बैकुण्ठपुर@सरगुजा में घटी घटना पर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने की कड़ी निन्दा

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सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव उक्त मामले को लेकर कोरिया आगमन पर भाजपा नेता एंव नेता प्रतिपक्ष को सौपा ज्ञापन
बैकुण्ठपुर 05 सितम्बर 2022 (घटती-घटना)। संभाग के सभी शासकीय विद्यालयों में लिखे गए बाल:देव:भव: का किस तरह शिक्षा विभाग धज्जियां उड़ा रहा है, यह मौजूदा सरगुजा जिला शिक्षा अधिकारी से बेहतर भला और कौन जान सकता है। जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा जिले में और किसी को बेहतर शिक्षक शायद नहीं मानते हैं इसलिए 22 जुलाई 2022 को जिले से ऐसे शिक्षक का नाम राज्यपाल पुरस्कार के लिए नामांकित किया जाता है जिनके कार्यकाल में दो दो बार बच्चियों के साथ छेड़ छाड़ की घटना को अंजाम दिया जाता है, शायद मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे शिक्षकों को ही बेहतर मानते हैं।
समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट अभिनव पी द्विवेदी ने जिले प्रवास पर आए नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को पत्र सौंप कर आवश्यक कार्यवाही की मांग करते हुए बतया की मैं  एक समाजसेवी हूँ इस ममाल्रे को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सचिव शिक्षा विभाग सहित तमाम आला अफसरों को पत्र पहले ही प्रेषित कर दी है। सरगुजा में आदिवासी नाबालिग बच्ची के साथ घटी घटना पर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने की कड़ी निन्दा की है, श्री द्विवेदी का कहना है की सरगुजा पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता के गृह जिले में पदस्थापना को भी लेकर सवाल उठने लगे हैं, सरगुजा पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता के कलकत्ता में भी पदस्थापना के दौरान अधिवक्ताओं से बहस के बाद निलंबन किए जाने की चर्चा सुर्खियों में, पीड़ित बच्ची के अभिभावक ने कहा सरगुजा पुलिस अधीक्षक ने हमें मीडिया में स्टेटमेंट देने से किया है मना, पुलिस कप्तान के द्वारा आदिवासी होने पर एस्ट्रोसिटी एक्ट का ना जोड़ा जाना, पुलिस कप्तान सहित पुलीसिया कार्यवाही पर सवाल उठ रहे, सरगुजा जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रकरण में कलेक्टर सरगुजा को ग़लत जांच प्रतिवेदन देकर प्रकरण का रुख बदल दोषियों को दिया गया पूर्णतः संरक्षण, जिस प्रभारी प्राचार्य के कार्यकाल में दो दो बार घटी छेड़ छाड़ की घटना, जिला शिक्षा अधिकारी ने भेजा राज्यपाल पुरस्कार के लिए नामांकन, योग्य शिक्षकों के मुंह पर जड़ा गया जमकर तमाचा, शिक्षा व्यवस्था पर उठने लगे तमाम तरह के सवाल, सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव पी द्विवेदी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और तमाम बड़े अफसरों को भेजा निष्पक्ष कार्यवाही और पीड़ित को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है, समूचे देश में आदिवासी बाहुल्य राज्य के नाम से प्रसिद्ध छतीसगढ़ प्रदेश में मुख्यमंत्री भूपेश सरकार के कार्यकाल में आदिवासियों के साथ उन्हीं के ब्यूरोक्रेट्स किस तरह अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं,यह सरगुजा जिले के एक गांव से देखा जा सकता है।
