बैकुण्ठपुर@साढ़े तीन साल तक सार्वजनिक कार्यक्रमों में पूर्व व वर्तमान विधायक एक साथ क्यों नहीं दिखते थे?

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सत्ता परिवर्तन से पहले ऐसा नहीं था कि हारे व जीते हुए विधायक सार्वजनिक मंचों पर आने से कतराते हो।
पूर्व व वर्तमान विधायक साढ़े 3 साल बाद दिखे किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में एक साथ।
कोरिया जिले में पक्ष विपक्ष का एक साथ मंचासीन होना वर्तमान स्थिति में हो गया था प्रचलन से बाहर।
काश जिला विभाजन के मुद्दे पर भी आते एक साथ नजर,तो शायद होता कुछ और मंजर।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 08 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)।जब छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद सत्ता परिवर्तन हुआ तबसे ही कोरिया जिले में सत्ता परिवर्तन के साथ ही लोगों के हृदय में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है, इसका उदाहरण कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में कुछ खास ही देखने को मिला, जब सत्ता से बाहर हुए विधायक और एक नए विधायक पूरे साढ़े 3 साल सार्वजनिक कार्यक्रमों में एक साथ आने से परहेज करते नजर आए इसमें सबसे ज्यादा परहेज नए नवेले विधायक का था, जहां सार्वजनिक कार्यक्रमों में पक्ष और विपक्ष के विधायक शिरकत किया करते थे, ऐसा चलन साढ़े 3 सालों में खत्म होता दिखा, वर्तमान विधायक जहां उपस्थित होती थी वहां पर पूर्व विधायक को नहीं बुलाया जाता था, जहां पूर्व विधायक की उपस्थिति होती थी वहां वर्तमान विधायक को नहीं बुलाया जाता था, ऐसा क्यों होता था यह तो अंदर खाने की बात है पर इसके पीछे जो बात आती थी वह यह थी कि दोनों एक दूसरे के आमने सामने होना नहीं चाहते थे, जिस वजह से आयोजक भी असमंजस की स्थिति में रहते थे जिससे एक अलग ही माहौल विधानसभा में नजर आता था।
लंबे अरसे बाद कोरिया जिले के दो कद्दावर शख्सियत जिनमें एक वर्तमान में सत्तासीन है, तथा दूसरे लंबे समय तक सत्ता के गलियारों में अपनी चमक बिखेर चुके हैं, एक कार्यक्रम के दौरान एक साथ नजर आए। नगर पालिका शिवपुर चरचा में कर्मा के उपलक्ष्य पर सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, इस कार्यक्रम में काफी लंबे समय बाद सत्ता पक्ष के विधायक व सत्ता से विहीन हुए विधायक एक साथ एक मंच पर देखे गए, जो का कौतूहल का विषय बना रहा, विगत विधानसभा चुनाव बीतने के काफी लंबे समय बाद बैकुंठपुर विधानसभा में यह दृश्य देखने को मिला, जब कांग्रेस और भाजपा के शीर्षस्थ नेता एक मंच पर शिरकत किए। कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में ऐसा पहली बार हुआ था, क्योंकि लगभग साढ़े 3 वर्षों के कार्यकाल में पक्ष और विपक्ष एक साथ मंचासीन नहीं होते थे। इसका कारण यह था कि कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपाइयों को और भाजपा के कार्यकर्ता कांग्रेसियों को मंचासीन होने का न्योता और अवसर नहीं देते थे। श्रेय लेने की होड़ और स्वयंभू होने की महत्वाकांक्षा ने दिलों में दूरियां भी बढ़ा दी थी। जिले की राजनीति में पक्ष और विपक्ष की सार्वजनिक मंचों पर सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए एक साथ आवाज न उठा पाने के कारण जिले को भारी नुकसान भी हुआ।
साथ आने का यह मंजर यदि समय समय पर होता रहता तो आज स्थितियां कुछ और होती
विगत साढ़े तीन साल का कार्यकाल कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा से काफी कुछ छीन कर ले गया। क्योंकि दलगत राजनीति के कारण दूरियां और कटुता इतनी अधिक थी की सर्वजन हिताय वाले मुद्दों पर भी कभी एक मत नहीं बन पाया। जब कोरिया जिले से विभाजन कर नए जिले के अस्तित्व में आने की बात आई तो अन्याय पूर्ण विभाजन के खिलाफ जहां कांग्रेसियों और भाजपाइयों को एक मंच पर आकर जिले के अस्तित्व की लड़ाई लड़नी थी, वही आधे अधूरे आंदोलन और पक्ष को विपक्ष का तथा विपक्ष को पक्ष का साथ ना मिल पाने के कारण जिले की यह दुर्दशा हुई और आज कोरिया मातृ जिला होने के बाद भी अस्तित्वहीन नजर आ रहा है। तस्वीर में जो नजर आ रहा है यदि समय-समय पर ऐसे नजारे होते तो आज मंजर कुछ और होता।
राजनीति में विरोध ही केवल पक्ष विपक्ष का मुद्दा रह गया है
आज की राजनीति में पक्ष विपक्ष केवल एक दूसरे के मुद्दों का विरोध करने को ही केवल राजनीति मनाने लगे हैं,मुद्दा जन भावनाओं से जुड़ा भी हो तब भी पक्ष विपक्ष एक साथ नहीं आते और जिसका खामियाजा क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ता है। आज कोरिया जिले का जो हाल हुआ है वह केवल इसीलिए हो सका क्योंकि सत्ताधारी दल ने केवल जिले के विभाजन का विरोध इसलिए नहीं किया क्योंकि इसका विरोध विपक्ष की भाजपा कर रही थी और इसलिए सत्ताधारी दल के नेताओं ने विरोध को कुचलने के लिए ही ऊर्जा लगाई अपनी।
मनेंद्रगढ़ वासी एकजुट थे इसीलिए मिली सफलता
नवीन एमसीबी जिला केवल इसलिए गठित हो सका क्योंकि वहां के लोग एकजुट थे, क्या पक्ष क्या विपक्ष सभी जिले के मुद्दे पर कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिखे जिसका असर भी हुआ और मनेंद्रगढ़ को कोरिया से ज्यादा क्षेत्रफल मिला,कुल मिलाकर कोरिया जिले के नेताओं को कम से कम मनेंद्रगढ़ के नेताओं से सीख लेनी थी जिन्होंने कोरिया से उसका अस्तित्व केवल अपनी एकजुटता से छीन लिया।


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