखाते हुए बंशीदास को इच्छामृत्यु की राह पर जाने से न सिर्फ रोका बल्कि उसके पुत्र को निजी एजेंसी में नौकरी देने का निर्देश देकर राहत प्रदान किया है।
विगत दिनों कलेक्टर की जन चौपाल में पहुंचकर इच्छा मृत्यु की मांग करने वाले विजय नगर कोसमंदा निवासी बंशी दास महंत को आज पुन: पहुंचने पर कलेक्टर संजीव झा ने काफी संजीदगी से समझाईश दिया कि इच्छामृत्यु किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। समस्याओं के कारणों को जानकर उनका निराकरण करके ही समस्या को सुलझाया जाता है। कलेक्टर ने बंशीदास की रोजगार और परिवार के पालन पोषण से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए उनके पुत्र को एसईसीएल कुसमुण्डा कोयला खदान क्षेत्र में किसी निजी एजेंसी में नौकरी दिलाने के निर्देश एसईसीएल के अधिकारी को दिये। जन चौपाल में ही कुसमुण्डा के महाप्रबंधक को फोन लगाकर तत्काल नियोजित करने के निर्देश दिये। कलेक्टर ने कहा कि उनके भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित है। प्रकरण के हाईकोर्ट से निराकरण पश्चात नियमानुसार प्रबंधन द्वारा रोजगार एवं बसाहट के संबंध में कार्यवाही की जाएगी, तब तक प्रशासन द्वारा परिवार के भरण पोषण में सहयोग के लिए पुत्र को निजी एजेंसी में नियोजित करने में सहयोग किया जा रहा है।बंशीदास ने कहा है कि पुराने अर्जन नीति पर नौकरी नहीं दी गई तब उसने नई नीति के तहत नौकरी और मुआवजा मांगा जिसे पुराने नियमों का हवाला देकर दरकिनार कर दिया गया और अब इसी को आधार बनाकर पूर्व के न्यायालयीन आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है जबकि प्रशासन से पूर्णत: सत्यापन कराने के बाद ही एसईसीएल नौकरी देता है तो पूर्व में जब प्रशासन-शासन ने सत्यापित कर दिया तो भी नौकरी क्यों नहीं दी गई। हालांकि प्रबंधन की ओर से जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सनीश कुमार ने यह भी बताया है कि बंशीदास को जीविकोपार्जन के लिए गेवरा क्षेत्र की महिला मंडल समिति द्वारा आटा चक्की व अन्य दुकान संचालित करने का कार्य दिया गया था। बंशीदास का कहना है कि आटा चक्की और नौकरी में काफी अंतर है। उसे बाद में बिजली बिल और किराया पटाने के लिए कहा गया जो कि संभव नहीं था और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में जिन्हें इस तरह का रोजगार दिया गया है उनका किराया और बिजली बिल माफ है। बंशीदास ने कहा है कि उसे टार्गेट किया गया है क्योंकि वह एसईसीएल की प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाता आया है। अब उसे हाईकोर्ट से उम्मीद है।
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