सरगुजा जिले के एक गांव के नाबालिग बच्ची के साथ दिनांक 22 जुलाई 2022 को शासकीय शाला के शिक्षक के द्वारा बच्ची को लायब्रेरी में बुलाकर हांथ पकड़ना और बच्ची के पीठ में हांथ मसलना जैसे घटना को अंजाम दिया गया है। जब पीड़ित बच्ची ने इसकी जानकारी अपने सहेली को दी तो उन दोनों ने इसकी जानकारी एक अन्य सहेली को दी जिस पर तीनों शाला की प्रभारी प्राचार्य के पास गई और उन्हें पूरे घटना की जानकारी दी गई, जिस पर प्रभारी प्राचार्य यह कर मामले को टाल मटोल किया गया कि जाओ अब से ऐसा नहीं होगा। प्रभारी प्राचार्य के द्वारा अगले दिन अवकाश के उपरांत दोपहर तीन बजे शाला में पढ़ने वाले अन्य बच्चों सहित पीड़ित बच्ची को बुलवाकर दोषी शिक्षक के संबंध में लिखवाया गया। जब समाजसेवी अभिनव पी द्विवेदी ने धरातल पर जाकर पीड़ित बच्ची और उसके पिता से पूरे घटनाक्रम की सच्चाई को खंगालने का प्रयास किया गया तो पीड़ित बच्ची ने अपने साथ हुए घटना की जानकारी आफ कैमरे में दी पर पीड़ित बच्ची के पिता ने यह कहा कि एसपी भावना गुप्ता ने मना किया है कि कोई भी मीडिया वाले आए, स्टेटमेंट मत देना, बच्ची के भविष्य का सवाल है, जिस कारण से कैमरे में किसी ने भी अपना स्टेटमेंट नहीं दिया। पीड़ित बच्ची और ग्रामीण जन जब दिनांक 24 जुलाई 2022 को पुलिस को सूचना देने के उपरांत गांव में पुलिस के पहुंचने और पीड़ितों को रात्रि दो बजे तक कोतवाली थाने में बैठाए जाने तक प्राथमिकी दर्ज होने से जब जिले के आदिवासी थाने में जाने के बाद वहां भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। जानकारी के मुताबिक पुलिस अधीक्षक सरगुजा स्वयं लगभग ढाई घंटे तक पीड़ित बच्चियों से पूछ तांछ की उसके बाद लगभग शाम पांच बजे के बाद कोतवाली थाने में प्रकरण दर्ज किया गया। घटती-घटना इस लेख पुष्टि नहीं करता यह लेख समाजसेवी और आरटीआई एक्टिविस्ट अभिनव पी द्विवेदी के द्वारा तैयार किया गया है और उसी के जनकारी के अनुसार इस से प्रकाशित किया जा रहा है।
नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए
नारायण चंदेल भाजपा नेता एंव नेता प्रतिपक्ष छत्तीसगढ़ विधानसभा ने कहा की छत्तीसगढ़ में जिस तरह से आए दिन बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया जा रहा है, हम उसकी कड़ी निन्दा करते हैं और मौजूदा भूपेश सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था में विफल सरकार है, ऐसी सरकार के विरुद्ध महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके।
सवाल अब यह है कि
जब पीड़ित बच्ची आदिवासी हैं तो घटना में पुलिस कप्तान की मौजूदगी में एस्ट्रो सिटी एक्ट क्यों नहीं लगाया गया,क्यों एस्ट्रो सिटी एक्ट से दोषी को बचाया गया?
जिम्मेदार महिला और जिले की पुलिस कप्तान आखिर पीड़ित बच्ची के अभिभावक को मीडिया में स्टेटमेंट देने से क्यों मना की?
जिला शिक्षा अधिकारी सरगुजा ने घटना में क्या जांच की और दोषी शिक्षक सहित संस्था की प्रभारी प्राचार्य पर क्या कार्यवाही की,और अगर अब तक नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई? कहीं मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया जा रहा?
कलेक्टर सरगुजा के निर्देशन में बनी जांच कमेटी में जिला शिक्षा अधिकारी ने ऐसी कौन सी जांच की जिससे राज्यपाल पुरस्कार विजेता जैसे योग्य शिक्षकों सहित अन्य का स़लग्नीकरण किया गया?


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