अहमदाबाद,08 सितम्बर 2022। देश की सेवा के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले जाबाज सैनिको को उनकी अदम्य शाहस के लिए राष्ट्रीय पर्व या कोई विशेष अवसर पर शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाता है। लेकिन गुजरात के अहमदाबाद शहर के निवासी शहीद लास नायक गोपाल सिह भदौरिया के साथ ऐसा नही हो पाया है। कूरियर के जरिए शहीद के शौर्य चक्र को पहुचाया गया। शहीद के माता पिता ने कूरियर के जरिए पहुचाए गए शौर्य चक्र को लौटा दिया है।
उन्होने कहा कि शहादत के सम्मान को कूरियर से भेजकर आपने हमारे शहीद बेटे का अपमान किया है इसलिए हम इसे वापस लौटा रहे है। मिली जानकारी के अनुसार परिवार वाले अब राष्ट्रपति भवन जाएगे और सबके सामने राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित करने की माग करेगे। परिवार वालो का कहना है कि उनके बेटे ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी और सरकार ने उसकी शहादत का ये सिला दिया है।
उन्होने कहा कि यह कोई गुप्त रखने की चीज थोड़ी है जो आप इसे चुपचाप दे रहे है। मेरे बेटे ने देश के लिए बलिदान दिया है इसलिए उसे देश के सामने ही सम्मान मिलना चाहिए। बता दे कि गोपाल सिह को मुबई मे 26/11 के आतकी हमलो मे उनकी बहादुरी के लिए ‘विशिष्ट सेवा पदक’ से भी सम्मानित किया गया था। बता दे कि साल 2017 मे जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले मे आतकवादियो के साथ मुठभेड़ के दौरान राष्ट्रीय राइफल्स के लास नायक गोपाल सिह शहीद हो गए थे।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, लास नायक गोपाल सिह की शादी 2007 मे हुई थी लेकिन किसी मतभेद के चलते वे अपनी पत्नी से 2011 मे अलग रह रहे थे। दोनो के व्यस्त रहने के कारण साल 2013 मे अदालत ने शादी तोड़ने की याचिका भी खारिज कर दी थी। याचिका मे यह भी उल्लेख किया गया है कि सैनिक के माता-पिता और उसकी पत्नी के बीच कई वर्षो तक कोई सपर्क नही था।
वही भदौरिया ने पत्नी को किसी भी सेवा लाभ के अनुदान पर आपçा जताई थी और शहर की एक सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हालाकि जब 2017 मे गोपाल सिह शहीद हो गए तो 2018 मे उन्हे शौर्य चक्र के लिए चुना गया। फिर 2018 के बाद दोनो परिवारो के बीच सुलह कराने की कोशिश की गई जो कि 2020 तक नही सुलझ पाया।
साल 2021 मे शहीद की पूर्व पत्नी और
माता-पिता के बीच करवाया गया समझौता
फिर साल 2021 मे शहीद की पत्नी और माता-पिता के बीच कोर्ट के जरिए एक समझौता करवाया गया। इसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि शहीद गोपाल सिह को मरणोपरात वीरता पुरस्कार और माता-पिता को पुरस्कार से जुड़े सभी लाभ प्रदान किए जाए। अदालत यह भी कहा कि पेशन, अनुग्रह भुगतान और केद्र या राज्य सरकार या सेना से प्राप्त होने वाली सहायता सहित अन्य सभी सेवा लाभो को दोनो पक्षो के बीच 50-50 विभाजित किया जाना चाहिए।
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