नई दिल्ली@पदयात्रा की जनाधार से बगैर गठबधन चुनाव लड़ेगी काग्रेस : राहुल

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नई दिल्ली,08 सितम्बर 2022। 2024 मे होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले देश की सबसे बड़ी पार्टी काग्रेस राहुल गाधी के नेतृत्व मे बुधवार को भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की है। देश भर मे काग्रेस को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत जोड़ो यात्रा कर रही काग्रेस बड़ा लक्ष्य लेकर जनता के बीच जा रही है। इसके तहत विधानसभा के चुनावो से लेकर लोकसभा के चुनावो का पूरा ग्राफ खीचना शुरू कर दिया है। चर्चाए तो इस बात की भी हो रही है कि पार्टी इस यात्रा के दौरान मिलने वाले जनसमर्थन के बाद लोकसभा के चुनावो मे किसी नए गठबधन की ओर नही बढ़ेगी। यानी कि पार्टी अपने दम पर पुराने सगठक दलो के साथ ही मैदान मे उतरेगी। यह एक तरह से अभी से देश के कई नेताओ की ओर से तैयार की जा रही राजनैतिक जमीन के लिए झटका भी माना जा रहा है।
यात्रा से मिलने वाले जनाधार से बनेगी रणनीति : आनद कुमार
काग्रेस की शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा को लेकर पार्टी ने सिर्फ यात्रा ही नही बल्कि आने वाले चुनावो की एक तरह से अपने जनाधार की पैमाइश शुरू कर दी है। राजनैतिक विश्लेषक आनद कुमार कहते है कि काग्रेस बहुत दिनो बाद इतने बड़े स्तर पर सड़क पर उतर कर सैकड़ो किलोमीटर का सफर करने जा रही है। ऐसे मे इस यात्रा से मिलने वाले जनाधार से पार्टी के अदर तमाम तरह की नई योजनाओ को बनाने का खाका तैयार किया जाएगा। इसमे नए राजनैतिक गठबधन वाले समीकरण समेत आगे की चुनावी तैयारियो को नए आयाम भी दिए जाएगे। काग्रेस से जुड़े नेता भी बताते है कि इस यात्रा के दौरान और बाद मे पार्टी जनाधार के आधार पर बड़े फैसले ले सकेगी।
भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहा है व्यापक समर्थन
पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते है कि पार्टी को जिस तरह से यात्रा शुरू करने से पहले ही इतना समर्थन मिल रहा है वह बड़े बदलाव का इशारा कर रही है। अब इस बदलाव का असर किस तरह से होगा इसका पार्टी आलाकमान अपने स्तर पर एनलालिसिस करके आगे बढ़ेगी। सूत्रो का कहना है कि काग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का सबसे ज्यादा असर चुनावी गठबधन पर पड़ेगा। इसकी वजह बताते हुए वरिष्ठ राजनैतिक जानकर एचएन सागर कहते है कि अगर पार्टी साढ़े तीन हजार किलोमीटर की पद यात्रा कर रही है तो वो इसलिए नही कर रही कि अपने तैयार किये जाने वाले जनाधार और राजनैतिक भरोसे को गठबधन के हवाले कर दे। वह कहते है कि यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि आने वाले चुनावो मे सबसे पहले काग्रेस ही जमीन पर उतरी है। इसलिए किसी भी बड़े गठबधन की तैयार होने वाली जमीन पर काग्रेस के नेता को प्रधानमत्री के चेहरे के तौर पर नकारा नही जा सकता। और यही गठबधन मे सबसे बड़ी समस्या का कारण भी बन रहा है।
अपने दम पर ही चुनाव लड़ेगी काग्रेस
राजनैतिक गलियारो मे चर्चाए है कि आने वाले लोकसभा के चुनावो मे काग्रेस अकेले अपने दम पर ही चुनाव लड़ेगी। नीतीश कुमार और नेताओ के साथ चल रही गठबधन की जमीन सभी दलो को एक साथ लेकर बनने मे मुश्किल नजर आ रही है। ऐसे मे कयास यही लगाए जा रहे है कि काग्रेस अपने पुराने घटक दलो के साथ मिलकर ही 2024 के लोकसभा के चुनावो मे आने की पूरी तैयारी कर रही है। राजनैतिक जानकारो का मानना है कि नीतीश कुमार के प्रयास अपने स्तर पर होते रहेगे लेकिन काग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा से मिलने वाली पॉलिटिकल बूस्टर डोज अलग तरह से काम करेगी। जिससे नए राजनैतिक समीकरण बनेगे।


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