बिलासपुर,@हाईकोर्ट ने खारिज की राज्य वन सेवा मे भर्ती नियम बनाने की याचिका

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बिलासपुर, 10 सितम्बर 2022। रेजर और सहायक वन सरक्षक पदो पर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को नियम बनाने का निर्देश देने से इकार करते हुए दायर एक याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। साथ ही यह भी कहा कि नियमो को चुनौती देने की स्थिति मे उसकी वैधता की जाच जरूर की जा सकेगी। हाईकोर्ट, बिलासपुर मे राहुल यादव व 87 अन्य की ओर से एक याचिका दायर कर कहा गया कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की ओर से राज्य वन सेवा के रेजर व सहायक वन सरक्षक पदो पर भर्ती की जा रही है। याचिकाकर्ता वानिकी सकाय मे स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्री धारी है एव पीएचडी भी कर चुके है। भर्ती के लिए तय किए मापदड के मुकाबले याचिकाकर्ता अधिक दक्षता रखते है। अत: इन पदो पर उन्हे प्राथमिकता दी जाए। मध्य प्रदेश, ओडिशा, जम्मू, केरल, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यो मे ऐसा प्रावधान किया गया है। कुछ अन्य राज्यो मे उच्चतर डिग्री धारको के लिए पद आरक्षित है।
वैधता को दी जा सकती है चुनौती
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी और कहा कि भर्ती नियम बनाने के लिए आदेश देना हाईकोर्ट के अधिकार मे नही है। भर्ती नियम बनाना एक नीतिगत निर्णय है। भर्ती नियम की वैधता को यदि चुनौती दी जाएगी तो उस पर हाईकोर्ट विचार जरूर कर सकता है।
आबकारी विभाग के प्रधान आरक्षक के ट्रासफर पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानिए अधिवक्ताओ ने जस्टिस के सामने दिया तर्क
आबकारी विभाग मे प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ भानुप्रताप चौहान का विभाग ने कबीरधाम से दुर्ग जिला स्थानातरण कर दिया था. पत्नी की गभीर बीमारी से परेशान प्रधान आरक्षक ने स्थानातरण पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट मे याचिका दायर की. हाईकोर्ट के डबल बेच ने पक्षो को सुनने के बाद मानवीयता के आधार पर स्थानातरण आदेश पर स्थगन दिया.
आबकारी विभाग मे प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ भानुप्रताप चौहान कबीरधाम जिला निवासी भानुप्रताप चौहान 29 जून 2022 को आबकारी विभाग ने कबीरधाम से दुर्ग जिला तबादला कर दिया था. इस पर भानुप्रताप ने पत्नी की गभीर बीमारी को आधार बनाकर उच्च न्यायालय की सिगल बेच के समक्ष रिट याचिका दायर की था, लेकिन सिगल बेच से स्थगन नही मिलने पर हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय व घनश्याम शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट के डिवीजन बेच के समक्ष रिट अपील दायर की.
अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एव घनश्याम शर्मा ने हाईकोर्ट के समक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2022 मे एसके नौशाद रहमान एव अन्य विरूद्ध यूनियन ऑफ इण्डिया एव अन्य के वाद का जिक्र किया. इसके साथ अधिवक्ताओ ने बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी फेफड़े एव किडनी की गभीर बीमारी से पीडि़त है. ऐसी स्थिति मे 58 वर्षीय याचिकाकर्ता का दुर्ग जिला मे शिफ्ट होकर आबकारी विभाग मे सेवा देना और साथ मे बीमार पत्नी की देखभाल करना बहुत कठिन होगा।
मामले की सुनवाई के पश्चात चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी एव जस्टिस दीपक तिवारी की डिवीजन बेच ने 6 सितम्बर को मानवीयता के आधार पर एव सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसके नौशाद रहमान के वाद मे पारित न्यायदृष्टात के आधार पर याचिकाकर्ता के दुर्ग जिले मे किए गए स्थानातरण आदेश पर स्थगन दिया गया.


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