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बैकुण्ठपुर@क्या प्रदेश में तीसरे विकल्प की तलाश आम आदमी पार्टी से हो सकती है पूरी?

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  • आम आदमी पार्टी का साइलेंट जनसंपर्क बढा सकता है कांग्रेस,भाजपा की परेशानी।
  • आम आदमी पार्टी साइलेंट तरीके से सदस्यता अभियान में जुटा जो भाजपा कांग्रेस के लिए मुसीबत की घंटी है।
  • भाजपा-कांग्रेस दोनों के सदस्यों पर आम आदमी पार्टी चला सकता है अपना आरी और अपने पार्टी में करा सकता है उनकी सदस्यता।


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 07 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में काफी समय से तीसरी पार्टी के विकल्प की तलाश हो रही थी। कई बार इसका प्रयास भी हुआ, कभी विद्याचरण शुक्ल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ, कभी हीरा सिंह मरकाम गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ, तो कभी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी अपने पार्टी जोगी कांग्रेस के साथ। इसके अलावा भी अरविंद नेताम जैसे कई छत्तीसगढ़ी कद्दावर नेताओं ने राज्य में कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के तौर पर उभरने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। शुरुआती दौर में स्व. विद्याचरण शुक्ल भी एक नए दल बनाकर छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनाना चाहते थे, पर वह भी सफल नहीं रहे। फिर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी लगातार अपना प्रयास करती रही, पर वह भी अभी तक सफलता अर्जित नहीं कर पाई। कुछ ऐसा ही पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी एक नई पार्टी बनाते हुए प्रदेश में फिर से तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी की पर यह भी सफल नहीं हो पाए। अब एक बार फिर आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ में अपनी पैठ जमाने के लिए और छत्तीसगढ़ के लोगों को तीसरा विकल्प देने के लिए पुरजोर तरीके से छत्तीसगढ़ में साइलेंट तरीके से काम कर रही है, जो कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी माना जा रहा है। इस समय कोरिया जिले में आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी साइलेंट तरीके से तीनों विधानसभा में सदस्यता अभियान काफी तेजी से चला रहे हैं, और इस सदस्यता अभियान में जहां नये सदस्य मिल रहे है, वहीं भाजपा और कांग्रेस के भी कुछ सदस्य उन पार्टियों को छोड़कर इस पार्टी में जुड़ते नजर आ रहे हैं। काफी तेजी से आम आदमी पार्टी अंदर खाने में अपना कैंपेन चला रहा है, जिसका शायद ही किसी को अंदाजा है।
छत्तीसगढ़ के राजनीतिक परिस्थितियां और तीसरे विकल्प की उम्मीद
वैसे तो अभी तक अस्तित्व में आने के बाद से ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा का ही शासन रहा। कई बार तीसरे विकल्प का प्रयास हुआ, परंतु इसमें विद्याचरण शुक्ल, अजीत जोगी, अरविंद नेताम, हीरा सिंह मरकाम जैसे और भी कद्दावर नेताओं को मुंह की खानी पड़ी। इन सभी नेताओं का प्रभाव सीमित क्षेत्रों और सीमित वर्गों तक ही रहा। तीसरे मोर्चे के विकल्प के रूप में इनके सफल न होने का यह एक मुख्य कारण था। परंतु वर्तमान में परिस्थितियां इसके उलट है जहां तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी अपनी मजबूत दावेदारी दिल्ली और पंजाब जैसे बड़े राज्यों के आधार पर कर रही है। आम आदमी पार्टी के नेताओं का दावा भी बड़ा पुख्ता है कि यदि पार्टी ने जनहित में कार्य नहीं किए होते तो दिल्ली में तीन बार और दिल्ली से ही सटे पंजाब जैसे बड़े राज्य में वर्तमान में पूर्ण बहुमत के साथ सरकारें कैसे बनती। स्पष्ट है कि वहां सरकारों ने कुछ तो अच्छा किया होगा जो जनता ने आम आदमी पार्टी के नेताओं को सिर आंखों पर बिठाया है। 15 वर्षों का भाजपा का शासन और लगभग 7 वर्षों का कांग्रेस का शासन यहां की जनता देख चुकी है। विगत चुनाव में 15 वर्ष के शासन काल के बाद भाजपा की दुर्गति और उसके बाद उसके अंदर का अंतर्कलह, वही प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए कांग्रेस द्वारा जनता के अनुरूप खरा न उतरने का प्रभाव कहीं ना कहीं तीसरे मोर्चे के विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी की राह आसान करता नजर आ रहा है।
आम आदमी पार्टी एक ऐतिहासिक पार्टी
महज चंद वर्ष पहले एक आंदोलन से उभर कर जनता के समक्ष आने वाली आम आदमी पार्टी भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐतिहासिक पार्टी बन गई है। भारतीय लोकतंत्र की स्थापना से लेकर अभी तक आम आदमी पार्टी ही ऐसी क्षेत्रीय पार्टी है जो भारत के 2 राज्यों में पूर्ण बहुमत की सरकार पर आसीन है। रिकॉर्ड पर गौर करें तो भारत के हृदय दिल्ली में तीन बार विजयश्री प्राप्त करने वाली आम आदमी पार्टी ने जहां विपक्षियों को नेस्तनाबूद करते हुए प्रचंड बहुमत प्राप्त किया। वही कुछ माह पूर्व हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने सभी विपक्षी पार्टियों को करारी शिकस्त दी। वर्तमान में आलम कुछ ऐसा है कि कई राज्यों में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव में जहां आम आदमी पार्टी ने पुरजोर तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, वहीं दूसरी ओर अनेक राज्यों में जनता के बीच अपनी पैठ गहरी करती नजर आ रही है।
आंदोलन से उभर कर निर्मित पार्टी की कार्यशैली और तौर तरीके अन्य से जुदा
जहां एक ओर भारत में दो प्रमुख पार्टियां कांग्रेस एवं भाजपा तथा इनसे खंडित होकर निर्मित होने वाली अन्य क्षेत्रीय पार्टियों की कार्यशैली और तौर-तरीकों में समानता नजर आती है। वही आम आदमी पार्टी के नीति, सिद्धांत और कार्यशैली बिल्कुल अलग नजर आते हैं। यही कारण है कि यह बड़ी तेजी से जनता के दिलों में अपनी जगह बनाते जा रही है। प्रमुख स्थाई पार्टियों के नेता एवं कार्यकर्ता तेजी से इस पार्टी के साथ जुड़ते नजर आते हैं। अपनी विशिष्ट कार्य शैली के कारण ही दिल्ली के 3 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने एक तरफा बहुमत प्राप्त करते हुए कांग्रेस एवं भाजपा दोनों को एक तरह से नेस्तनाबूद कर दिया।
भाजपा की तुलना में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से ज्यादा खतरा
चाहे दिल्ली हो या पंजाब दोनों राज्यों में वर्षों से सत्तासीन कांग्रेस पार्टी की सरकार को एक तरफा पदच्युत कर आम आदमी पार्टी ने अपने सरकारें बनाईं। ऐसा नहीं है कि नुकसान सिर्फ कांग्रेस का हुआ, बल्कि भारतीय जनता पार्टी एवं अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का भी इन दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी ने पूरी तरह सूपड़ा साफ कर दिया। केंद्र में सत्तासीन तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर अस्तित्व में आने वाली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का फोकस भी उन्हीं राज्यों में ज्यादा है जहां कांग्रेस के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है, या कांग्रेस कमजोर विपक्ष बतौर नजर आ रही है।
छत्तीसगढ़ की जनता स्वहित में कुछ नया करने का मन बना चुकी है
डॉ आकाश जायसवाल कांग्रेस से कुछ माह पूर्व आम आदमी पार्टी में आए बैकुंठपुर विधानसभा निवासी डॉ आकाश जायसवाल विगत एक डेढ़ महीने से सतत जन संपर्क में हैं। जहां हजारों की संख्या में इनके द्वारा लोगों को आम आदमी पार्टी के सदस्यता दिलाई जा चुकी है, वहीं नित नए लोगों को पार्टी में जोड़ने का काम अनवरत जारी है। डाक्टर आकाश जायसवाल ने बताया कि इनके जैसे ही सैकड़ों लोग पार्टी को मजबूत करने के कार्य में दिन रात लगे हुए हैं, और जनता का रुझान भी सकारात्मक नजर आ रहा है। जनता अपना हित जानती है, और दोनों प्रमुख दलों को कई बार आजमा चुकी है। जो जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे। अब छत्तीसगढ़ की जनता ने इनसे किनारा करने का मन बना लिया है।


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